कहानी : मैं नहीं तो कोन बे ? | ghamandi sher ki kahani

 कहानी : मैं नहीं तो कोन बे ? | ghamandi sher ki kahani 


दोस्तों छोटे-मोटे लक्ष्य हम अपनी काबिलियत से हासिल कर सकते हैं। लेकिन अगर आपको एक बहुत बड़ा काम  या बहुत बड़ा लक्ष्य हासिल करना हो तो आपको एक बहुत अच्छी टीम की जरूरत पड़ती है। कभी-कभी इस टीम में कुछ लोगों में अहंकार आ जाता है यह कहानी ऐसी ही एक टीम पर आधारित है हमें आशा है कि आपको एक कहानी पढ़कर कुछ सीखने को मिलेगा।


कहानी : मैं नहीं तो कोन बे ? | ghamandi sher ki kahani


कहानी : मैं नहीं तो कोन बे ? | ghamandi sher ki kahani 


शेरा नाम का शेर जंगल के सबसे कुशल और सबसे ज्यादा क्रूर शिकारियों में गिना जाता था। अपनि टीम के साथ उसने अनगिनत भैंसों, हिरणो व अन्य जानवरों का शिकार किया था।


उसकी ताकत और क्रूरता से जंगल के सभी प्राणी थरथर कांप जाते जिसके परिणाम स्वरूप अब उसे अपनी काबिलियत और ताकत पर घमंड बढ़ने लगा। 


एक बार उसने अपनी टीम के साथियों से कहा..." आज से जो भी शिकार होगा, उस पर सबसे पहले मेरा हक होगा ... मेरे खाने के बाद ही बचा कूचा तुम सभी आपस में बांट कर खा लेना।"


अपनी टीम के एक सदस्य (शेरा) के मुंह से ऐसी घमंडभरी बातें सुन सभी अचंभित थे ...तभी उनमें से  एक बुजुर्ग शेर ने शेरा से कहां, " तुम होश में तो हो... तुम्हें आज अचानक क्या हो गया ... तुम ऐसी बात क्यों कर रहे हो..?",


शेरा बोला," मैं बिल्कुल होश में हु, क्या तुम सब ये नही जानते की हम जितने भी शिकार करते हैं उसमे मेरा सबसे बड़ा योगदान होता है, में ही तो हु जिसकी वजह से हम इतने शिकार कर पाते हैं; इसलिए शिकार पर सबसे पहला हक़ मेरा ही है और अब सभी को मेरी बात माननी ही पड़ेगी।" कोई भी उसकी बात से सहमत नही था इसलिए अगले दिन, एक सभा बुलाई गयी जिसका उद्देश्य था शेरा को समझाना।


"हम मानते हैं कि तुम एक   श्रेष्ठ ,कुशल शिकारी हो, लेकिन क्या ये बात भी उतनी ही सच हैं की बाकी के सदा भी अपना जी जान लगा देते है । इसलिए हम इस बात के लिए सहमत नहीं हो सकते कि शिकार पर पहला हक़ तुम्हारा हो...हम सब मिलकर शिकार करते हैं और हमें मिलकर ही उसे खाना चाहिए।" टीम के सभी सदस्यों ने शेरा से कहां।


शेरा इस बात को सुन गुस्से से अपने ही घमंड में चूर होकर बोला, “तुम सबकी मति मारी गई है जो मेरी बात को मानने से इन्कार कर रहे हो! अगर ऐसी ही बात है तो,आज से मैं अकेले ही शिकार करूँगा... और तुम सब मिलकर खुद अपने लिए शिकार करना , जब भूखे मरोगे तब मेरे पास गिड़गिड़ाते हुए मत आना!" और ऐसा कहते हुए घमंडी शेरा सभा को छोड़ कर चला गया।



कुछ ही समय बाद जब शेरा को जोरो की भूख लगी तो वह शिकार करने गया..वो भैंसों के एक झुण्ड की तरफ दहाड़ते हुए बढ़ा, पर वो देखकर हैरान रह गया की जो भैंसे उसे देखकर ही कांपने लगती थी आज उसके आने पर जरा भी नहीं घबराये, उलटे एक जुट हो कर उसी का मरमार कर  दूर खदेड़ दिया.



भेसो से पीटने के बाद उसने ने सोचा चलो कोई बात नहीं मैं हिरणो का शिकार कर लेता हूँ, और वह हिरणो की तरफ बढ़ा, पर अकेले वो कहाँ तक इन फुर्तीले हिरणो को घेर पाता, हिरन भी उसके हाथ नहीं आई.


अब शेरा को एहसास हुआ कि इतनी ताकत होते हुए भी बिना टीम के सहयोग पाये वो एक भी शिकार नहीं कर सकता! उसे पछतावा होने लगा,अब वह टीम वर्क की महत्व अच्छे से समझ चुका था। वह निराश बाकी शेरों के पास पहुंचा और अपने इस व्यवहार के लिए क्षमा मांग ली और एक बार फिर जंगल उसके यानी की उसकी टीम के खौफ से कांपने लगा.


कहानी की सिख


चाहे हम sports में हों, corporate world में काम करते हों, या कोई बिज़नेस करते हो या किसी भी क्षेत्र में सफलता पाना चाहते है तो हमे एक अच्छी टीम का साथ चाहिए ।


Team का हर एक member important होता है और किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए  हर एक membar छोटा मोटा रोल निभाता है।


जैसे  हाथ की सभी उँगलियाँ एक समान नहीं होती लेकिन हम जानते है की किसी भी एक उंगली के बैठे हमे कई काम करने में कठनाई होती है।वैसे ही team में भी किसी member का अधिक तो किसी का कम role होता है. यदि बड़ा योगदान देने वाले ये सोचें कि जो कुछ भी है उन्ही की वजह से है तो ये गलत होगा . इसलिए किसी तरह का घमंड करने की बजाये हमें सभी को importance देते हुए as a team काम करना चाहिए।


यह कहानी हमें टीम का महत्व सिखाने के साथ-साथ सिखाती है कि हमें कभी भी अपनी काबिलियत पर घमंड नहीं करना चाहिए साथ ही साथ गलती से अगर हम कोई गलत काम कर देते हैं तो जब हमें उसका एहसास हो जाए तो उसके लिए हमें माफी भी जल्द ही मांग लेनी चाहिए, ना कि उसे अपने इगो प्रॉब्लम बनाकर बात को और बिगाड़ देनी चाहिए।


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