घर का वास्तु : रोचक कहानी | Rochak Kahani
राजस्थान के एक सज्जन आदमी जिनका नाम प्रेमलाल था उन्होंने अपने सेविंग्स का बड़ा हिस्सा खर्च करके एक गांव में एक दो मंजली सुंदर घर खरीदा। घर सुंदर तो था ही लेकिन इसे खरीदने के पीछे एक और कारण था की इस घर के पीछे आम के कई पेड़ थे और प्रमलाल की धर्मपत्नी को आम काफी पसंद थे।
वो काफी खुश थे उन्हें उनके रिश्तेदार और पड़ोसियों से भी उनके लिए गए इस निर्णय के लिए काफी तारीफ मिली थी, साथ साथ ही साथ इनमे से अधिकतर लोगों ने उन्हें एक सलाह भी दी थी की उन्हें अपने इस नए घर की वास्तु भी एक बार देख लेनी चाहिए।
जब कई लोगो ने उनसे कहा इसलिए प्रेमलाल ने किसी वास्तुशास्त्री को अपने घर पर बुलाकर इस काम को भी करने का निर्णय लिया। उन्ही के किसी रिश्तेदार के पहचान के दिल्ली के एक काफी प्रख्यात वस्तुशास्त्री को उन्होंने निमंत्रण भेजा।
वास्तुशास्त्री फ्लाइट लेकर जयपुर आए और वहां पर प्रेमलालजी उन्हें अपनि गाड़ी में रिसीव करने गए। वहां से घर वापस लौटते वक्त रास्ते में वास्तुशास्त्री प्रेमलाल जी को बड़े ध्यान से ऑब्जर्व कर रहे थे। प्रेम लाल जी हर उस गाड़ी को जो उन्हें ओवरटेक करके आगे जाना चाहती थी रास्ता दे देते थे। वास्तु शास्त्री यह सब बड़े ध्यान से देख रहे थे। जब कई लोगों को प्रेम लाल जी ने खुद से आगे जाने का रास्ता दे दिया तब वास्तुशास्त्रीजी ने उनसे पूछा कि आप हर किसी को रास्ता क्यों दिए जा रहे हैं?
प्रेम लाल जी ने अपना पक्ष बताते हुए कहा कि हो सकता है इन ओवरटेक करने वालों को हमसे ज्यादा जरूरी कोई काम हो। हमारा क्या है हम आराम से चले जाएंगे।
थोड़ी दूर जाकर उनके गाड़ी के आगे एक बच्चा दौड़ते हुए गुजारा। प्रेम लाल जी ने तुरंत ब्रेक लगाई। उस बच्चे के जाने के बाद भी प्रेमलाल जी बाहर उतरे और इंतजार किया थोड़ी देर बाद वहीं से एक और बच्चा गुजरा फिर प्रेमलालजी गाड़ी में बैठे और गाड़ी चलाने लगे। इस बार फिर से वास्तु शास्त्री जी ने पूछा कि आपको कैसे पता था कि यहां से एक और बच्चा गुजरेगा?
प्रेमलाल जी बोले : याद कीजिए शास्त्री जी जब हम बच्चे थे तो क्या हम अकेले खेलते थे? नहीं ना! हम ऐसे ही तो अकेले नहीं दौड़ते थे। हमारे पीछे कई और बच्चे भी तो दौड़ते थे। इसलिए मुझे पता था कि इस बच्चे के पीछे भी कोई बच्चा या कई और बच्चे जरूर भाग रहे होंगे। उन्हें चोट ना लग जाए इसलिए मैं रुक गया था।
कुछ घंटे गाड़ी चलाने के बाद दोनों प्रेमलाल जी के उस नए घर तक आ पहुंचे। जब वे गाड़ी से उतरने वाले थे तो प्रेम लाल जी ने देखा कि उनके घर के पीछे से कुछ पंछी उड़ कर आ रहे थे। प्रेमलाल जी वापस गाड़ी में बैठे और वास्तु शास्त्री को भी कहा कि थोड़ी देर गाड़ी से मत उतरिए। जब वास्तुशास्त्री जी ने पूछा कि क्यों? तो फिर प्रेमलाल जी ने बताया कि घर के पीछे आम के पेड़ है। वहां से पंछी उड़ कर आए मतलब गांव के कुछ बच्चे बड़े प्यार से आम तोड़ने आए होंगे! अगर हम उन्हें दिख गए तो हड़बड़ी में गिर सकते हैं, उन्हें चोट लग सकती है। इसलिए उन्हें आम तोड़कर ले जाने दीजिए फिर हम चलते हैं!
कुछ मिनटों बाद सचमुच उनके घर के पीछे से कुछ बच्चे आम तोड़ कर ले जाते नजर आए। प्रेम लाल जी ने वास्तु शास्त्री जी से कहा कि चलिए घर आ गया है, घर का वास्तु देख लीजिए। वास्तु शास्त्री जी मुस्कुराए और प्रेम लाल जी से कहा कि मुझे आपके घर का वास्तु देखने की कोई आवश्यकता नहीं है!
प्रेम लाल जी को लगा कि कहीं उनसे कोई गलती तो नहीं हो गई? उन्होंने हाथ जोड़कर वास्तुशास्त्री से कहा कि माफ कीजिए अगर मुझसे कोई गलती हो गई हो तो! वास्तु शास्त्री जी ने खुद उनके आगे हाथ जोड़े और कहा कि नहीं आप से कोई गलती नहीं हुई है आप जैसे स्वभाव के आदमी जहां भी रहेंगे वहां कोई वास्तुदोष हो ही नहीं सकता। बल्कि मैं तो कहूंगा कि किसी वास्तु दोष वाली जगह को भी आप जैसे लोग दुनिया की सबसे अच्छी जगह बना देंगे। आपके मन में सबके लिए दया भाव है, प्रेम भाव है। आप खुद से पहले दूसरों की सोचते हैं इसलिए कोई वास्तु,कोई मुश्किल आप जैसे लोगों का कुछ नहीं बिगाड़ सकती।
