हाउसवाइफ की अहमियत कहानी | Hindi Kahani

 'हाउसवाइफ की अहमियत' कहानी | Hindi Kahani 


मां बेटे और बहू तीनों ही खाने के टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे। खाते समय लड़का अपनी पत्नी को बोला सीमा तुमने आज भी दाल चावल बनाया! खाना बनाने में तो आलस मत किया करो तुम। बस हाउसवाइफ ही तो हो! तुम घर पर ही तो रहती हो, तुम्हें रसोई घर में कुछ अलग अलग खाना बनाना अच्छा नहीं लगता है क्या? क्यों रोज ही एक तरह का खाना बनाती हो?


हाउसवाइफ की अहमियत कहानी | Hindi Kahani



 सीमा बोली, आज मैं बनाने वाली थी। मैं आज सूजी की खीर बनाने वाली थी, पर रसोई मैं सूजी खत्म हो गई! मैंने कल ही आर्डर किया था। पर अभी तक आया नहीं कोई हरकत नहीं मैं कल बनाऊंगी। 


रसोई घर में कुकर की सीटी बजीती है और खाने के समय सीमा रसोई घर में आती है। रसोई घर से वापस आते वक्त डाइनिंग टेबल पर बैठकर सीमा बोली की.. मैंने कुकर में आलू डाले हैं शाम को मैं आलू के वडे बनाने वाली हूं। यह सुनकर उसके सास को भी खुशी हुई।


 गोपाल बोला, अच्छा है तुम दोनों को तुम्हारी पसंद की चीज बनाने में और खाने में बहुत मजा आता है। ऐसे में दरवाजे की बेल बजी। सीमा वापस खाने के टेबल पर से उठी और दरवाजा खोला। डिलीवरी बॉय सूजी लेकर खड़ा था।


 पार्सल लेकर सीमा वापस खाने के टेबल पर खाना खाने के लिए बैठी, तभी मां बेटे से बोली कि तूने अगर दरवाजा खोला  होता तो फिर क्या होता, बेचारी  ठीक से खाना भी अच्छे से खा नहीं सकती। तो बेटा बोला सॉरी मैं उठ नहीं सकता मुझे ऑफिस जाने के लिए देर हो रही है फिर रूम में चला जाता है। वो सीमा को आवाज देता है। 


मेरी फाइल मिल नहीं रही है तुम ढूंढ कर दो सीमा! फिर एक बार खाने की टेबल से उठने वाली थी और उसके तरफ जाने वाली थी तभी सास ने उसे रोका। छोटा बच्चा नहीं है वो, खाओ तुम खाना। थोड़ी देर बाद रूम से गोपाल की आवाज आई फाइल मिल गई। सास और बहू दोनों ही खाने के टेबल पर एक दूसरे की तरफ देख कर हंसने लगी। गोपाल ऑफिस जाने के लिए निकल गया।


 सीमा ने सारा काम खत्म किया, रात को आलू वडा,  खिचड़ी बनाती भी बनाई। खाना देख गोपाल और सास खुश हो जाते है। सीमा सब काम निपटा के सो जाती हैं। दूसरे दिन सुबह गोपाल उसके बेडरूम में फाइल ढूंढ रहा था। और वह फाइल ढूंढने की वजह से बेडरूम पूरा अस्त-व्यस्त कर दिया। गोपाल अकेले में बड़बड़ा रहा था। इस घर में कभी भी कोई चीज समय पर नहीं मिलती है। इन औरतों को कोई काम नहीं होता इसलिए दिनभर इधर का सामान उधर करती रहती है।


उसके आवाज से सीमा वापस उसके रूम में आती है और रूम की बुरी हालत देखकर उसे गोपाल पर गुस्सा आता है। वह गोपाल को पूछती है आप क्या कर रहे हो?तभी गोपाल बोलता है मैंने तुम्हें पिछले दिन दी हुई फाइल कहां पर है? सीमा तुरंत वह फाइल बाहर निकालती है और वह गोपाल को दे देती है! सीमा गोपाल को कहता हैं इतना सारा सामान बिखरने से पहले मुझे एक बार पूछा तो होता! कितना सामान बिखरा पड़ा है मैं क्या दिन भर यही काम करती रहूं क्या?


 उल्टा गोपाल सीमा पर चिल्ला देता है और बोलता है की क्या काम रहता है दिन भर तुम्हें? इतना काम भी तुम नहीं कर सकती क्या? दिन भर सोते ही रहती हो सिर्फ! मां के कहने पर हाउसवाइफ से शादी करके बहुत बड़ी भूल की मैंने! ऐसा बोलकर गोपाल ऑफिस के लिए निकल गया।


 पति-पत्नी का बोलना मां के कानों पर पड़ता है जो गोपाल को पता नहीं था। मां सीमा के पास जाती है तभी सीमा रो रही होती है। कोई भी गलती नहीं होते हुए भी गोपाल उस पर चिल्लाया यह उनको पता था। सीमा से वह बहुत प्यार करता है। सीमा भी उसे बहुत प्यार करती है, सास ने सीमा को शांत किया फिर दोनों ने गोपाल को अच्छा सबक सिखाने के लिए प्लान बनाया।


 दूसरे दिन सुबह गोपाल गोपाल नींद से जागा तभी वह सीमा को चाय के लिए चिल्ला रहा था।    तभी मां नजदीक के सोफे पर बैठी थी। वह बोलती है, सीमा घर पर नहीं है वह किसी काम के लिए अपने मायके गई है। गोपाल फोन निकालता है और सीमा को फोन करने लगता है, तभी मा उस से रोकती है और बोलती है कि फोन मत करो वह मायके ही तो गई है दो-तीन दिन में आ जाएगी।


गोपाल फोन रख देता है और मां को बोलता है कि मां चाय...... तभी मां बोलती है हां दो कप बनाना मैं भी पियूंगी.... इच्छा ना होते हुए भी गोपाल चाय बनाने के लिए रसोई घर में   जाता है। मां सोफे से खड़ी होती है बेटा गोपाल को पुकारती है। वो सोचने लगता है की मां उसे रोकेगी और खुद चाय बनाएंगी पर मां बोलती है मेरी चाय में शक्कर कम डालना।


 गोपाल चाय बनाता है और चाय लेकर आता है। मां और बेटा दोनों ही चाय पीते हैं फिर मां बोली चाय अच्छी बनाई है पर सीमा जैसे नही। वो चाय बनाती है तब तुलसी के पत्ते डालती है उस चाय की तो बात ही अलग होती है बेटा। कोई बात नहीं अगली बार तुम चाय बनाओगे तब ध्यान में रखना। गोपाल उसकी मां को देखते ही रह जाता है।


 थोड़ी देर बाद गोपाल उसकी मां को बोलता है मां आज मैं मटर पनीर खाना चाहता हूं। मां फिर से गोपाल की तरफ देख कर बोली अरे वाह!आज मेरा बेटा मटर पनीर बनाएगा और मुझे खाने के लिए देगा। अच्छा हुआ बहुत दिनों से मटर पनीर खाने की इच्छा हो रही थी। तभी गोपाल बोला अरे मां मटर पनीर आप को बनाने के लिए कहने वाला था। तभी उसे मां बोली, नहीं बेटा मेरे घुटने बहुत दुखते हैं मैं इतनी देर रसोई घर में खड़ी नहीं रह सकती तभी गोपाल उसका फ़ोन निकालता है और रेस्टोरेंट से ऑर्डर देने लगता है, तभी मा उसे  रोकती है और बोलती है, मुझे वह होटल का खाना पचता नहीं है,मुझे गैस हो जाती है और तुम मुझे बाहर का खाना खिलाने वाले हो क्या?


 शायद मां से प्यार नहीं करते हो तुम गोपाल। तभी गोपाल खाना बनाने के लिए रसोई घर में जाता है। 1 घंटे बाद खाना तैयार होता है। दो थाली में खाना लेकर गोपाल  उसकी मां के पास आता है। गोपाल ने दाल चावल बनाया है यह मां देखती है। गोपाल को बोली अरे बेटा तुम मटर पनीर बनाने वाला था ना? गोपाल बोला कि मां यह आसान है बनाने के लिए। तभी मां बोलती है सीमा होती तो आज उसने मटर पनीर बनाकर मुझे खिला दिया होता! पर जाने दो तुम्हारे हाथों का खाना बना हुआ खाना कहां मैं रोज खाती हूं। ऐसा बोलकर मां खाना खाने के टेबल पर आ कर बैठती है।


 चल दोनो साथ में खाना खाते हैं। गोपाल ने पहला निवाला मुंह मैं डाला ही  था,तब मा उसे बोली,अरे बेटा दाल में नमक कम है जा और नमक लेकर आ। वो खाते-खाते उठता है और रसोई घर में से नमक लेकर आता है और मां को देता है। फिर से खाने के लिए बैठता है तभी बीच में मां खासने लगी और गोपाल को बोलती है अरे बेटा निवाला गले में अटक गया है थोड़ा पानी लाना।


 गोपाल फिर खाते-खाते उठा और पानी लाने गया। फिर वो पानी मां को दे देता है.. इस सब में गोपाल के चेहरे पर गुस्सा स्पष्ट रूप से दिख रहा था। गोपाल को अब समझ में आ रहा था कि वह  सीमा के साथ जिस प्रकार बर्ताव  कर रहा था,उसे कितना बुरा लगता होगा? वो यह सब खुशी से करती थी उसके चेहरे पर कभी भी कोई शिकन नहीं दिखी। वह सोचते-सोचते खाना खा रहा था,मा यहीं पर नहीं मानी खाना होने के बाद मां गोपाल को बर्तन धोने के लिए कहती है और मा उस के रूम में  आराम करने चली जाती है। 


मां उसे परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ती.. वो गोपाल को  बुलाकर  चद्दर ओढ़ने के लिए कहती है। उसके बाद गोपाल रूम  से बाहर जाता है तो उसे मां रोकती  है और AC का टेंपरेचर कम करने को कहती है। अब इन सभी कामों की वजह से वह चीड़ चीड़ करने लगता है लेकिन  कुछ भी नहीं बोल पाता।


 दूसरे दिन सुबह जल्दी उठ जाता है। उसे ऑफिस जाना होता है,इसीलिए वह जल्दी सब्जी काटता है पर उसका ध्यान सब्जी की तरफ नहीं होता। वह सीमा का विचार कर रहा होता है ।


वो सोच रहा होता है...  हाउसवाइफ का काम आसान होता है ऐसा मुझे लगता था पर सच में वैसे नहीं है। मैं कितना गलत बर्ताव करता था सीमा के साथ।


 मन ही मन पछता रहा होता है तभी सब्जी काटते समय अपनी उंगली  काट लेता है। वह उठकर बेसिन में उंगली धोने के लिए जाता है। ऐसे में सीमा उसके पास आती है और हाथ पर पट्टी बांधने लगती है। मतलब सीमा अपने मायके गई ही नही थी! गोपाल से छुपकर उनके ही घर में थी। यह तो सास और बहू का प्लान का एक हिस्सा था। गोपाल सीमा को देखकर खुश हो जाता है,वह उससे माफी मांगता है।


 वह सीमा को बोलता हे कि, घर का काम करना बहुत आसान होता है। तुम घर पर रहती हो तुम्हें क्या काम रहता है,ऐसा मैं हमेशा बोलता था पर एक ही दिन में मुझे सब समझ में आगया। मैं तुम्हें ऐसा कभी भी नहीं बोलूंगा और इसके आगे हम एक साथ घर के काम करेंगे अगर घर हमारे दोनों का है तो घर के काम भी हम दोनों ही करेंगे। दोनों का बोलना  माँ बाहर से सुन रही थी। वह दोनों के लिए बहुत खुश थी। 


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