सभी तरह की कहानियों में जो मुझे सबसे ज्यादा पसंद है वह है प्रेरक कहानियां जिन्हें हम मोटिवेशनल कहानियां भी कहते हैं। Motivational Stories की खासियत ही यही होती है कि वह हमारे अंदर नया जोश भर देती है। इस post में आप 100+ ऐसी ही कहानियां पढ़ेंगे जो आपको जीवन में प्रेरित यानी की Motivated रहने के लिए मदद करेंगी।
100 + प्रेरक कहानियां 2023 | 100 + Hindi Motivational stories
तो आइए पढ़ते है पहली प्रेरक कहानी...
बाधा दौड़ का सच्चा विजेता
हमारे देश(india) में हजारों सालों पहले गुरुकुल की प्रथा बहुत प्रचलित थी। गुरुकुल में गुरुओं द्वारा ना केवल विद्यार्थियों को पुस्तकी ज्ञान सिखाया जाता था बल्कि उन्हें जीवन के वह अनमोल पाठ भी पढ़ाए जाते थे जिनसे उनके चरित्र का निर्माण होता था।
ऐसे ही एक बहुत प्रख्यात गुरुकुल में एक बहुत महान गुरु अपने 10 छात्रों को शिक्षा दे रहे थे। जिस दिन इन सभी छात्रों की शिक्षा पूर्ण होने को आई उस दिन एक आखरी परीक्षा के तौर पर गुरुजी ने उन्हें एक दौड़ में हिस्सा लेने के लिए कहां। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को यह भी बताया कि जीतने वाले विद्यार्थी को बहुत कीमती इनाम दिया जाएगा।
यह दौड़ कोई साधारण दौड़ नहीं थी! यह एक तरह की बाधा दौड़ थी यानी कि इसमें कदम कदम पर बाधाएं यानी मुश्किले थी। कहीं पर खाई को कूद करके जाना था, तो कहीं पर पानी में तैर के, कभी ऊंचाई पर चढ़ना, था तो कभी गहराई में उतरना था और अंत में एक अंधेरी गुफा को पार करना था।
10 विद्यार्थियों के बीच यह दौड़ शुरू हुई। एक के बाद एक आती मुश्किलों ने सभी विद्यार्थियों की हालत खराब कर दी लेकिन किसी ने भी हार नहीं मानी। हर बाधाओं को पार करते हुए 10 के 10 विद्यार्थी उस अंधेरी गुफा तक पहुंचे। पहले से इतनी सारी मुश्किलों का सामना कर चुके विद्यार्थियों के मन में अंधेरी गुफा को देख कर डर पैदा हुआ। और वह कल्पनाएं करने लगे कि इस अंधेरी गुफा में क्या हो सकता है? कभी उनके मन में ख्याल आता कि जंगली जानवर होंगे, तो कभी लगता कि सांप बिच्छू होंगे।
सभी विद्यार्थियों को अपने गुरु की दी हुई शिक्षा याद आई जिन्होंने किसी भी मुश्किल से ना डरके उसका डटकर सामना करना भी सिखाया था। अपनी सारी हिम्मत जुटाकर सभी विद्यार्थी अंधेरी गुफा के अंदर प्रवेश कर गए। गुफा के अंदर कदम रखते ही सभी को असहनीय दर्द हुआ क्योंकि उनके पैरों में नुकीले पत्थर चुभने लगे।
आश्चर्य की बात यह थी कि उन सभी विद्यार्थियों ने किसी तरह उस गुफा को भी पार कर लिया और अपने गुरु के पास आ पहुंचे।
सभी विद्यार्थी यह जानने के लिए उत्सुक थे कि आखिरकार इस दौड़ में किसका प्रदर्शन सबसे अच्छा है? यानी कि इस दौड़ का विजेता कौन है?
गुरु ने सभी विद्यार्थियों को 3 विभाग में विभाजित किया। जिनमें से 3 विद्यार्थी सबसे पहले गुफा से बाहर आए थे उनको एक तरफ खड़ा किया गया। 6 विद्यार्थी को थोड़ा ज्यादा समय लेकर गुफा से निकले थे उन्हें दूसरी तरफ खड़ा किया गया और एक आखरी विद्यार्थी जिसने सबसे ज्यादा समय लिया था उसको एक तरफ खड़ा किया गया।
गुरु ने पहले 3 विद्यार्थियों के समूह से पूछा तुम सबसे पहले कैसे बाहर आ गए? उनमें से एक विद्यार्थी बोला गुरुजी हमें किसी भी तरह इस दौड़ को जीतना था तो हमने गुफा में होनेवाला दर्द भी सहन किया और हमारे आगे आने वाले बाकी विद्यार्थियों को धक्का मारते हुए किसी तरह हम सबसे पहले इस दौड़ को खत्म कर पाए।
अब बारी थी दूसरे समूह की तो गुरुजी के पूछने पर उन्होंने बताया कि वह सभी नुकीले पत्थरों से बचने के लिए संभल संभल कर आगे बढ़ गए थे। इस वजह से उन्हें थोड़ा ज्यादा समय लग गया।
गुरुजी ने आखरी विद्यार्थी से भी अपना कारण बताने के लिए कहां जो सबसे आखिर में इस दौड़ को खत्म कर पाया था।
विद्यार्थी ने बताया की वह भी इस गुफा तक की दौड़ में सबसे आगे था! जब वह गुफा के अंदर गया और उसे नुकीले पत्थर पैरों में चुभे तो उसने हर वह पत्थर जो उसके पैर में चुभ रहा था उसे उठाकर अपनी जेब में रख लिया! ताकि बाकी आने वाले विद्यार्थियों को उनकी वजह से पीड़ा ना सहन करनी पड़े।
गुरुजी ने बाकी सभी 9 विद्यार्थियों को इस विद्यार्थी के लिए तालियां बजाने के लिए कहा। वह बोले जीवन में भागदौड़ तो चलती ही रहती है। सच्चा विजेता वही होता है जो इस भागदौड़ में भी दूसरे का विचार करें। अपने लिए तो सभी जीते हैं, दूसरों के लिए जिए वही जिंदगी हैं।
गुरुजी ने उस विद्यार्थी को विजेता घोषित कर दिया। अब बाकी के सभी विद्यार्थी यह देखने के लिए उत्सुक थे कि उसे गुरुजी कौन सा कीमती इनाम देने वाले हैं!
गुरुजी ने उस विद्यार्थी को अपनी जेब में रखे वह नुकीले पत्थर निकालने के लिए कहा जो उसने सद्भावना से गुफा से उठाए थे। जब उस विद्यार्थी ने अपनी जेब से सभी नुकीले पत्थर बाहर निकाले तो सारे विद्यार्थी यह देखकर दंग रह गए कि वह नुकीले पत्थर असल में हीरे थे! गुरुजी ने वह सारे हीरे उस विद्यार्थी को इनाम के तौर पर दे दिए।
इस कहानी को पढ़ने के बाद आपको भी अपने जीवन में अविरत चल रही दौड़ के बारे में विचार आने लगे होंगे। उस विजेता विद्यार्थी की तरह ही इस दौड़ को कंटिन्यू रखते हुए हम अपने नैतिक मूल्यों को याद रख सकते हैं और एक सच्चा विजेता बनकर उभर सकते हैं।
हमेशा की तरह इस अद्भुत मोटिवेशनल हिंदी कहानी को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद ऐसी ही नई-नई प्रेरक कहानियां आप अपने व्हाट्सएप पर पढ़ सकते हैं..इसके लिए आपको हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ना पड़ेगा।
