कभी कभी हमे लगता है की हम बहोत मेहनत करते है बावजूद इसके हमे उसके मनचाहे परिणाम नही मिलते! ऐसा होता क्यों है उसके कारण को समझते है आज की ये स्वामी विवेकानंद और एक युवक की प्रेरणादायक कहानी के जरिए।
स्वामी विवेकानंद और युवक की प्रेरणादायक कहानी | Swami Vivekananda kahani
एक बार स्वामी विवेकानंद अपने आश्रम में एक छोटे से कुत्ते को टहला रहे थे।
तभी वहां अचानक एक नौजवान आया जो बड़ा परेशान नजर आ रहा था। उसने आते ही स्वामीजी के पैर पकड़ लिए और उनसे गिड़गिड़ाने लगा की स्वामीजी उसकी मदद करें।
स्वामीजी ने उसे उठाया और शांत रहकर अपनी समस्या बताने के लिए कहां।
युवक बोला - स्वामीजी मैं काफी पढ़ा लिखा हु और मेहनतिभी लेकिन फिर भी मैं आजतक अपनें किसी काम में उतना सफल नही हों पाया जितना मैं हकदार हु।
स्वमीजीने उसकी सारी बात गौर से सुनने के बाद उससे कहां की मैं तुम्हारी समस्या का हल जरूर बताऊंगा लेकिन उससे पहले तुम्हे मेरा एक काम करना पड़ेगा.. तुम्हे इस कुत्ते को तोड़ी दूरी तक टहलने के लिए ले जाना पड़ेगा!
युवक को स्वामीजी ऐसी शर्त बड़ी अजीब लगी फिर उसने सोचा इतना आसान काम तो है किए देता हूं और बदले में स्वामीजी से समस्या का उपाय मिल जायेगा।
युवक ने स्वामीजी के पास से कुत्ता लिया और उसे टहलने के लिए ले गया। तकरीबन 30 मिनिट के बाद जब युवक कुत्ते के साथ लौट कर आया तब स्वामी जी उसी की तरफ देख रहे थे।
स्वामीजी ने युवक से पूछा - तुम दोनो (कुत्ता और युवक) एक ही साथ गए थे फिर तुम इतने शांत और ये कुत्ता इतना थका (हाफता) क्यों है?
युवक ने स्वामीजी के सवाल का उत्तर देते हुए कहां आपका ये कुत्ता बड़ा चंचल और शरारती है। मैं इसे जहां ले जाना चाहता था वो उन सभी रास्तों को छोड़कर किसी और राह पर मूड जाता, दूसरे जानवरो और इंसानों को देख डिस्टर्ब होता और उनपर भौंकने लगता बस यही कारण है वो मंजिल तक आते आते इतना ज्यादा थक गया और ज्यादा समय भी लग गया।
युवक की बातें सुन स्वामी जी उसकी तरफ देख कर मुस्कुराने लगे और बोले तुम्हें तुम्हारे सभी सवालों का जवाब अभी तुमने जो कहा उसे मिल जाएगा।
युवक को भी स्वामी जी की बात समझ में आ गई और उसे aria-live हो गया कि वह भी इसी कुत्ते के तरह अपने लक्ष्य पर ज्यादा फोकस नहीं करके दूसरे लोगों के पीछे दौड़ रहा था और फालतू चीजों में समय बर्बाद कर रहा था उसने स्वामी जी से वादा किया कि वह अब अपने लक्ष्य पर अच्छे से फोकस करेगा और जल्द से जल्द अच्छे परिणाम पाएगा।
दोस्तों कही आप भी इस युवक की तरह ही अपने लक्ष से भटक तो नही रहे ना? यदि ऐसा है तो तुरंत बाकी सभी चीजों को नजरंदाज कर अपने लक्ष के पीछे पड़ जाइए फिर देखना आपकी जीत निश्चित है।
उम्मीद है स्वामी विवेकानंद की ये छोटी सी प्रेरणादायक कहानी आपको पसंद आई होगी और आपको जीवन में अपने लक्ष को पाने की प्रेरणा में बढ़ोतरी हुई होगी।

Bhai sas bahu topic pe kahani upload karo
जवाब देंहटाएंBhai pls love story post karo
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