दुख का सबसे बड़ा कारण : कहानी | Story in Hindi with Moral
एक आदमी ने अपने जीवन भर पाई पाई इकट्ठा करके एक बंगले की तरह आलीशान घर बनाया।
इस घर पर उस आदमी को बहुत ज्यादा मोह था। वह घर की जी जान से देखभाल करता था। छोटी-मोटी प्रॉब्लम आए तो उसे तुरंत दुरुस्त करता था।
कई बार लोगों ने उसे उस घर को बेचने की सलाह दी थी। बहुत लोगों ने उसे बहुत अच्छी कीमत पर उस घर को मांगा भी था। उसका खुद का बेटा भी अच्छी कीमत मिलने से उस घर को बेचने के लिए तैयार था लेकिन वो आदमी कभी भी उस घर को छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। उसे जीवन में किसी भी और वस्तु से ज्यादा इस घर पर गर्व था, अभिमान था।
एक दिन वो आदमी बाजार गया हुआ था। जब वह बाजार से लौटा तो उसने देखा कि उसके घर के सामने बहुत बड़ी भीड़ जमा है। वह दौड़ते हुए आया तो उसे बहुत बड़ा आघात लगा क्योंकि उसके घर में आग लग चुकी थी।
अपने सबसे प्यारे घर को ऐसे आग में जलते हुए देखकर वह अधमरा सा हो गया। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें? उसने निर्णय लिया कि अगर उसका घर नहीं रहेगा तो वह भी नहीं रहेगा! वह भी उसी जलते हुए घर में अपनी जान दे देगा।
अपने दुख में जब वो आदमी जलते हुए घर में जाकर अपनी जान देने गया तब वहां तमाशा देख रहे लोगों में से एक ने उसे रोक लिया और उसे कहा कि क्यों बेवजह अपनी जान देना चाहते हो क्योंकि अब यह घर तुम्हारा नहीं है! एक दिन पहले ही तुम्हारे बेटे ने इस घर का सौदा किसी के साथ कर दिया था!
जैसे ही उस आदमी को इस बात का पता चला उसका सारा दुख खत्म हो गया। अब वह आदमी भी वही बाकी लोगो की तरह खड़े होकर उस घर के जलने का तमाशा देखता रहा!
जब वहां पर उस आदमी का बेटा आया तो वह आदमी अपने बेटे के पास जाकर उसे कहने लगा : जरूर मैंने पिछले जन्म में कई पुण्य किये होंगे इसलिए मुझे तुम्हारे जैसा बेटा मिला। अगर तुमने इस घर को सही समय पर बेच ना दिया होता तो आज मेरी जान चली जाती। तुमने इस घर को सही समय पर बेचकर मेरी जान बचा ली बेटा।
बाप की बातें सुनकर बेटे का मुंह उतर गया उसने बड़े दुख के साथ कहा कि पापा मैं इस घर का सौदा करने के लिए जरूर गया था लेकिन अभी इस घर का सौदा पक्का नहीं हुआ था!
यह सुनते ही आदमी का दिल फिर से बैठ गया। वह अपना सर और छाती पीट पीट कर रोने लगा और कहने लगा कि मैं बर्बाद हो गया। पहले किसी और का घर जल गया यह जानकर जो उसे खुशी हुई थी वह अब उसका घर है यह जानकर दुख में बदल गई।
दोस्तों इस कहानी से हम बहुत अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि दुख का कारण किसी भी चीज को अपना मानना होता है। जब कोई चीज अपनी है और वह हमें छोड़ कर जाती है तो बहुत दुख होता है लेकिन अगर वह चीज किसी और की है और उसके साथ कुछ भी हो जाए तो हमें दुख नहीं होता।
श्रीमद् भागवत गीता में भी यही लिखा है की किसी भी वस्तु को अपना मानना ही दुख का सबसे बड़ा कारण है इसीलिए किसी भी वस्तु के साथ ज्यादा लगाव या मोह नहीं बांधना चाहिए अगर हम ऐसा कर सके तो हमें जीवन में दुख भी नहीं होगा।
Read more Moral Hindi Stories
