भगवान का पसंदीदा चढ़ावा : कहानी | Hindi Story

भगवान का पसंदीदा चढ़ावा : कहानी | Hindi Story 


 रामनवमी का त्यौहार था। श्री राम जी के मंदिर के बाहर काफी लंबी लाइन लगी हुई थी। लाइन में गरीब से लेकर अमीर तक हर कोई खड़ा था। इस लाइन में समाज का हर वर्ग का आदमी था। कोई मजदूर था कोई मालिक था,कोई डॉक्टर था तो कोई मरीज था।

Bhagvaan ki khanai



सभी सबसे पहले राम का दर्शन करना चाहते थे। जैसे-जैसे समय बीतता गया लाइन में खड़े हर व्यक्ति का धीरज जवाब देता चला गया। सब एक दूसरे को धक्का मारने लगे, झगड़े करने लगे। हर किसी के पास कोई ना कोई कारण था कि क्यों उसे ही सबसे पहले मंदिर में प्रवेश दिया जाए? और उसे ही पहला मौका भगवान की पूजा करने का मिले!


जब सिचुएशन काबू से बाहर होने लगी तो मंदिर के पुरोहित ने बाहर आकर यह ऐलान किया कि भगवान का सबसे  पसंदीदा चढ़ावा जिसके पास हो वह सबसे पहले आकर उनकी पूजा कर सकता है।


जिस भीड़ में कोई एक दूसरे की आवाज भी नहीं ठीक से सुन पा रहा था वह शोरगुल जैसे एकदम चुप होकर सन्नाटा सा छा गया। सब यह सोचने लगे कि भगवान का सबसे पसंदीदा चढ़ावा क्या हो सकता है?


किसी ने कहा कि मैं बर्फी लाया हूं। कोई बोला पेढ़ा तो कोई बोला इमरती। सब ने तरह-तरह के पकवानों के नाम लिए और पुरोहित से पूछा कि क्या यह भगवान का पसंदीदा चढ़ावा है? हर बार पुरोहित ने सिर हिला कर मना कर दिया कि इनमें से कोई भी चढ़ावा भगवान का पसंदीदा चढ़ावा नहीं है।


इसी भीड़ में एक नेता नुमा आदमी भी खड़ा था। वह आगे आया और बोला तो पुरोहित जी आप ही बता दीजिए भगवान को क्या पसंद है वही लाकर उन्हें चढ़ा देंगे।


पुरोहित जी मुस्कुराए और सब को संबोधित करके बोले भगवान को सबसे ज्यादा पसंद है अहंकार का चढ़ावा! जो भी अपना अहंकार भगवान के चरणों में अर्पित करना चाहता हो वह सबसे पहले आगे आए और भगवान की पूजा करें। अगर कोई अहंकार भी अर्पण करने के लिए तैयार ना हो तो उसका  छोटा भाई क्रोध भी भगवान को उतना ही पसंद है! वह भी चढ़ावे के रूप में भगवान पसंद करते हैं।


पूरी भीड़ में सन्नाटा छाया रहा। ना कोई बोला ना कोई आगे आया। हर एक वह व्यक्ति जो पहले आगे जाने के लिए एक दूसरे से लड़ रहा था, वह अब एक दूसरे के मुंह ताकने लगे।


घमंड कह लो, ईगो कह लो या अंहकार सभी को पता है कि यह उनके दुश्मन है लेकिन इस दुश्मन से छुटकारा पाना इतना आसान नहीं होता। जब इस दुश्मन को ठेस पहुंचती है तब उसका छोटा भाई गुस्सा आगे आ जाता है और कहता है कि मैं देखता हूं किसने मेरे भाई को हानि पहुंचाई है! मैं उसको सीधा करता हूं।


दोस्तों, निश्चय करो कि अब से जब भी मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए जाओगे तो चाहे आप फुल, नारियल और कोई पकवान ले जाओ या ना ले जाओ, अपना अहंकार और गुस्सा ले जाओगे और भगवान के चरणों में अर्पण कर कर आओगे।

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