दोस्तों आज की कहानी बहुत इंटरेस्टिंग है। हो सकता है आपने यह कहानी कहीं सुन या पढ़ रखी हो लेकिन पर्सनली मुझे यह कहानी बहुत अच्छी लगी इसलिए मैं अपने शब्दों में आप तक पहुंचा रहा हूं।
तो कहानी शुरू होती है जब भगवान ने एक आदमी को बनाया। इस आदमी को बनाने के बाद भगवान ने उसे दो पोटलिया दी। भगवान ने कहा एक पोटली को अपने पीठ पर बांधना और एक पोटली अपनी आंखों के सामने रखना।
आदमी ने भगवान के कहे अनुसार एक पोटली को अपने पीठ पर बांध लिया और दूसरी पोटली को अपनी आंखों के सामने गले में लटका लिया। इन दोनों पोटलियो में कमियां थी। आगे की पोटली में इंसान की खुद की कमियां थी । और जो पोटली आदमी ने अपने पीठ पीछे बांध रखी थी उसमें बाकी दुनिया की कमियां(खामियां या गलतियां कुछ भी कह लीजिए) थी।
जब तक आदमी ने अपने आगे की पोटली पर नजर बनाए रखी उसे अपनी गलतियां नजर आती गई और वक्त के साथ वह अपनी गलतियां,कमियां सुधारता गया और तरक्की करता गया। आदमी निरंतर बेहतर होता जा रहा था लेकिन एक दिन जब आदमी नदी पर नहाने गया तब दोनो पोटलिया अदलाबदली हो गई और अब आदमी को पूरी दुनिया में कमियां नजर आने लगी।
आदमी हर किसी में कमियां देखने लगा और उनको सुधारने की कोशिश करने लगा। आदमी किसी की भी कमियां पूरी तरह खत्म नहीं कर पाया और देखते ही देखते वह खुद खत्म हो गया।
दोस्तों यह महज एक कहानी नहीं बल्कि जीवन की बहुत बड़ी सच्चाई है। हर इंसान को अपने को छोड़कर पूरी दुनिया गलत लगती है। अपनी कमियों को भूल कर उसे हर किसी में कमियां नजर आती है और वह सोचता है कि मैं इसको सुधार कर रहूंगा! जो कभी भी संभव हो ही नहीं सकता। हां अपने आप को सुधारना अपने आपकी कमियां पूरी करना, अपने आप को समय के साथ बेहतर बनाते जाना संभव है। अगर इंसान ऐसा करता है तो वह जरूर तरक्की की राह पर चलता रह सकता है।
