राजा और उसकी चार रानियों की रोचक कहानी | Rochak Kahani

 राजा और उसकी चार रानियों की रोचक कहानी | Rochak Kahani 


एक राजा को चार रानियां थी। उसकी पहली रानी इतनी सुंदर थी कि वह उसे सिर्फ देखता रहता था।


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राजा की दूसरी रानी भी कम ना थी। वह इतनी सुंदर थी कि वह हमेशा उसे पास में लेकर बैठता था।


राजा की तीसरी रानी उससे भी ज्यादा सुंदर थी इसलिए राजा उसे हमेशा हर जगह अपने साथ में ले जाता था।


हां राजा की चौथी रानी की तरफ राजा ने कभी ध्यान नहीं दिया! ना उससे प्यार से बातें करता था ना उसे कहीं लेकर जाता था। राजा इस चौथी रानी को हमेशा इग्नोर करता था।


समय बिता राजा बूढ़ा हो गया और वह समय भी आ गया जब राजा अपनी आखिरी सांसें गिन रहा था। अपने आखिरी समय में राजा ने अपने पहले रानी को अपने पास बुलाया और पूछा कि क्या वह उसके साथ मरने के बाद भी जायेगी? रानी ने साफ साफ मना कर दिया और कहां..वह राजा के साथ कहीं नहीं जाने वाली!


राजा को बड़ा दुख हुआ फिर राजा ने दूसरी रानी को अपने पास बुला कर यही सवाल किया। दूसरी रानी ने राजा से कहा कि वह शमशान तक उसके साथ जाएगी उससे आगे नहीं।


राजा को अपनी तीसरी रानी से बड़ी आस थी। उसने तीसरी रानी को भी जब यही सवाल किया तो तीसरी रानी ने कहा कि वह राजा के मरने के बाद किसी और के साथ चली जाएगी। राजा अपनी तीनों रानियों का जवाब सुनकर बड़ा दुखी था और सोच रहा था कि जिनके पीछे उसने अपनी सारी जिंदगी लगा दी वही उसका साथ देने के लिए तैयार नहीं है तो चौथी रानी जिसे उसने कभी महत्व नहीं दिया वह क्या साथ देगी?


चौथी रानी खुद ही राजा के पास आई और राजा के बिना पूछे ही उससे कहने लगी कि वह हर उस जगह जाएगी जहां राजा जाएगा! स्वर्ग हो या नर्क, कोई भी प्राणी का जन्म हो वह कभी राजा का साथ नहीं छोड़ेगी। अपनी चौथी रानी का जवाब सुनकर राजा की आंखों से आनंद के आंसू आ गए और उसने खुशी-खुशी अपने प्राण त्याग दिए।


दोस्तों कौन था वो राजा? कौन थी वो तीन रानियां जिन्होंने राजा को आखिरी समय में ठुकरा दिया? और कौन थी वह चौथी रानी जिसने इतना ठुकराए जाने के बाद भी राजा का साथ अंतिम समय तक दिया?


राजा कोई और नहीं हम स्वयं है! पहली रानी हमारा शरीर है जो मृत्यु होते ही हमारा साथ छोड़ देता है। दूसरी रानी हमारा परिवार,रिश्तेदार या समाज जो समशान भूमि तक साथ देता है। तीसरी रानी जो मृत्यु के तुरंत बाद किसी और के साथ चली जाती है वो हमारा धन(प्रॉपर्टी) है।


अब सोचिए चौथी रानी कोन होगी जो हमेशा हमारे साथ जाएगी और जिसको हम कभी महत्व नहीं देते? वो रानी है सद्भावना और निस्वार्थ भावसे किए गए पुण्य कर्म।


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