मुसीबत का सामना : एक प्रेरणादायक कहानी | Prernadayak Kahani
काफी समय पहले की यह बात है, एक गांव में एक किसान रहता था। इस किसान ने कई अलग-अलग तरह के पशुओ को पाल कर रखा था। इन सभी पशुओं में एक पशु गधा भी था। एक दिन यह गधा अपनी ही मस्ती में चरते चरते किसान के खेत में जा पहुंचा। वहां पर एक सूखा हुआ कुँवा था। क्योंकि गधा तो अपनी मस्ती में था, उसने इस कुए पर ध्यान नहीं दिया और गलती से फिसल कर इस कुएं के अंदर गिर पड़ा। जैसे ही गधा कुए के अंदर गिरा तो ढेंचू ढेंचू करके चिल्लाने लगा।
सदभाग्य से उस खेत के पास वाले खेत में लोग काम कर रहे थे। गधे की आवाज सुनकर सभी उस कुए के पास इकट्ठे हुए। उन्होंने इस बात की खबर किसान तक पहुंचा दी। किसान भी वहां पर आ पहुंचा। किसान ने परिस्थिति का जायजा लिया। गधा उसका पालतू पशु था इसलिए किसान को उसके साथ लगाव तो था और उसे गधे पर दया भी आ रही थी लेकिन गधा बूढ़ा हो चुका था और किसान जानता था कि गधे को कुवे से निकालना बिल्कुल भी आसान नहीं होगा! ऊपर से कुँवा सुखा था। किसान ने सोचा कि उसके लिए दोनों ही इतने मूल्यवान नहीं है इसीलिए क्यों उनके लिए ज्यादा मेहनत की जाए?
जब लोगों ने किसान से कहा कि किसी तरह वैसे निकलने का इंतजाम कराओ तो किसान ने सबको समझाया कि गधे को कूवे से निकालना व्यर्थ होगा ! काफी मेहनत और मशक्कत करनी पड़ेगी। किसान ने उनको यह भी समझाया कि अब उसे इस बूढ़े गधे की और बिना पानी वाले कुए की कोई ज्यादा आवश्यकता है नहीं इसलिए वह इस काम में मेहनत नहीं करेगा ! फिर भी कुछ लोगों ने जब किसान को समझाया कि वह अपने पालतू गधे को इस तरह तड़प तड़प कर मरने के लिए छोड़ रहा है यह अच्छा नहीं है। तब थोड़ी देर सोचने के बाद किसान ने कहा कि अगर ऐसी बात है तो हम कुएं में गधे के ऊपर मिट्टी डालकर उसे दफना देते हैं ! इससे उसे भी ज्यादा तकलीफ नहीं होगी।
लोग किसान की इस बात से सहमत हुए। गधा भी उनकी सारी बातें सुन रहा था। उसे बहुत दुख हो रहा था, वो सोच रहा था कि उसका मालिक कैसे उसे इस तरह मरने के लिए छोड़ सकता है? गधे ने अपने भावनाओं पर काबू किया और उसने तय किया कि चाहे कुछ भी हो जाए वह मरते दम तक इस कुवे से बाहर निकलने का प्रयास करना नहीं छोड़ेगा। वह यह सोच ही रहा था कि लोगों ने ऊपर से कूवे मैं माटी डालना शुरू कर दिया।
मिट्टी जैसे ही गधे के ऊपर पड़ती वह अपने शरीर को झटक देता और उसी मिट्टी पर खड़ा हो जाता ! लोग ऊपर से मिट्टी डालते गए और गधा उस मिट्टी को झटक कर उसी मिट्टी के ऊपर खड़ा होता गया। ढेर सारी मिट्टी कुएं में डल चुकी तब किसान को भी समझ में आ गया कि इस तरह से बिना ज्यादा मेहनत के गधे को बचाया जा सकता है। तब किसान ने ज्यादा लोगों को लगा कर जल्दी-जल्दी कूवे में मिट्टी डालना शुरू किया और आखिरकार उस गधे को कूवे से निकाल लिया गया !
दोस्तों हम कभी-कभी अपने जीवन में मुसीबत रूपी गड्ढे में गिर ही जाते हैं लेकिन क्या हम उस हार न मानने वाले गधे की तरह उस मुसीबत से निकलने के लिए कोशिश करते रहते हैं ? मुसीबत में गिरना बुरा नहीं है , बुरी बात है उस मुसीबत से ना लड़ना। जो व्यक्ति खुद की मदद करता है, खुद के लिए लड़ता है भगवान भी उसी की मदद करते हैं और किसी ना किसी रूप में सहायता पहुंचा ही देते हैं। इसलिए दोस्तों जीवन में कभी भी ,कहीं भी आखरी दम तक हार मत मानो क्योंकि आप जब सोचते हो कि कोई रास्ता नहीं बचा पर फिर भी लड़ते रहते हो नया रास्ता खुल जाता है।
