आखरी नाम... पति पत्नी की कहानी | Husband wife imotional story
हर दिन बढ़ते जा रहे तलाक के केसेस को ध्यानमे रखते हुए कोर्ट के आदेश अनुसार एक काउंसलर ने 20 कपल्स को एक सामूहिक मीटिंग में बुलाया।
यह काउंसलर कुछ उन चंद समझदार और सक्सेसफुल काउंसलर्स में एक थी जिन्होंने कई जोड़ों को यह समझने में मदद की थी कि वह कितनी बड़ी गलती करने जा रहे हैं और कई शादियों को टूटने से रोक लिया था।
इस मीटिंग में आने वाले सभी कपल्स के दिमाग में यही चल रहा था कि उनके घर के बड़े बुजुर्ग जिस बात को नहीं रोक पा रहे थे उसे रोकने के लिए ये काउंसलर क्या ही कर लेंगी?
मीटिंग की शुरआत होते ही काउंसलर ने कहां मैं आपको वही सारी बाते रीपीट नहीं करूंगी जो आपने अपने दोस्तों, रिश्तेदारों या अपने शुभचिंतकों से सुन रखी होगी। मैं आपको एक गेम खिलाऊंगी!
उसने सभी जोड़ों को ध्यान से देखा और बाद में एक महिला को अपने पास आने के लिए कहां।
जब वो महिला उसके पास आई तो उसे एक चौक देकर पासवाले ब्लैकबोर्ड पर अपने सबसे करीब 25 लोगों के नाम लिखने के लिए कहां। महिलाने सबसे पहले अपने बेटे का फिर मां बाप का बाद में रिश्तेदारों,दोस्तो और सहकर्मियों के नाम को लिखने के बाद 25 वा नाम अपने पति का लिखा।
अपना नाम जब सबके बाद लिखा तो उस महिला के पति को तू खुद भी वहां हाजिर था बहुत बुरा लगा। मन ही मन सोचने लगा की अच्छा हुआ मैं इसे तलाक देने जा रहा हूं, मेरा फैसला गलत नहीं है।
काउंसलर ने महिला से कहा अब आप उन 10 लोगों के नाम हटा दीजिए जिन्होंने आपको आपके जीवन में सबसे कम साथ दिया हो या कम साथ दे सकते हैं।
महिला ने कुछ सेकंड सोचने के बाद अपने सहकर्मी और कुछ दोस्तों के नाम हटा दिए। इस गेम को ना केवल वो महिला खेल रही थी बल्कि इस मीटिंग में आए हर वह पति-पत्नी भी मन ही मन खेल रहे थे क्योंकि वह भी उसी परिस्थिति में थे जिस परिस्थिति में वह महिला थी।
Read more Hindi emotional stories
काउंसलर ने फिर से एक बार उस महिला को 10 और नाम मिटाने के लिए कहा। इस बार महिला काफी सोच में पड़ गई तीन-चार मिनट सोचने के बाद उसने अपने बाकी बचे दोस्त और रिश्तेदारों के नाम हटा दिए। अब केवल 5 नाम बच गए थे जिसमें उसके मां-बाप और दो बच्चों के नाम के साथ उसके पति का नाम भी था। हर कोई यह देखकर हैरान था कि सबसे आखिर में अपने पति का नाम लिखने के बाद भी उस महिला ने दोनों बार जब दस - दस नामों को मिटाने के लिए कहा गया तो उसमें अपने पति के नाम को नहीं मिटाया।
काउंसलर ने अब उस महिला की तरफ देखा और बोली आपको 2 नाम और मिटाने होंगे। महिला अब दुविधा में थी, वह काउंसलर की तरफ ऐसे देख रही थी जैसे कह रही हो.. कि मेरे साथ ऐसा जुल्म मत करो। काफी समय लेने के बाद जब महिला ने दो नाम मिटाए तो उसकी आंखों में आंसू थे क्योंकि वो नाम उसके माता-पिता के थे!
मीटिंग में आए सभी लोग इस घटना को बड़े ध्यान से देख रहे थे। उन्हे हर बार आश्चर्य हो रहा था लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही हुआ क्योंकि सब मान रहे थे कि जब साथ देने कि बात हो तो कोई भी व्यक्ति अपने मां बाप का नाम नहीं मिटा सकता!
काउंसलर यहीं पर नहीं रुकी! उसने अब महिला से कहा कि एक आखरी बार दो और नाम मिटा दीजिए। महिला की हालत ऐसी हो गई जैसे कोई उसे सजा दे रहा हो। अबकी बार उसने काउंसलर से मना कर दिया कि वह अब इस गेम को और ज्यादा नहीं खेल सकती। काउंसलर ने उसे समझाया कि आप को सिर्फ नाम मिटाने है और यह एक गेम है इससे ज्यादा और कुछ नहीं। जैसे तैसे काउंसलर ने उस महिला को दो और नाम मिटाने के लिए मना ही लिया।
कांपते हुए हाथों से महिला ने जब अपने दोनों बच्चों का नाम मिटाया तो वह फूट-फूट कर रोने लगी। उस महिला के पति के साथ साथ वहां आए सभी लोग दंग रह गए। वहां आए सभी लोगों का यही सोचना था कि चाहे कुछ भी हो जाए तो महिला बच्चों का नाम नहीं मिटा सकती!
काउंसलर ने उस महिला को अपनी जगह पर जाकर बैठने के लिए कहा। काउंसलर ने वहां आए सभी जोड़ों की तरफ ध्यान से देखा जो उतने ही दुखी थे जितनी की ये महिला थी। काउंसलर ने उन सभी से पूछा कि महिला ने ऐसा क्यों किया? कोई भी उस सवाल का जवाब दे नहीं रहा था, दे नहीं पा रहा था या देना नहीं चाहता।
अंत में काउंसलर ने उसी महिला को खड़े होने के लिए कहा और उसी से ऐसा करने का कारण पूछा।
महिला बोली चाहे अभी मेरे और मेरे पति के बीच में कुछ प्रॉब्लम चल रही है लेकिन जब साथ देने की बारी आती थी तब वह हमेशा मेरे साथ खड़े रहते थे। मेरे मां बाप बूढ़े हो चुके हैं और वह कितने दिन मेरे साथ रहेंगे मैं नहीं जानती। मेरे बच्चे बड़े होने के बाद हमेशा मेरे साथ रहेंगे इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। लेकिन हमारे बीच इतना कुछ होने के बाद भी मेरे पति ने मुझसे कहा है की वह अलग होने के बाद भी जब भी जरूरत होगी तब मेरा साथ देंगे।
महिला बोली हम पता नहीं क्यों तलाक तक पहुंच गए? आज उस गेम को खेलते हुए मुझे रियलाइज हुआ कि हम दोनों के बीच ऐसी कोई बड़ी समस्या हुई ही नहीं है वह तो बस हम दोनों गुस्से में थे और कोई भी झुकना नहीं चाहता था। इसलिए मैंने सब का नाम मिटा दिया लेकिन अपने पति का नहीं मिटाया।
महिला की बातें सुन उसका पति भी खड़ा हो गया और अपनी पत्नी को गले से लगा लिया और बोला मुझे माफ कर दो मैं भी तुम्हें कभी तलाक देना ही नहीं चाहता था। जैसे मैंने तुम्हारा साथ दिया है वैसे ही तो तुमने भी मुझे जीवन के हर कदम पर सपोर्ट किया है मैं तुमसे फिर से एक वादा करता हूं की मरते दम तक तुम्हारा साथ दूंगा।
Read more Hindi emotional stories
काउंसलर ने अपना काम कर दिया था। उसने वहां पर आए हर एक जोड़े को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया था कि जो वह करने जा रहे हैं कहीं वह अपने झूठे अहंकार और गुस्से की वजह से तो नहीं है? कहीं वह अपने साथी के साथ कोई अन्याय तो नहीं कर रहे?
