भाईयो के मतभेद की कहानी | Family Story

 भाईयो के मतभेद की कहानी | Family Story 


बहुत दिनों बाद अच्छी गहरी नींद आई। सो कर उठ जाने पर हॉस्पिटल में हूं, यह ध्यान में आने के लिए कुछ क्षण लगे। बेल बजने पर रूम में नर्स आई और बोली : गुड इवनिंग सर।


भाईयो के मतभेद की कहानी | Family Story


कोई मिलने आया था क्या?

 नहीं। नर्स ने कहां।

 बड़ी देर सोया था इसलिए पूछा। मोबाइल पर एक भी मिस कॉल या मैसेज नहीं आया था।

अभी कैसा लग रहा है? नर्स बोली। 


प्रचंड बोर हो गया हूं।


 3 दिन में वह पियून अंकल को छोड़कर दूसरा कोई भी मिलने नहीं आया! सब के सब इतना भी क्या बिजी होंगे? अपना कोई हॉस्पिटल में है इसकी कोई चिंता है कि नहीं? नर्स बोली।


पर मैंने कुछ जवाब नहीं दिया उसे।


सॉरी मैं जरा ज्यादा ही बोल गई, नर्स बोली।


जो सच है वही तो बोल रही हो आप! मैंने कहा। ब्लड प्रेशर चेक करते समय तो 2-3 टाइम सॉरी बोलकर नर्स चली गई। वैसे, नर्स का बोलना मन को लगा। दो शब्द बोलने के लिए नजदीकी कोई नहीं था, प्यार से बोलने वाला कोई नहीं था। बहुत बुरा लगता था। एकदम से रोना आ गया।


 मन भर आने के बाद शर्ट की स्लिव से आंखें पोछी। सर मे विचारों का पंखा जोरो से घूमने लगा। अस्वस्थता बढ़ी, आज मुझे किसी चीज की कमी नहीं थी। बड़ा बंगला, फार्म हाउस, 3 गाड़ियां,,बहुत सारा बैंक बैलेंस, सोशल स्टेटस सब है। तब भी मन शांत नहीं । किसी की तो कमी हो रही थी। हर कोई स्वार्थी होता है!


  मैं काफी होशियार चालाक बुद्धी लेकिन दुराग्रुही स्वभाव की वजह से कभी भी पसंद नहीं आता था किसी को! मुहफट था इस वजह से ज्यादा दोस्त नहीं थे और जो थे वह भी दूर चले गए।


 पत्नी को भी दोस्त नही बनने दिया,उससे हमेशा अंतर पर रखा। सांसारिक और शिशु का गृहस्ती होते हुए भी हमारे में दूरियां हमेशा थी। पैसों की वजह से बुढ़ापे में मां पापा के मन को भी दुखाया। बड़े भाई को फंसा कर सारी संपत्ति खुद के नाम पर कर ली। इतना सब करने के बाद क्या मिला? ज्यादा पैसों के साथ विकृत समाधान और कांटे जैसा चुभने वाला अकेलापन। यह सब विचार से सिर घूम रहे थे।


 खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था। मन हलका करने की इच्छा हो रही थी। पत्नी को फोन किया पर डिस्टर्ब मत करो और कुछ चाहिए होगा तो मैसेज कर देना ऐसा बोल कर उसने फोन काट दिया! जवानी के दिनो मे भी साथ नहीं रहने वाले बेटे से बोलने का तो सवाल ही उठता नहीं। फोन नंबर देखते समय भैया के फोन नंबर पर नजर रुकी। वापस यादों की भीड़! भैया का नंबर डायल किया पर तुरंत कट कर दिया, वजह हमारे बीच का ना बोलना।


3 साल पहले हमारा बहुत बड़ा झगड़ा हो गया था। उसके बाद बड़प्पन दिखाकर भैया ने सब कुछ भूलना चाहा। पर मेरा इगों बीच में आ गया.एम!इसलिए अब मुंह खोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी। तब भी बोलने का मन हो रहा था। बाद में हिम्मत कर के नंबर डायल किया और आंखें बंद कर ली।फोन उठाने के बाद भैया की आवाज आई। भैया मैं बोल रहा हूं।


 अभी तक नंबर डिलीट किया नहीं क्या तूने? छोड़ कैसा है तू? फोन क्यों किया? तभी मैं भैया को बोला,आपका गुस्सा समझ सकता हूं भैया। बहुत गलत बर्ताव किया मैंने आपके साथ। मीठी-मीठी बातें करके फसाया आपको।मन में जो भी था वह सब धार धार बोलने लगा। तभी भैया बोले, मुद्दे की बात बोल, गड़े मुर्दे मत उखाड़। हमारे बीच अब कुछ भी नहीं बचा।भैया ऐसा मत बोलो मैं तो सिर्फ बोल रहा हूं। आप तो.........

        

   पैसों के कारण भटक गया था मैं भैया।भूल हो गई मुझसे, बटवारा हो गया अब कुछ भी बचा नहीं, मुझे माफ कर दो मैंने बोला पर भैया की तरफ से कुछ भी जवाब नहीं आया!!!! 


मैं सुन रहा हूं बोल क्या काम था। मुझसे से पहाड़ इतनी भूल हो गई है भैया। तुझे कहा ना मुद्दे का बोल। जो हुआ वह सब भूल जाओ भैया। ठीक है। भैया बेमन से बोले।


 पर मैं बहुत ज्यादा भाऊक हो गया। तभी भैया बोले तुम्हारा हो गया होगा तो फोन रखता हूं।

   आज तो स्पष्ट रूप से बोल क्या हुआ? तभी मैं बोला हॉस्पिटल में अकेला पड़ा हूं भैया!


क्यूँ क्या हुआ? भैया का आवाज एकदम से आया। BP बढ़ गई है चक्कर आ रहे थे इसलिए भर्ती हुआ हूं। डॉक्टर ने आराम करने के लिए कहा है। तभी भैया ने पूछा साथ में कोई है क्या तुम्हारे? कोई भी नहीं है।दिन में दो-तीन बार पत्नी और बच्चे वीडियो कॉल करके अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।जो बोया वही पा रहा हूं! मैंने उनके साथ भी ऐसा ही किया था। कभी भी प्यार के दो शब्द बोले नहीं सिर्फ व्यवहार देखा, स्वार्थ के लिए रिश्तो को इस्तेमाल किया और तोड़े भी।


 अकेलेपन से आंखें खुल गई।मन भर आने से फोन कट कर दिया और अंधेरा करके बिस्तर पर पड़ा रहा। कुछ देर बाद नर्स आई लाइट लगाकर हाथ में कागज में कुछ रखा था वह नर्स ने मुझे दिया। उसमें से मस्त खुशबू आ रही थी।


 जल्दी-जल्दी उसे खोला तो उसमें भुनी हुई मूंगफली थी।वह देखकर बहोत खुशी हुई।जरूर भैया आए होंगे! कहां है भैया???

     


 मैं यही हूं कहकर भैया सामने आए। हम सगे भाई 3 साल बाद एक दूसरे से मिल रहे थे। दोनों के ही मन की विचित्र अवस्था हो गई थी। दोनों एक-दूसरे की ओर एकटक देखे जा रहे थे। अपने आप मेरे हाथ उनके सामने जुड़ने लगे। गुस्सा साइड रखकर तुरंत मिलने के लिए आए भैया!



 क्या करूं तुम्हारा फोन आने के बाद रहा नहीं गया मुझसे। उन्होंने कहा। जो हुआ सो हुआ अभी उसका विचार मत कर। आपको गुस्सा नहीं आया भैया? बहुत आया, पर आज तुमसे बात करने के बाद पूरा का पूरा गुस्सा बहकर चला गया।


 तुम्हें पसंद भुनी हुई मूंगफली ले ली और जल्दी यहां आ गया। भैया! मे आगे कुछ बोला नहीं। भैया ने सर पर प्यार से हाथ फेरा तब बहुत शांत शांत लगा।


 गुस्सा कभी भी रिश्तो से ज्यादा बड़ा नहीं होता पुरानी बातों को चिपक कर रहने का दर्द खुद को ही ज्यादा होता है। एक बात हमेशा ध्यान में रखना हमारा रिश्ता मतलब फेविकोल का जोड़...

   

भैया बचपन में देते थे वैसे ही मूंगफली के दाने छीलकर मुझे दे कर बातें कर रहे थे। वह भुने हुए दाने के स्वाद अफलातून था। अनजाने में कचरे के डब्बे पर ध्यान गया उसमें मूंगफली के छिलके के जगह मेरा ही इगों मुझे दिख रहा था। 


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