एक बेचारे बाप की दर्दनाक कहानी। Very sad Hindi story
कोई घटना, कोई किस्सा या कोई कहानी कितनी दर्दनाक हो सकती है? इसे नापने का कोई मापदंड तो नहीं है लेकिन आज के इस पोस्ट में जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूं मुझे यकीन है कि इससे ज्यादा दर्दनाक और दुख भरी कहानी आपने ना कभी पढ़ी होगी, ना सुनी होगी, ना देखी होगी!
मैं खुद यह दावा नहीं करता लेकिन जिन से मैंने इस कहानी को जाना है, वो लोग यह दावा करते हैं कि यह कहानी एकदम सच्ची है। चलो सीधे ही कहानी बताता हूं।
2014 का वर्ष था। इराक में दहशतगर्दो ने हाहाकार मचा रखा था। हर दिन लड़ाईया, खून खराबा,बम ब्लास्ट यह तो आम सी बात हो गई थी! ऐसे ही एक गांव पर इन दहशतगर्दो ने कब्जा जमा रखा था और वहां पर वे हर दिन कत्लेआम मचाते थे।
इसी गांव में आयूब अपने परिवार के साथ रहता था और यह कहानी इसी व्यक्ति की है। आयूब ने अपनी जिंदगी के सबसे भयानक 2 दिन इस देहशती माहोल में देखें जो पहले उसने कभी अपनी जिंदगी में नहीं देखे थे।
देहाशतगर्दो द्वारा आयूब के इलाके में बॉम्ब फेंका गया, वह था उसकी जिंदगी का पहला सबसे खराब दिन और दूसरा दिन था इसी बम हमले की वजह से उसकी बीवी का इंतकाल होना।
देहशतगर्दो ने गांव पर कब्जा जमा रखा था इसलिए ना चाहते हुए भी अपने दो जुड़वा बेटों के साथ 2 सालों तक आयूब को इसी गांव में रहना पड़ा। लेकिन अब दहसतगर्द और इराकी आर्मी वालों के बीच हर दिन की लड़ाईयों की वजह से वहां रहना और भी ज्यादा खतरनाक हो गया था।
आयूब किसी तरह उस गांव से निकलकर अपना और अपने बच्चों का जीवन सुरक्षित बनाना चाहता था। लेकिन यह इतना आसान नहीं था क्योंकि देहशतगर्दो को हुक्म मिला था कि जो भी इस गांव से भागते हुए पकड़ा जाए उसे वही मार दिया जाए।
आयूब जानता था कि भागते हुए शायद वह पकड़ा जा सकता है और मारा जा सकता है। लेकिन वह इस बात से भी वाकिफ था कि अगर वह यही रहा तो जरूर मारा जाएगा। उसे अपनी जान की कोई फिक्र नहीं थी फिक्र थी तो बस उसके दो जुड़वा बच्चों की जो अब उसके लिए दुनिया में सब कुछ थे। काफी सोच विचार और मनो मंथन के बाद आयूब ने एक योजना बनाई।
आयूब ने एक दिन अपने दोस्त से बोलकर नींद की दवाइयां मंगा ली। उसने अपने बच्चों के दूध में नींद की दवाई मिलाकर रात को उन्हें दूध पिला दिया और उनके सोने का इंतजार करने लगा। उसका प्लान था कि रात के अंधेरे में चुपके से बिना आवाज किए इस गांव से निकल कर सीधा इराकी आर्मी तक पहुंचा जाए। इसलिए बच्चों का शांत रहना बहुत जरूरी था।
बच्चों के सो जाने के बाद आयूब ने दोनों बच्चों को अपने कंधों पर लिया और चुपके से दबे पाव गांव से निकलने लगा। लेकिन बदनसीबी है कि उसका साथ छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी। गांव के कोने कोने में दहशतगर्दी पहरा दे रहे थे। एक दहशतगर्दी ने आयूब की आहट सुन ली और उसकी दिशा में एक गोली चला दी।
गोली सीधे 1 बच्चे के पीठ को चीरते हुए आर पार हो गई और आयूब के कंधे पर जा लगी। बच्चे की वहीं पर मौत हो गई! लेकिन मजबूर आयूब अपना दुख मनाने के लिए रुक भी नहीं सकता था! वह किसी तरह बचते बचाते आगे बढ़ गया और दहशतगर्द की नजरों से ओझल हो गया। उसके धर्म के नियमों के अनुसार किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसे एक निश्चित समय के अंदर ही जमीन में दफनाना जरूरी होता है। अपने असहनीय दुख और रोती हुई आंखों के साथ आयूब ने अंधेरे में ही जमीन में गड्ढा खोदना चालू किया।
जमीन रेतीली थी इसलिए वह बड़ी आसानी से गड्ढा खोद पाया। अपने बच्चे को दफन किया और दूसरे बच्चे को लेकर फिर आगे बढ़ गया। थकान से बेहाल और दुख से बेजान आयूब आखिरकार इराकी आर्मी तक पहुंच गया। जो घटना उसके साथ हुई थी उसने उसकी आजाद होने की खुशी खत्म कर दी थी।
आर्मी वालों ने जब उसे अपनी तरफ आते देखा तो उनमें से एक ने दौड़कर उसके कंधे से उसके दूसरे बच्चे को लिया। अयूब वहीं पर बैठ गया। आर्मी वालों ने उसे पीने के लिए पानी दिया। आयूब पानी पीने लगा तब आर्मी वालों की बातें उसके कान पर पड़ी जिन्हें सुनकर उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई!
आर्मी वाले आपस में बात कर रहे थे जरूर इस बच्चे के पीठ पर लगे घाव की वजह से इसकी मौत हुई होगी! हो सकता है किसी दहशत गर्द ने पीछे से गोली चलाई हों।
उनकी बातें सुनकर आयूब को रियलाइज हुआ कि उसने कितनी बड़ी गलती कर दी थी! उसने रात के अंधेरे में और अपने पहले बच्चे की मौत के गम में अपना सुध बुध खो कर अपने सोते हुए बच्चे को ही मरा समझकर उसे दफन कर दिया था!!
दोस्तों, यह कहानी सुनकर आपके मन में निराशा के भाव आ गए होंगे। ऐसा होना बड़ा ही सहज और स्वाभाविक है। लेकिन इतनी दर्द भरी इस कहानी से भी हम एक सीख ले सकते हैं। चाहे जो हो जाए,किसी भी कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अपने आपको, अपने मन को निश्चल रखना बहुत जरूरी होता है।
दोस्तों ऐसी निराशाजनक कहानियां बता कर मेरा किसी को दुखी करने का इरादा बिल्कुल नहीं है। लेकिन ऐसी कहानियां ही हमें सिखाती है कि कैसे इस कठिन जीवन को हर परिस्थिति में जिया जाना चाहिए।
कहानी को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद ऐसी ही नई-नई कहानियां आप अपने व्हाट्सएप पर पढ़ सकते हैं..इसके लिए आपको हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ना पड़ेगा।
