पैसों का पेड़ : एक रोचक कहानी | Very interesting story
सोहन नाम का एक लकड़हारा था। एक दिन वो जंगल से लकड़ियां काटकर अपने घर को वापिस लौट रहा था। रास्ते में उसे एक तपस्वी दिखाई पड़ा। कड़ी सर्दियों के दिन थे । तपस्वी ठंड की वजह से काफी थरथर कांप रहा था। स्वभाव से दयालु और परोपकारी लकड़हारे ने अपनी लकड़ियों में से कुछ सुखी लकड़ियां उस के पास जला दीं। तपस्वी को बहुत राहत हुई ।
लकड़हारे के इस व्यवहार से खुश होकर तपस्वी ने उसको एक जादुई पत्थर दीया। उस जादुई पत्थर का रहस्य समझाते हुए तपस्वी ने लकड़हारे से कहा कि जब भी उसे पैसों की जरूरत होगी वह किसी भी पेड़ से इस पत्थर को लगा देगा और एक मंत्र जो वह उसे देने वाले हैं वह पढ़ेगा तो वह पेड़ पैसों का पेड़ बन जाएगा! इस तरह से वह जितने चाहे पैसे अपने लिए बना सकता है और जरूरतमंदों की मदद कर सकता है और अपने अच्छे कार्यों को निरंतर चालू रख सकता है।
तपस्वी ने लकड़हारे को एक मंत्र बताया और साथ में यह भी बताया कि यह मंत्र पेड़ को पैसों के पेड़ में रूपांतरित करने के लिए कितना जरूरी है। लकड़हारे ने तपस्वी का आभार प्रकट किया और वह अपने घर आ गया।
लकड़हारे ने अपनी धर्मपत्नी को वो जादुई पत्थर दिखाया और सारी घटना के बारे में भी बताया। सारी बात जानकर उसकी पत्नी भी बहुत खुश हुई। अब लकड़हारे और उसकी पत्नी को जब भी पैसोंकी जरूरत होती थी, वे दोनों किसी भी पेड़ को पैसों का पेड़ बना लेते थे और जितने होसके उतने परोपकार के काम किया करते थे।
एक दिन उनके एक पड़ोसी ने उन्हें पेड़ को पैसों के पेड़ में बदलते हुए देख लिया। उसके मन में लालच आ गया। एक रात उसने वह पत्थर चुरा लीया ।
उसने पत्थर को किसी पेड़ से लगाया और इंतजार करने लगा की वो पैसों का पेड़ बने। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उसे मंत्र के बारे में भी पता नहीं था।
दूसरी तरफ लकड़हारा परेशान था। उसने पूरे घर में पत्थर को ढूंढा, लेकिन उसे कहीं भी वो नही मिला । वह परेशान होकर तपस्वी के पास पहुंचा। तपस्वी ने अपनी शक्ति से चोर का पता लगा लिया। पत्थर उस लालची पड़ोसी के पास था। लालची पड़ोसी ये सोच सोच कर पागल हो गया की पत्थर काम क्यों नही कर रहा। लकड़हारे ने उस पत्थर को वापिस पाया और तपस्वी को लौटा दिया और अपनी मेहनत से जितना संभव था उतना दान धर्म का काम करते रहा।
इसीलिए कहते है कि चोरी करना बहुत बुरी बात है और अधूरा ज्ञान और जानकारी काफी हानिकारक होते है।
