मुर्ख राजा और बुद्धिमान मंत्री
एक बहुत बड़ी और लंबी नदी के किनारे एक राज्य बसा हुआ था। इस राज्य में जो राजा राज करता था वह काफी मूर्ख था, लेकिन उसका जो मंत्री था वह काफी बुद्धिमान और समझदार था जो उसकी हर मूर्खता को अपनी समझदारी और बुद्धि से संभाल लिया करता था।
एक बार राजा अपने मंत्री के साथ नदी के किनारे टहलने निकला। राजा ने मंत्री से सवाल पूछा - मंत्री तुम्हें क्या लगता है, मेरे राज्य में सभी लोग खुशहाल है कि नहीं?
मंत्री जानता था राजा चाहे मूर्ख ही क्यों ना हो उसके खिलाफ जाना यानी मुसीबत को आमंत्रण देना होगा इसलिए मंत्री ने राजा से कहा - हां महाराज सब इतने खुश हैं कि इसी राज्य में नहीं, आजू बाजू के सभी राज्यों में लोगों के जुबान पर आपका ही नाम है।
ऐसा जवाब सुनकर राजा को भी खुशी हुई। थोड़ी देर तक टहलने के बाद राजा ने फिर से मंत्री से पूछा - यह नदी बह कर कहां जाती है? मंत्री ने कहा - यह नदी जो हमारे राज्य के पास वाले पहाड़ों से निकलती है वो बेहकर पूर्व के देश में चली जाती है।
राजा ने मंत्री से कहा - यह सही बात नहीं है, भला हमारी नदी का पानी दूसरे देश के लोग क्यों इस्तेमाल करें! राजा ने तुरंत मंत्री को कहा कि इस नदी का पानी दूसरे देश में जाने से रोकने के लिए तुरंत इस पर दीवाल बना दो!
मंत्री ने राजा को समझाया कि इससे उल्टा हमारा ही नुकसान हो सकता है। मगर राजा कहां मानने वाला था? राजा ने कहा - मैं कुछ नहीं सुनना चाहता मुझे इस नदी का पानी सिर्फ अपने राज्य के लिए चाहिए।
बेचारा मंत्री मूर्ख राजा को समझाएं भी कैसे? अंततः मंत्री ने राजा का हुक्म मान लिया और कई कारीगर बुलाकर उस नदी पर बड़ी सी दीवाल बनवा दी जिससे अब इस नदी का पानी उसी राज्य में रुकने लगा। जब तक गर्मी का मौसम था तब तक कोई समस्या नहीं आई लेकिन जब बारिश का मौसम शुरू हुआ तो इस नदी का पानी इतना बढ़ गया कि अब उस राज्य के सभी घरों में घुसने लगा! राज्य की सारी प्रजा परेशान होने लगी।
राज्य के कुछ समझदार लोग इकट्ठा हुए और इस समस्या का हल करने के लिए विचार विमर्श करने लगे। सबको पता था कि यह मुसीबत राजा के मूर्खतापूर्ण निर्णय की वजह से आई है, लेकिन राजा के खिलाफ कोई नहीं बोल सकता था।
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एक समझदार बुजुर्ग के कहने पर सभी लोग मंत्री के पास गए और उनसे विनती की - मंत्री जी आप ही हमें इस मुसीबत से आजादी दिलवा सकते हैं। आप जानते ही हैं कि बेवजह की उस दीवाल की वजह से नदी का पानी बाढ़ में बदल चुका है और अब हमारी फसलें खराब करने के बाद हमारे घरों में घुसने लगा है अगर जल्द ही कुछ ना किया गया तो काफी नुकसान हो जाएगा और हो सकता है हमें यह राज्य छोड़कर भी जाना पड़े।
मंत्री जी ने सभी की बात ध्यान से सुनी और सब को सांत्वना दी - तुम चिंता मत करो मैं जल्द ही इसका हल निकाल लूंगा।
सब लोग वहां से चले गए। उस दिन मंत्री रात भर नहीं सोया और सोचता रहा कि इस समस्या से कैसे छुटकारा पाया जाए? आखिरकार मंत्री को एक उपाय सूचा।
उस दौर में समय देखने के लिए घड़ी तो थी नहीं इसलिए राज्य में एक आदमी को नियुक्त किया जाता था जो हर घंटे में ध्वनि बजाकर लोगों को बताता था कि अब एक घंटा बीत गया है।
मंत्री इस समय बताने वाले व्यक्ति के पास गया और उससे कहा कि तुम आज रात को हर 1 घंटे में ध्वनि बजाने के बदले आधे घंटे में ध्वनि बजाओ। वह मान गया उसने हर आधे घंटे में एक बार ध्वनि बजाई इसलिए जब रात के 3:00 बज रहे थे तब तक 6 बार ध्वनि बजी जिससे राजा को लगा कि रात के 6:00 बज चुके हैं इसलिए वह अपनी नींद से जाग गया।
राजा महल के बाहर आकर सूर्य के दर्शन करना चाहता था लेकिन उसने देखा कि अभी बहुत अंधकार है और सूर्य का कहीं नामोनिशान भी नहीं नजर आ रहा है।
इस दौरान मंत्री भी वहीं पर मौजूद था। राजा ने मंत्री से पूछा - आज इतना अंधकार क्यों है? मंत्री ने राजा को बताया - महाराज सूर्य पूर्व की दिशा से उगता है। क्योंकि हमने पूर्वक के देश में अपने नदी का पानी जाने से रोक दिया है इसलिए मुझे लगता है उन्होंने भी पूर्व दिशा से हमारे राज्य में आ रही रोशनी को रोक दिया होगा और हो सकता है अब हमारे राज्य में हमेशा के लिए अंधकार रहे!
राजा यह बात सुनकर डर गया उसने कहा कि इस समस्या का हल कैसे निकाला जाए? हम हमेशा तो ऐसे अंधेरे में नहीं रह सकते!
मंत्री ने कहा - सरल है महाराज हम नदी का पानी उन तक जाने देते हैं तो वह भी सूरज की रोशनी हम तक आने देंगे।
राजा ने तुरंत मंत्री को कहा कि हां हां वैसा ही करो, तुरंत जो हमने दीवाल बनाई है उसे तुड़वा दो। मंत्री खुश होगया और तुरंत नदी पर बनी उस दीवाल के पास गया जहां उसने पहले से कारीगरों को बुलाकर रख्खा था। कारीगरों ने मंत्री के कहने पर देखते ही देखते कुछ ही समय में दीवार गिरा दी तब तक सवेरा भी हो गया और सूरज आसमान में निकल आया।
राजा को लगा उसके राज्य में फिर से सूरज सिर्फ मंत्री कि वजह से दिखाई दिया है इसलिए उसने मंत्री कि हीरे मोतियों की पोटली इनाम में दी। राज्य के सभी लोगो ने भी मंत्री को धन्यवाद और आशीर्वाद दिया।
कहानी की सिख
इस कहानी में राजा से हम सीख सकते हैं कि अगर हम दूसरे के बारे में बुरा सोचेंगे तो हमारे हिस्से में भी कुछ ना कुछ बुराई ही आएगी इसलिए हमें सब के बारे में अच्छा सोचना चाहिए।
इस कहानी के मंत्री से हम यह सीख सकते हैं कि हमें हमेशा यह ध्यान में रखना चाहिए कि हम क्या कर रहे हैं और हम क्या बोल रहे हैं उसका परिणाम क्या होगा।
जब मुसीबत आ जाए तब भी हम अपनी सूझबूझ और बुद्धि से उससे बाहर आ सकते हैं।
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