मां का बड़ा दिल..भावुक करनेवाली कहानी | ek ma ki emotional kahani
दोस्तो, मां के विषय में लिखी गई कई तरह की कहानियां इंटरनेट पर मौजूद है और इनमें से ज्यादातर ma ki emotional kahaniya आपके आंखों में आंसू ले आती होंगी। मां के विषय में लिखी गई दर्द भरी कहानियां बच्चे हो या बूढ़े सभी को रुला जाती है क्योंकि सभी इन कहानियों से कनेक्ट कर पाते हैं।
आज की जो कहानी हम आपके साथ साझा कर रहे हैं उसका शीर्षक है ' मां का बड़ा दिल | ek ma ki emotional kahani '
एक पति पत्नी के जोड़े को दो बच्चे हुए। दोनों ही बेटे। मां बाप ने इन दोनों ही बच्चों को खूब प्यार से पाला पोसा, पढ़ाया-लिखाया, बड़ा किया और इस काबिल बनाया की यह अच्छी नौकरी कर सके। समाज में अच्छा जीवन व्यतीत कर सकें।
अपने बच्चों के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करके एक बंगले जैसा दो मजला घर बना कर दिया ताकि दोनों बेटे शादी के बाद भी एक साथ लेकिन अलग अलग कमरों में रह सके ताकि आगे चलकर कभी बंटवारे का विचार ना आए और इन में लड़ाई झगड़े ना हो।
दोनों बेटों को अच्छी नौकरियां लग गई,दोनों की ही शादी हो गई। बड़ा बेटा जो घर के पहले माले पर रहता था उसको एक बच्चा भी हुआ। पोते का मुंह देखकर दादा दादी बहुत खुश हुए। सब ठीक चल रहा था लेकिन थोड़े ही दिनों बाद बूढ़े पति की मौत हो गई।
जब तक पति जिंदा था दोनों बेटे और बहू मां का सम्मान किया करते थे। जैसे ही पति मर गया दोनों बेटे और बहुए हर दिन मां की सेवा करना तो दूर मां को हर दिन खाना खिलाने के लिए भी राजी ना थे।
दोनों बेटे और बहूओ ने मीटिंग की और तय किया कि मां को खाना खिलाने की जिम्मेदारी बांट ली जाए, यानी कि 15 दिन बड़ा बेटा और 15 दिन छोटा बेटा मां के खाने की जिम्मेदारी लेगा।
एक बूढ़ी मां की दर्द भरी कहानी ... पढ़े
जिन बेटों को बिना दिन रात देखें, भूख ना होते हुए भी और मनचाहा खाना हमेशा खिलाने के लिए जो मां तैयार रहती थी अब उसी मां को बेटों के यहां पर दिनों के हिसाब से खाना दिया जाता था।
मां का दिल बड़ा था। मां को इस बात की खुशी थी कि वह जैसे भी हो अपने बेटों के साथ रह रही है। और इसी खुशी के कारण बेटों के द्वारा दी गई रूखी सुखी भी उसे किसी पकवान से कम ना लगती। लेकिन दुर्भाग्य की बात तब हो जाती जब किसी महीने में 31 दिन आ जाते और उस एक दिन मां को भूखा ही रहना पड़ता।
एक बार जब बड़े बेटे के यहां 15 दिनों तक खाना खाने के बारी चल रही थी तब बड़ा बेटा अपनी बीवी और बच्चे के साथ कहीं बाहर किसी फंक्शन में जा रहा था। बड़े बहू ने मां से कहा,"माजी, आज खाना नहीं बनाया है। हम बाहर जा रहे हैं वहीं खाएंगे आप अपने लिए कुछ पका लेना और खा लेना।"
बूढ़ी मां ने कहा," लेकिन बेटा मुझे तो गैस चलाना नहीं आता।" बहू ने कहा," तो फिर ऐसा कीजिए कि पास वाले मंदिर में भंडारा लगता है। आप वहीं पर जाकर खा लीजिए तो आपको गैस चलाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।"
पास में ही खड़ा बेटा और पोता यह सब सुन रहे थे लेकिन कोई कुछ ना बोला।
बूढ़ी मां को भूखा ही छोड़ बेटा और बहू फंक्शन में निकल गए। मां को थोड़ा दुख तो हुआ लेकिन फिर अपने आप को यह सोचकर मना लिया," ठीक ही तो है कभी-कभी बहू को भी घर के काम से आराम मिलना चाहिए। और भगवान का भंडारा खाने का सौभाग्य किस्मत वालों को ही तो मिलता है।" मां खुशी-खुशी मंदिर में जाकर भंडारा खा आई।
कुछ दिन ऐसे ही बीत गए। 1 दिन बड़े बेटे को छुट्टी थी। बेटा, बहू और उनका बच्चा अपने घर में साथ में समय बिता रहे थे। मां-बाप छोटे बच्चे को पूछ रहे थे कि वह बड़ा होकर क्या बनना चाहता है और क्या करना चाहता है? छोटे बच्चे ने बड़े ही सरल भाव से मां-बाप को उत्तर देते हुए कहा ,"वह बड़े होकर वकील बनना चाहता है। उसकी इच्छा इस घर से भी बड़ा एक घर लेने की है लेकिन वह घर मंदिर के पास होना चाहिए!"
मां बाप ने पूछा ," घर के पास मंदिर क्यों होना चाहिए?" तब बच्चा मां बाप से कहता है घर के पास मंदिर इसलिए होना चाहिए ताकि जब मैं बड़ा होकर किसी फंक्शन में बाहर जाऊ तो आप दोनों को ज्यादा तकलीफ ना हो मंदिर नजदीक रहेगा तो आपको ज्यादा दूर जाकर भंडारा नहीं खाना पड़ेगा!"
मासूम बच्चे का ऐसा जवाब सुनकर दोनों ही के पैरों तले से जमीन खिसक गई। उन्हे अपनी गलतियों का एहसास अब जाकर हुआ था जो उनके 5 साल के बेटे ने पहले ही कर लिया था।
दोस्तों दुनिया के हर मां-बाप यह सोच कर अपने बच्चों को बड़ा करते हैं कि वह उनके बुढ़ापे की लाठी बनेंगे ना कि वह लाठी बनकर उनके ही पीठ पर बरसेंगे।
कर्म का चक्र निरंतर घूमता रहता है दोस्तों आज जो तुम दूसरों के साथ कर रहे हो आगे चलकर तुम्हारे साथ वही होगा यह तय है।
इसलिए हमेशा याद रखो कि दूसरों के साथ वैसा ही बर्ताव करो जैसा तुम चाहते हो कि बाकी लोग तुम्हारे साथ करें।
मैं जानता हूं दोस्तों यह मां की भावुक करनेवाली इस कहानी पढ़कर आप भी भावुक हो गए हैं लेकिन इस कहानी को लिखने का उद्देश्य आपको भावुक करना नहीं था बल्कि लोगों तक यह संदेश पहुंचाना था कि हमारे भारतवर्ष में जिन मां-बाप को भगवान का रूप कहा गया है उनके साथ आजकल जैसा व्यवहार हो रहा है वह नहीं होना चाहिए।
कहानी पूरी पढ़ने के लिए धन्यवाद। इस कहानी को आप लोगों तक पहुंचाईये जितना हो सके शेयर कीजिए और ऐसा करने से अगर कुछ लोग भी अपने बूढ़े मां बाप के साथ अच्छा व्यवहार करने लगते हैं तो हम अपने आप को सौभाग्यशाली समझेंगे।
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