एक इमोशनल कहानी हर मां बाप के लिए | Story for parents

एक इमोशनल कहानी हर मां बाप के लिए | Story for parents 


 अंश अपने माता पिता के साथ हर महीने ट्रेन से अपने दादा दादी को मिलने जाया करता था। अगले दिन वह उसी तरह से अपने घर लौट आया करते थे। ये उनका हर महीने का कभी न टूटने वाला नियम था। अंश 11 साल का था।


एक इमोशनल कहानी हर मां बाप के लिए | Story for parents


एक दिन अंश अपने माता  पिता से इस बात के लिए शिकायत करने लगा कि वे कभी उसको अकेला अपने दादा दादी के पास जाने नहीं देते। अब वो बड़ा हो चुका है और वह अकेला ट्रेन से सफर कर सकता है। 


माता-पिता में इस बात को लेकर काफी लंबी चर्चा हुई। आखिरकार उन्होंने निर्णय लिया कि वह आज अंश की बात मानेंगे और उसे इस बार अकेले ही अपने दादा दादी के यहां जाने के लिए मंजूरी देंगे।


अगले दिन मम्मी पापा और अंश ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। ट्रेन आई और अंश ट्रेन की एक बोगी में चढ़ा। ट्रेन चलने लगी तब मम्मी पापा उसे खिड़की से क्या करना है, क्या नहीं करना है सब समझा रहे थे। अंश बोला..यह बातें आप मुझे सैकड़ों बार बता चुके हैं! मैं जानता हूं, अब मैं बड़ा हो गया हूं।


अंश के पापा उसके करीब गए, उसकी जेब में कुछ रखा और उसे कहा जब तुम्हें इसकी जरूरत पड़ेगी तब ईसे देख लेना।ये तुम्हारे लिए है।


ट्रेन पूरी स्पीड से चलने लगी। अंश बोगी में एक सीट पर अकेला बैठा था जैसे कि वह चाहता था। वह खिड़की से कुदरत के सुंदर नजारे देख रहा था। फिर उस बोगी में कई नए लोग चढ़े और उतरे कईयों ने शोर भी मचाया। कुछ लोगों ने अंश की तरफ दया भरी नजरों से देखा क्योंकि वह अकेला था। टी सी ने उसे अकेले होने पर डाटा।


बीते हर पल के साथ अंश डरने लगा। अपने आपको अकेला महसूस करने लगा। फिर एक समय ऐसा आया जब उसकी आंखो में आंसू थे और वो अपने घुटनों पर सिर झुकाए बैठा था। 


फिर उसे अचानक याद आया कि उसके पापा ने उसके लिए उसकी जेब में कुछ रखा था। उसने जल्दी से अपनी जेब चेक की जिसमे एक चिट्ठी निकली। उस चिट्ठी को अंश ने खोली और पढ़ी जिसमे लिखा था। " बेटा फिक्र मत करो में तुम्हारी बोगी के पीछे वाली बोगी में ही हूं!" अंश की आंखे जो पहले आंसुओं से भरी थी अब खुशी से चमक उठी।


दोस्तों, यह जीवन भी एक ट्रेन का सफर ही तो है। कभी ना कभी हमें अपने बच्चों को अकेले सफर करने देना ही पड़ेगा। हां एजे पेरेंट्स हमे उन्हें रोकना नहीं है लेकिन वो रुके ना, डरे ना या उन्हें जब भी हमारी जरूरत हो इसलिए हमें उनके पीछे वाली बोगी में जरूर रहना है।


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