हिंदी कहानी : दीवाल के लिए कॉफ़ी | hindi kahani

 हिंदी कहानी : दीवाल के लिए कॉफ़ी | hindi kahani 


कहते है की दाए हाथ से किसी की मदद करो तो बाए हाथ को पता नही चलना चाहिए ये एक सिर्फ कहावत नही है अगर  इसी तरीके से सभी लोग जीवन जीने लगे तो समाज के पिछड़े लोगो को जीवन में खुश रहने का मौका मिलेगा... चलिए इस बात पर एक कहानी पढ़ते है। 


हिंदी कहानी : दीवाल के लिए कॉफ़ी | hindi kahani

जापान के टोक्यो शहर के निकट एक कस्बा था जहां के लोग काफी खुशहाल जीवन  जी रहे थे , वो कस्बा अपनी खुशहाली के लिए अन्य कई कस्बो में प्रसिद्द था। 


अन्य कस्बों के लोग उन्हें हमेशा खुश देख काफी हैरान होते थे और उनके खुशहाली का कारण जानना चाहते थे। एक बार

दूसरे कस्बे का एक व्यक्ति खुशहाल कसबे की खुशहाली का कारण

जानने के लिए सुबह सुबह वहाँ पहुंचा।


 कस्बे

में प्रवेश करते ही उसे एक कॉफ़ी -शॉप दिखायी दी।

उसने तय किया कि वो उसी कॉफी शॉप में  बैठ कर चुप

-चाप लोगों को देखता रहेगा,उनका निरीक्षण करेगा।  वह धीरे-धीरे

आगे बढ़ते हुए शॉप के अंदर लगी एक कुर्सी पर

जा कर बैठ गया।



कॉफ़ी-शॉप शहर के बाकी रेस्टोरेंटस की तरह ही थी,

उस शॉप में बाकी सब तो सामान्य था पर वहाँ उसे लोगों का व्यवहार कुछ अजीब

लगा ।



एक गराहक जो उस शॉप में आया उसने दो कॉफ़ी

के पैसे देते हुए कहा, “ दो कप कॉफ़ी, एक मेरे

लिए और एक उस दीवार के लिए। "



व्यक्ति दीवार की तरफ देखने लगा लेकिन उसे

वहाँ कोई नज़र नहीं आय!  पर फिर भी उस

आदमी को कॉफ़ी देने के बाद वेटर दीवार के

पास गया और उस पर कागज़ का एक टुकड़ा

चिपका दिया, जिसपर "एक कप कॉफ़ी"

लिखा था।


व्यक्ति समझ नहीं पाया कि आखिर माजरा क्या

उसने काफी सोचा लेकिन फिर भी वो इस गुत्थी को सुलझा नहीं पाया। उसने सोचा कि कुछ देर और बैठता हूँ, और

समझने की कोशिश करता हूँ।


थोड़ी देर बाद एक गरीब आदमी उस कॉफी शॉप  पर आया,

उसके कपड़े फटे -पुराने थे, एक नजर देखने से ही कोई भी बता देता की उसके पास पैसे नहीं होंगे पर फिर भी वह

पुरे आत्म विश्वास के साथ शॉप में घुसा और

आराम से एक कुर्सी पर बैठ गया।



व्यक्ति सोच रहा था कि एक गरीब के

लिए कॉफ़ी पर इतने पैसे बर्बाद करना कोई

समझदारी नहीं है... तभी वेटर मजदूर के पास

आर्डर लेने पंहुचा.

“सर, आपका आर्डर प्लीज !", वेटर बोला .

दीवार की एक कप कॉफ़ी.", गरीब ने जवाब

दिया।



वेटर ने मजदूर से बिना पैसे लिए एक कप

कॉफ़ी दी और दीवार पर लगी ढेर सारे कागज

के टुकड़ों में से "एक कप कॉफ़ी " लिखा एक

टुकड़ा निकाल कर डस्टबिन में फेंक दिया।



ये घटना उस कॉफी शॉप में दीवाल के लिए कॉफ़ी का सारा किस्सा व्यक्ति को  समझा गया।

कसबे के लोगों का ज़रूरतमंदों के प्रति यह

रवैया देखकर वह भाव-विभोर हो गया...


उसे लगा, सचमुच लोगों ने मदद का कितना अच्छा तरीका निकाला है जहां एक गरीब भी बिना अपना आत्मसम्मान कम किये एक अच्छी सी कॉफ़ी - शॉप में खाने पीने का आनंद ले

सकता है।


अब वह कसबे की खुशहाली का कारण जान चुका था और इन्ही विचारों के साथ वापस अपने शहर  लौट गया।


दोस्तो, ये किस्सा भले ही जापान का है लेकिन हमारे देश की भी यही परंपरा रही है। दया, दान ये सब हमे भी हमारे पूर्वजों ने और धर्म ग्रंथो ने सिखाया हैं। हालाकी इन दिनों वो भावनाए कही खो सी गई है  अब अगर कोई किसी जरूरतमंद की मदद भी करता है तो उसके फोटोस लेता है या वीडियोस बना कर  उसका प्रचार करता है।


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