मनुष्य दुखी क्यों? : हिंदी कहानी

 गेहूं की बोरियों से खचाखच  भरी एक एक ट्रक रास्ते से गुजर रही थी। रास्त खड्डो से भरा और उबड़खाबड़ था। ट्रक  उसपर डोलते हुए जा रही थी। गेहूं की 1 बोरी झटका लगने से रास्ते पर गिर गई। ट्रक के ड्राइवर को इसकी भनक तक नहीं हुई इसलिए वो आगे निकल गया।


Kahani


कुछ देर बाद वहा कुछ चिंटिया आई। उन्होंने गेहूं को देखा तो वो फूली नहीं समाई। उन्होंने गेहूके चंद दाने खाए और वहा से खुश होकर चली गई।


कुछ देर बाद गेहूं पर कुछ पक्षियों की नजर पड़ी तो वो नीचे आए 100-200 ग्राम दाने चुगे और अपने सफर में आगे बढ़ गए।


2 घंटों बाद वहा से एक गाय गुजरी। बोरी के पास रूकर उसने 4-5 किलो गेहूं खाए और संतुष्ट होकर आगे बढ़ गई।


अब आखिर में वहा से एक मनुष्य गुजरा। उसने जब उस बोरी को देखा तो उसने सारे गेहूं समेटे और बोरी को अपने पीठ पर लादकर अपने घर की तरफ चला पड़ा। इतना मुफ्त का गेहूं पाकर भी उसके मन में यही चला रहा था की काश उसे 1 की बजाय 2 बोरिया मिली होती! इतने गेहूं तो 2 महीनो में खत्म हो जाएंगे!


दोस्तों ऐसा ही है मनुष्य! भगवान ने उसे हर प्राणी से ज्यादा दिया है फिर भी वो सबसे ज्यादा दुखी है क्योंकि जहा बाकी सभी प्राणी सिर्फ अपना पेट भरने के लिए जीते है वही मनुष्य जीता है कभी ना खत्म होनेवाली अपनी तृष्णा और भूख के लिए।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने