Hindi kahani-ghamand kisi ka nahi tikta

 दोस्तों, आप कभी रेगिस्तान गए हो? चलो मान लेते है गए होंगे अगर नहीं भी गए होंगे तो टीवी पर या फिल्मों में जरूर रेगिस्तान देखा होगा और इस बात पर भी ध्यान दिया होगा कि रेगिस्तान में ज्यादा हरे भरे पेड़ पौधे नहीं होते, हां होते भी है तो कांटो वाले और केक्टस टाइप के छोटे-छोटे पौधे या झाड़ियां होती है। यह सारी बातें हम आपको क्यों बता रहे हैं इनका आज की कहानी से क्या वास्ता? जी बिल्कुल वास्ता है आज की कहानी ऐसे ही एक कैक्टस के बारे में है। चलो पढ़ते हैं आज की कहानी..


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एक बहुत बड़े रेगिस्तान में एक कैक्टस का छोटा सा पौधा था उसकी कुछ दूर ही एक बहुत सुंदर गुलाबी रंग का गुलाब का पौधा था। गुलाब के पौधे को अपने रंग रूप और सुंदर होने पर बहुत घमंड था। चलो अपने रंग रूप और अच्छा दीखने पर घमंड होता तो भी ठीक था मगर उसे न जाने क्यों कैक्टस के पौधे से बेवजह की नफरत थी जो वह बार-बार कैक्टस को ताने सुना सुना कर बयां करता रहता था। कैक्टस बिचारा उसका कोई जवाब नहीं देता वह गुलाब कि जली कटिं और उसके रंगरूप का अपमान करने वाली बातें चुपचाप सुन लेता।


आसपास के दूसरे पौधे गुलाब के पौधे को समझाने की बहुत कोशिश करते हैं कि तुम बेवजह उसको क्यों सताती हो उसका अपमान करते हो इसमें उसका कोई दोष नहीं है कि वह अच्छा नहीं दिखता तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए तुम्हें उसकी माफी मांगनी चाहिए। मगर घमंडी गुलाब कहां मानने वाला था उस पर दूसरे पौधों के समझाने का कोई भी असर नहीं होता।


वैसे तो रेगिस्तान में हमेशा ही पानी की किल्लत रहती है मगर एक बार रेगिस्तान में बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई जिस वजह से धीरे-धीरे रेगिस्तान में पानी इतना कम हो गया कि सारे पेड़ पौधे मुरझा गए और धीरे-धीरे सूख कर मरने लगे। गुलाब के पौधे की भी यही दशा होने लगी थी। 


1 दिन गुलाब ने देखा कि कैक्टस के ऊपर एक चिड़िया बैठी है और कैक्टस में वह अपनी चोच घुसा कर उसमें का पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रही है! हालाकी कैक्टस से बात करने में गुलाब को बहुत हिचकिचाहट हो रही थी और उसको अपने पहले किए बर्ताव पर काफी पछतावा हो रहा था फिर भी गुलाब ने कैक्टस से थोड़ा सा पानी मांगा ताकि वह जिंदा रह सके।

कैक्टस पहले से ही भले स्वभाव का था उसने गुलाब को माफ कर दिया और उसे पानी देकर मदद की।


दोस्तों, हमें यह कहानी यही सिखाती है कि सिर्फ ऊपरी रंग रूप कुछ भी मायने नहीं रखता मायने रखता है लोगों का स्वभाव

इसीलिए हमें किसी का भी मजाक या तिरस्कार करने से पहले सौ बार सोच लेना चाहिए हो सकता है हमारे विचार हमारी सोच गलत हो और सामने वाला सही हो।

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