कहानी : मानव जीवन और शरीर दुर्लभ है
एक बार की बात है एक दयालु राजा ने एक लोहार की दुर्दशा देखकर उसको चंदन का बगीचा उपहार में दे दिया।
लेकिन उस लोहार को चंदन के पेड़ों की कीमत का कोई ज्ञान नहीं था। लेकिन वो ये जानता था की लकड़ी की तुलना में उसके कोयले थोड़े महगे बिकते है इसलिए उसने पेड़ों को काटा और उन्हें कोयले के रूप बदल के बेच दिया! धीरे-धीरे पूरा बगीचा खत्म हो गया।
कुछ दिनों बाद राजा उस लोहार के घर के पास से ही गुजर रहा था। राजा ने सोचा कि लोहार अब बहुत अमीर हो गया होगा। उसे मिलकर उसका हालचाल पूछता चालू.. लेकिन वास्तव में देखने पर मालूम हुआ कि लोहार की हालत पहले जैसी ही है। राजा को आश्चर्य हुआ!
राजा को लोहार ने बगीचे के साथ क्या किया उसका पता चला। राजा को लोहार की अज्ञानता से दुख हुआ। राजा ने लोहार से पूछा, क्या तुम्हारे पास उन पेड़ो का कोई हिस्सा बच्चा है? तब लोहार ने कुल्हाड़ी का हटाया राजा को दिखाया।
राजा ने उस चंदन की लकड़ी को लेकर लोहार को एक चंदन के व्यापारी के पास भेजा। लोहार को उस एक छोटे से टुकड़े के लिए बहुत सारा पैसा मिला। लोहार को अपनी गलती का एहसास हुआ तो वो बहुत रोया, उसने राजा को एक और बगीचा देने की विनती की। ऐसा तोहफा बार-बार नहीं मिलता कहकर राजा ने उसे मना कर दिया।
अब इस कहानी को हम अपने जीवन के साथ जोड़ कर देखते है। दोस्तों हमारी जिंदगी भी उस लोहार की तरह है। हमे अपने जीवन का महत्व, जीवन के अंतिम स्वासो में ही समझ आता है। जब हम समझते है तब... हम कहते हैं, 'भगवान मुझे थोड़ा और समय दे दो, लेकिन उस समय समय मिलना असंभव है। ' मानव जीवन अनमोल है। ऐसी जिंदगी दोबारा नहीं मिलेगी।
कहानी का सार : इस दुनिया में नंबर एक दुर्लभ चीज़ क्या है? मानव जीवन और मानव शरीर। इस चंदन का मूल्य समझलो वरना उसका कोयला तो होना ही है।
