गांव में एक ऊंट का व्यापारी कई सारे ऊंट लेकर बेचने के लिए आया। उसने ऊंट के जो दाम रखे थे वह कई लोगों को बहुत सस्ते लगे। लगभग गांव के हर एक जरूरतमंद आदमी ने अपने लिए उससे उठ खरीदे। लेकिन चुन्नीलाल ने एक भी ऊंट नही खरीदा।
कुछ हफ्ते बीतने के बाद उसी गांव में ऊंट का एक और व्यापारी आया। ये व्यापारी जो ऊंट लाया था वो गुणवत्ता और कीमत में पहले वाले से दोगुना थे। इस बार गांव में किसी भी व्यक्ति ने उनको नहीं खरीदा लेकिन चुन्नीलाल ने खरीदा।
व्यापारी के जाने के बाद चुन्नीलाल को उसके दोस्तों ने डांटा। उनका कहना था कि जब पहले व्यापारी ना के बराबर कीमत में ऊंट दे रहा था तब चुन्नीलाल ने नहीं खरीदा और अब दोगुनी कीमत देखकर अपना नुकसान करवा बैठा।
चुन्नीलाल मुस्कुराया और सबको बोला। हां यह बात सच है कि मैं इस बार दोगुनी कीमत देखकर ऊंट खरीदे हैं लेकिन वह फिर भी मुझे सस्ते पड़े हैं! सब उसकी तरफ अचरज भरी नजरों से देखने लगे।
चुन्नीलाल ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा की पहली बार मेरे पास पैसों की बहुत कमी थी इसलिए तब मेरे लिए वह कम कीमत भी बहुत ज्यादा थी लेकिन इस बार मेरे पास जरूर से ज्यादा पैसे थे इसलिए इस बार मेरे लिए वोट काफी सस्ते थे।
जब हमारे पास पैसे कम होते हैं तब कम से कम खर्च करना या ना खर्च करना ही फायदे का सौदा होता है। कई लोग कुछ वस्तुएं खरीदने के लिए दूसरों से उधार लेते हैं और बाद में उसका ब्याज देकर उसकी कीमत से कई ज्यादा पैसा चुकाते है।
