अच्छा व्यवहार : एक शिक्षा देनेवाली कहानी | Kahani
एक गुरुकुल में कई सारे शिष्य गुरु के साथ रहकर पढ़ाई कर रहे थे। इन सभी शिष्यों में एक शिष्य ज्यादा गुस्से वाला था। ये शिष्य हमेशा किसी ना किसी से नाराज रहता था। उसकी किसी से भी बनती नहीं थी और इस वजह से वो अकेला और दुखी भी रहा करता था।
शिष्य यह देखकर हमेशा हैरान रहता था कि उसके गुरु को कभी गुस्सा नहीं आता! किसी पर नाराज नहीं होते और हमेशा उनके चेहरे पर मुस्कान रहती है।
1 दिन शिष्य अपने गुरु के पास गया और उनसे हाथ जोड़कर पूछा... गुरु जी आप कैसे इतना मधुर व्यवहार सबसे बनाए रख सकते हैं? इसका रहस्य क्या है? मुझे भी बताइए।
गुरु गंभीर हुए और शिष्य से बोले मेरा रहस्य तो मैं नहीं बताऊंगा लेकिन तुम्हारा एक रहस्य मुझे पता है अगर तुम चाहो तो मैं वह तुम्हें बता सकता हूं! शिष्य ने आश्चर्य से पूछा मेरा रहस्य? बताइए मैं जानना चाहता हूं।
गुरु ने कहा तुम्हारे पास अब जीवन जीने के लिए सिर्फ 7 दिन शेष बचे है! उसे गुरु के मुंह से ऐसी बात सुनकर बड़ा आघात लगा। अगर किसी और के मुंह ये से बात सुनी होती तो उसे मजाक समझ कर टाल देता। लेकिन खुद उसके गुरु ने यह बात कही थी इसलिए उसको यह बात माननी ही थी। शिष्य ने गुरु को प्रणाम किया और वहा से चला गया।
अगले दिन से ही शिष्य बिल्कुल बदल सा गया। सबसे अच्छे से बात करने लगा। पहले जिन से नाराज रहता था, जिन पर उसे गुस्सा आता था उनसे भी वह ठीक से बात कर रहा था। अगर कोई पलट के उसे कुछ बोल भी देता तो भी वह उससे माफी मांग रहा था। उसने इन 7 दिनों में उन सभी से माफी मांगी जिनका कभी उसने दिल दुखाया था।
देखते ही देखते 7 दिन बीत गए। शिष्य ने सोचा अब उसका आखिरी समय आ ही गया है तो क्यों ना आखिरी बार गुरु का आशीर्वाद लिया जाए। शिष्य सीधा अपने गुरु के पास पहुंचा और बोला गुरुजी मेरा आखिरी समय आ गया है इसलिए आप मुझे आशीर्वाद दीजिए।
गुरु ने कहा मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है पहले बताओ कि तुम्हारे सात दिन कैसे बीते? क्या किसी से तुम्हारा फिर से झगड़ा हुआ? शिष्य ने कहा कि नहीं अब उसने किसी से झगड़ा नहीं किया क्यों की वह जानता था कि उसके पास सिर्फ 7 दिन बचे हैं इसलिए इन 7 दिनों को फालतू की चीजों में व्यर्थ करना नहीं चाहता था।
गुरु मुस्कुराए और शिष्य से बोले तुम उस दिन मुझसे मेरा रहस्य पूछ रहे थे ना ? यही मेरा रहस्य है मैं नहीं जानता हूं कि कब मेरी मृत्यु हो जाएगी इसलिए मैं हमेशा उसी हिसाब से जीवन जीता हूं कि मैं कभी भी मर सकता हूं और वह सभी फालतू की चीजों से जिनसे किसी को दुख होता है ,किसी का नुकसान होता है,किसी का मन दुखता है उन से दूर रहता हूं।
शिष्य को समझ में आ गया कि गुरु ने उसे जीवन का सबसे बड़ा बोध देने के लिए यह 7 दिन वाला झूठ बोला था। शिष्य ने अब जीवन भर के लिए उस बात को याद रक्खा और हमेशा लोगों से अच्छा व्यवहार किया।
दोस्तों क्या आपको नहीं लगता कि हमारे जीवन में भी सिर्फ 7 दिन ही बचे हैं? सोमवार से रविवार और आठवां दिन तो बना है ही नहीं! इसलिए हमें भी उस शिष्य की तरह ही हमेशा सबसे अच्छा व्यवहार करना चाहिए।
