Best Hindi Story | सर्वश्रेष्ठ हिन्दी कहानियां
न्याय कैसे किया जाना चाहिए? इस सवाल का जवाब आप इस कहानी से पा सकते हैं। यह बहुत ही सुंदर पुरानी कहानी आपको यह समझने में मदद करेगी कि किसी भी तकरार या झगड़ों का बुद्धिमानी से कैसे समाधान निकाला जाता है ।
Best Hindi story 1 : बंटवारा
कौशल देश के राजा दीपसिंह एक बहुत ही न्यायप्रिय राजा थे। शूरवीर अच्छा स्वभाव और दयालु होने के साथ-साथ उनके बहुचर्चित होने का कारण यह भी था कि वह किसी भी जटिल समस्या का समाधान अपनी कुशाग्र बुद्धि से चुटकियों में निकाल लेते थे। उनकी काबिलियत को ध्यान में रखते हुए कई बार पड़ोसी राजा भी अपने जटिल मुकदमों को उनके पास निवारण के लिए लेकर आते थे।
एक बार उनके ही राज्य के तीन भाई उनके दरबार में एक समस्या लेकर आए। दीप सिंह ने उन्हें उनकी समस्या पूछी।
तीनों भाइयों में से बड़े भाई ने अपनी समस्या का वर्णन करना शुरू किया। उसने कहा कि हमारे पिताजी कुछ ही दिनों पहले स्वर्गवासी हुए हैं और जाते-जाते उन्होंने एक वसीयत बनाई है और वह वसीयत ही हमारे समस्या का कारण बन चुकी है!
उसने आगे कहां की पिताजी ने उनकी 19 घोड़ियों को हम तीनो भाई में बटवारा किया है। वसीयत में उन्होंने लिखा है कि बड़े भाई को आधी घोड़िया, मजले को चौथाई और सबसे छोटे को पांचवा हिस्सा मिले।
उनकी वसीहत के हिसाब से बड़े बेटे को यानी मुझे साढ़े नो, मजलें को पौने पांच और सबसे छोटे को पौने चार घोड़ियां मिलनी चाहीए! इसी बात का झगड़ा है कि कोई भी भाई कम या ज्यादा लेने के लिए तैयार नहीं है। अब आप ही बताएं घोड़िया कोई जमीन का टुकड़ा या निर्जीव वस्तु तो है नहीं कि काट के ले ली जाए!
दरबार में हाजिर सभी के साथ दीपसिंह भी इस अजीब सी समस्या को सुनकर गहरी सोच में पड़ गए। उन्होंने काफी मनो मंथन किया लेकिन किसी तरह उन्हें इस समस्या का उपाय नहीं मिल रहा था। काफी देर तक कोई भी निर्णय वह नहीं ले पाए इसलिए आखिरकार उन्होंने सभी दरबारियों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें 1 दिन का समय दिया जाए अगले दिन वह जरूर इस समस्या का कोई समाधान लेकर आएंगे।
सभी लोग आश्चर्यचकित थे कि ईतने होशियार और कुशाग्र बुद्धि वाले दीप सिंह भी इस समस्या का समाधान नहीं निकाल पाए! सभी ये सोचने लगे की अब शायद इस जटिल समस्या का समाधान कभी भी नही निकल पाएगा।
अगले दिन फिर से जब दरबार लगा तो राजा ने कहां की मैं कोई भी हल नही निकाल पाया इसलिए एक घोड़ी मेरी तरफ से उन्नीस घोड़ियों में देता हु जिसे अब 20 घोड़िया हो जायेगी और तीनो भाई ठीक से उनका बंटवारा कर पाएंगे।
तीनों भाइयों को भी ये बात ठीक लगी उन्होंने उन बीस घोड़ियों की अपने पिता की वसीयत के मुताबिक बंटवारा किया!
बड़े भाई ने आधी यानी 10 , मंजले भाई ने चौथाई यानी की 5 और छोटे भाई ने 20 का पांचवा हिस्सा यानी की 4 घोड़ियां ली । सभी भाइयों ने अपने हिस्से की घोड़िया के ली फिर भी 1 घोड़ी बच गई जिसे उन्होंने राजा को वापिस लौटा दी!
राजा दीपसिंह ने एकबार फिर अपनी चतुराई से विकट समस्या को सुलझा दिया। राज्य की सभी प्रजा को अपने राजा की समझदारी और बुद्धिमानी पर गर्व हुआ।
