पति पत्नी की एक प्यारी कहानी | husband wife ki kahani

 दोस्तो, अगर आप शादी शुदा है तो ये पति पत्नी की ये कहानी जरूर पढ़िए। अगर अभी तक आपकी शादी नही हुई है तब भी इस कहानी को एक बार जरूर पढ़िए क्योंकि पति को पत्नी महत्व समझनेवाली ऐसी बेहतरीन कहानी आपने पहले कभी पढ़ी या सुनी नहीं होगी।


Husband wife ki kahani
पति पत्नी की कहानी

पत्नी का रिश्ता समझती ये कहानी हर पति को पढ़नी चाहिए | pati patni ki kahani


दोस्तों, हमारे जीवन में हर रिश्ते का एक अलग महत्व होता है। हर रिश्ते के लिए एक अलग स्थान होता है। हर रिश्ते का एक मतलब होता है और हर एक रिश्ते का एक सफर होता है। यह सफर कभी ना कभी ,कहीं ना कहीं खत्म होता है बस एक पति पत्नी का रिश्ता ऐसा होता है जिस का यह सफर आखरी सांस तक चलता है।


आधुनिक विज्ञान के जमाने में हमने बहुत ज्यादा तरक्की कर ली, हम बहुत होशियार हो गए लेकिन कभी-कभी हमारे जैसे होशियारो को भी कुछ गवार लोग ऐसे मिल जाते हैं जो हमें काफी कुछ सीखा जाते हैं।



बस अभी 1 महीने पहले की ही तो बात है,घर के पिछले भाग में माटी डालने का और प्लांट्स लगाने का काम रमण और कला इन पति पत्नी के जोड़े को दिया था।


 पहले दिन दोनों आए। दोनों ने खूब अच्छा काम किया। दूसरे दिन सिर्फ रमण आया! शायद कला बीमार होगी।



उस दिन दोपहर में मेरे साथ खाना खाने के लिए मैंने रमण को बहुत आग्रह किया। कई बार उसे कहा कि मेरे साथ खाना खा लो लेकिन वह माना ही नहीं! वह बोला कला नाराज हो जाएगी!।


 मैं बोला अरे रमण तुम कितना डरते हो अपने बीवी से? वह बोला मैं नहीं डरता साहब। कदर करता हूं उसकी, सम्मान करता हूं उसका, मुझे उसके शब्दों पर हंसना आ गया!


मैंने उससे कहा अरे क्या रखा उसमें? नारंग है ना रूप है! फिर क्यों इतना उसके पीछे पीछे भागता है?


 वह बोला कोई फर्क नहीं पड़ता साहब रंग हो या ना हो, रूप हो या ना हो लेकिन फिर भी वही मुझे जग में सबसे प्यारी लगती है!


 मैं बोला तू तो पूरा जोरू का गुलाम लगता है! क्या तुझे अपने पत्नी के अलावा बाकी रिश्ते महत्वपूर्ण नहीं लगते?


 उसने शांति से जवाब दिया...

देखिए साहब! मां बाप तो भगवान होते हैं तो उनकी पूजा करनी चाहिए। भाई बहन का रिश्ता तो जन्मजात होता हैं और दोस्ती का नाता तो सिर्फ काम या मतलब के लिए होता है और बाकी सारे संबंधी मतलब के लिए ही होते हैं। अब देखिए जैसे कि आपका और मेरा नाता भी काम और पैसे का ही हैना!


लेकिन साहब पत्नी हमारी कोई नजदीकी रिश्तेदार तो होती नहीं है फिर भी वह अपने सारे संबंधों को छोड़कर हमेशा के लिए हमारी हो जाती है! और हमारे हर सुख दुख में,हर दिन रात में हर ऋतु में हमारा साथ देती है।



आप मानो या ना मानो पत्नी सिर्फ एक रिश्ता नहीं है वो कई रिस्तो का भंडार है! जब वह हमारी हर इच्छा पूरी करती है, हमारी देखभाल करती है, हमको लाड लड़ाती है तब वह किसी मां की भूमिका निभा रही होती है।


जब वह हमें अपने वर्तमान परिस्थिति की समझ देती है और जब हम अपनी कमाई उसके हाथों में लाकर देते हैं तब हमें विश्वास होता है कि वह उसका सही इस्तेमाल करेगी और हमारे साथ कुछ बुरा नहीं होने देगी तब वह बाप की भूमिका निभा रही होती है।


जब हमारे बारे में चिंतित होती है और जब वह हमें हमारी गलतियों को बता कर उसे सुधारने का मौका देती है तब वह किसी बहन की भूमिका में होती है।


जब वह हमें अपनी नई-नई इच्छाएं बताती है। हमसे किसी चीज की मांग करती है, नखरे करती है रूठती है , जिद्द करती है तब वह किसी बेटी  जैसी होती है।


जब वह हमें कुछ नया सिखाती है, हमसे झगड़ ती है तब वह किसी दोस्त की तरह होती है।



जब वह हमारे घर की और हमारे रिश्तेदारों की सबकी जिम्मेदारी अपने सिर पर उठाती है तब वह मालकिन होती है।


सबसे जरूरी जब वह सारी दुनिया को और यहां तक कि अपने बच्चों को छोड़कर भी जब हमारी बाहों में आती है तो वह हमारी पत्नी, प्रेमिका हमारी जान, हमारा स्वास बनती है!


 अब आप ही बताइए साहब अगर मैं उसकी इज्जत करता हूं ,उसकी कदर करता हूं तो क्या मैं कोई गलत काम करता हूं?



और वैसे भी पत्नी सिर्फ अपने पति के लिए अपना घर छोड़कर अनजाने घर आती है और बाकी के रिश्ते तो परिस्थिति के हिसाब से निभा जाती है।



देखिए साहब मैं ज्यादा पढ़ा-लिखा तो नहीं हूं लेकिन जिंदगी ने मुझे इतना जरूर सिखाया है की रिश्तो का मतलब एक दूसरे की कमियों को पूरा करना होता है। नहीं तो अगर आप बिना कमियों वाले किसी इंसान को ढूंढने बैठोगे तो जिंदगी भर अकेले रह जाओगे।


देखिए साहब बीवी अगर धरती बन कर इतना बोझ उठा सकती है, अपनी तपस्या की अग्नि में तप सकती है तो पति को भी शांत और उतना ही बड़ा विशाल आसमान की तरह बनना पड़ेगा जो उसे समय-समय पर प्यार की बारिश से भिगोता रहे।


ठीक है, साहब बहुत देर हो गई है मैं जाता हूं कहकर रमण वहां से जाने लगा और मैं उसको पीछे से जाते हुए देखता रहा, देखता रहा।


 आज इस छुटक मजदूरी करने वाले आम इंसान में मुझे बहुत बड़ा उपदेश देने वाला गुरु नजर आ रहा था!


उसकी वो बात की पत्नी कैसी भी हो उसको मान देना, उसकी इज्जत करना, देखभाल करना हर विवाहित पुरुष का प्रथम कर्तव्य है। और ये गुरुज्ञान मुझे जीवन भर याद रहा।


उम्मीद है इस कहानी ने आपके दिल में अपने जीवनसाथी का स्थान और भी ज्यादा मजबूत कर दिया होगा... ऐसी ही बेहतरीन कहानियां रोजाना पढ़ने के लिए हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़िए।


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