बहाने : एक रोचक कहानी | Richak Kahani

 बहाने : एक रोचक कहानी | Richak Kahani


आज की कहानी आप को सीखा देगी की आज तक आप अपनी असफलताओं के लिए ,जीवन में प्रगति न हो पाने के लिए जो दूसरों पर आरोप लगाते है वो बिल्कुल ही सही नही है! आप पूछेंगे कैसे तो चलिए समझने के लिए पढ़ते है ये रोचक कहानी...


बहाने : एक रोचक कहानी | Richak Kahani


राजस्थान में रेगिस्तान के करीब एक गांव में एक आदमी रहता था। इस आदमी का काम कुछ ऐसा था की उसे कई बार रेगिस्तान से चलकर गुजरना पड़ता था। 


एक दिन भर दोपहर में जब ये आदमी रेगिस्तान से सफर कर रहा था तब उसके हर कदम के साथ गरमी बढ़ती जा रही थी और आदमी बुरी तरह से थकता जा रहा था। आदमी को न जाने क्या सूचा उसने अचानक आसमान में देखा और जोर से बोला.. "क्या भगवान आपको ये रेगिस्तान बनाने की क्या जरूरत थी? चलो बना भी दिया तो कम से कम यहा पानी की व्यवस्था तो कर देते जिससे कोई भी यहां पेड़ पौधे उगाकर इस प्रदेश को हराभरा कर देता।"


इतना बोलकर आदमी आसमान की तरफ देखता रहा मानो जैसे भगवान से उत्तर मिलने की राह देख रहा हो! कुछ मिनटों बाद जब वो अपना सफर कंटिन्यू करता है तो थोड़ी दूरी पर ही उसे एक कुवा दिखाई देता हैं! आदमी बड़ा अचंभित होता है क्योंकि इतने सालो से वो इस रास्ते से आ जा रहा था लेकिन पहले कभी भी उसको यहां कूवा कही नजर नही आया था।


आदमी कुवे के पास गया तो कूवे में पानी था। आदमी को लगा की उसने पानी की मांग करके गलती कर दी है! कही रेगिस्तान को हराभरा करने का काम उसके माथे ना पड़ जाएं इसलिए वो भगवान से बोला पानी तो आ गया लेकिन बिना रस्सी और बाल्टी के वो पानी कैसे निकलेगा?


आदमी ने इतना बोला ही था की उसकी नजर पास ही में पड़े रस्सी और बाल्टी पर पड़ी! अब आदमी डरने लगा... फिर कुछ सोचकर बोला की मैं अकेला कैसे इतना सारा पानी ढोह सकता हु? 


अगले ही पल आदमी को ऐसा लगा जैसे उसे पीठ पर कोई छू रहा है! उसने पीछे मुड़कर देखा तो एक रेगिस्तानी ऊंट वहा खड़ा था। अब आदमी को डर के मारे पसीने छूटने लगे। उसको लगा की वो कोई भी बहाना बनाएगा और उसके लिए भगवान कोई तोड़ भेज देगा इसलिए अब वो बिना कुछ बोले या सोचे चुपचाप आगे बढ़ने लगा तभी एक कागज उड़ते उड़ते उसे चेहरे से चिपक गया! उस कागज को ध्यान से देखने पर आदमी को कुछ लिखा हूवा दिखा जिसे आदमी ने पढ़ा " मैने तुम्हे वो हर चीज दी जिससे तुम इस रेगिस्तान को हराभरा कर सको।"  ये पढ़ने के बाद भी आदमी चुपचाप आगे बढ़ गया।


दोस्तो अब आप अच्छे से समझ गए होंगे की मैं कया कहना चाह रहा था। हम किसी से कहे या ना कहे हम बहाने बनाते है। हमे कई बार मौके मिलते है आगे बढ़ने के लिए लेकिन हम उन्हे अनदेखा करते है या किसी डर की वजह से उन मौका से ही दूर भागने लगते है। ये कहानी हमें ये साफ साफ बताती है कि सब हमारे हाथ में होता है और ये हमारी ही चॉइस होती है जो हमे कामयाब या नाकामयाब बनाती है।


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