एक कदम : कहानी जो आगे बढ़ना सिखाए | Motivational Story
आज की कहानी पढ़कर आपके रुके कदम अपने आप आगे बढ़ने लगेंगे। आज की कहानी आपको अपने लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी इसलिए एक बार इस कहानी को पूरी जरूर पढ़िएगा। तो चलिए जानते है क्या है कहानी ?
पहाड़ी प्रदेश में एक छोटा सा गांव था। इस गांव में धीरज नामका एक बच्चा रहा करता था। इस गांव के पासवाले एक पहाड़ पर एक बहुत ही प्रसिद्ध एक मंदिर था। इस मंदिर में देशविदेश से कई यात्री दर्शन करने आते थे। वो आते थे तब काफी थके हुए,निराश और दुखी नजर आते थे लेकिन लौटते समय उनके चेहरे पर खुशी होती थी या एक नई उम्मीद होती थी की उनकी प्रॉब्लम्स जरूर दूर हो जाएगी।
धीरज के घर से ये मंदिर सिर्फ 8 किलोमीटर की दूरी पर था लेकिन वो कभी भी इस मंदिर में नहीं गया था! वो सोचता था की मंदिर इतनी नजदीक तो है वो जब चाहे वहां जा सकता है। उसकी इसी सोच के चलते कई साल बीत गए वो युवा और फिर प्रौढ अवस्था में भी आगया लेकिन फिर भी वो मंदिर नही पहुंचा।
उसके जीवन का सबसे कठिन दौर शुरू हुवा तो वो सोचने लगा की पूरी दुनिया से लोग इस मंदिर आकर अपनी परेशानियां दूर करते है और वो है जो अबतक इतना नजदीक होने के बाद भी मंदिर की कृपा नही ले पाया। इस विचार से वो सो नही पा रहा था। पता नही उसे क्या सूचा की रात को 2 बजे अपनी चार्जेबल टॉर्च लेकर वो मंदिर की और निकल पड़ा।
वह जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया अंधेरा और भी घना होता गया। एक समय ऐसा आया जब अंधेरा इतना घना हो गया कि उसके बैटरी की रोशनी से तीन चार कदम दूर कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था। उसने सोचा सुबह होने के बाद जब रोशनी बढ़ जाएगी तब वह मंदिर चला जाएगा। ऐसा सोचकर वह एक जगह देखकर वहां पर बैठ गया।
धीरज वहां बैठकर सुबह होने का इंतजार कर रहा था तब उसने दूर से एक आदमी की परछाई अपने तरफ आते दिखी थोड़ी देर बाद जब वो आदमी करीब आया तो उसे साफ साफ दिखाई दिया कि वह एक बूढ़ा आदमी था जो एक लकड़ी के सहारे और दूसरे हाथ में एक छोटा सा दिया लेकर चले जा रहा था।
धीरज को उस बूढ़े आदमी को देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ। धीरज ने बूढ़े आदमी के थोड़ा पास जाकर उनसे पूछा कि वह कहां जा रहे हैं? आदमी ने कहा कि वह पहाड़ वाले मंदिर पर जा रहा है। धीरज बोला की आप इस छोटे से दिए के भरोसे जिससे आपको सिर्फ एक कदम तक की दूरी ही दिखाई देती है भला कैसे इतने दूर मंदिर का सफर तय कर सकते हैं?
बूढ़े आदमी ने जो कहा वह सुनकर धीरज की जिंदगी भर की सोच बदल गई। बूढ़े ने कहा उतना ही तो काफी है! मुझे सिर्फ एक कदम दूर दिखाई दे उतना काफी है। मैं एक कदम आगे बढूंगा तो और अगला एक कदम मुझे दिखाई देगा और इस तरह एक-एक कदम करके मैं मंदिर तक पहुंच जाऊंगा। एक कदम से ज्यादा कोई इस दुनिया में देख पाया है भला?
दोस्तों, हमें जीवन में कहीं भी पहुंचने के लिए, किसी भी क्षेत्र में कामयाब होने के लिए सिर्फ एक कदम उठाना काफी है। हम उस दिशा में एक कदम बढ़ाएंगे तो अगला कदम हमें अपने आप दिखाई दे जाएगा। हम एक दरवाजा खोलेंगे तो कई दरवाजे अपने आप खुल जाएंगे।
