मैंने कई रोचक कहानियां पढ़ी है। खासकर पाप और पुण्य इस विषय पर लिखी कहानियां मुझे बहुत पसंद है और आज इन्हीं बेहतरीन कहानियों में से एक "पापी या पुण्यात्मा : रोचक कहानी | interesting story" शीर्षक वाली यह कहानी मैं आपके साथ साझा कर रहा हूं। उम्मीद है इसे पढ़कर आपको भी आनंद आएगा। तो चलिए पढ़ते हैं पूरी कहानी...
पापी या पुण्यात्मा : रोचक कहानी | interesting story
एक जंगल में एक बुढ़ि मां और उसकी पोती रहती थी। बूढ़ी मां काफी परोपकारी स्वभाव की थी। उस जंगल में भटके हुए लोगों की मदद करना उन को राह दिखाना इन सब कामों में बूढ़ी मां को बड़ा आनंद आता था। बूढ़ी मां ने अपना पूरा जीवन अच्छे कर्म किए थे यानी कि हम उस बूढ़ी मां को एक पुण्यात्मा कह सकते है।
दोस्तों जहां अच्छाई है वहां बुराई भी होती है इसी जंगल में चार लुटेरे लूटमार करने के लिए भी आते थे। इस जंगल से गुजरने वाले लोगों को मारना और उनके सारे पैसे व गहने लूट लेना यही इनका काम था। यह लुटेरे इतने निर्दई थे कि किसी को भी मारने से पहले एक बार भी नहीं सोचते थे।
1 दिन वो रोज की तरह लूटमार कर रहे थे, लूटमार करते-करते शाम हो गई, बिजली की चमाकार और बदलो की गड़गड़ाहट के साथ जोरो से बारिश होने लगी।
वह चारो लुटेरे जंगल में सहारे के लिए इधर उधर भागने लगे। अचानक उनको बूढ़ी मां की कुटिया दिखी और वह उसकी की कुटिया के पास पहुंच गए। चारों लुटेरों ने तय किया की जब तक बारिश हो रही है तब तक इस कुटिया में रहेंगे और बारिश बंद होते ही बूढ़ी को मारकर उसका सारा धन लूट लेंगे। उन्होंने झूठ बोलकर बूढ़ी मां से मदद मांगी।
उसी जंगल में रहने वाली बूढ़ी मां ने भी इन चारों लुटेरों के बारे में काफी कुछ सुन रखा था। उन्हें एक नजर में देखते ही बूढ़ी मां ने उनको पहचान लिया। वह चार थे और ताकतवर भी ,बूढ़ी मां कमजोर थी इसलिए बूढ़ी मां ने उन्हें ना पहचानने का नाटक किया।
बूढ़ी मां को यह भी डर था कि उसके विरोध करने पर कहीं वह चारों उसे और उसकी पोती को हानि ना पहुंचाए। कुछ सोचने के बाद बूढ़ी मां ने उनको रात के लिए सहारा दिया। फिर बुढ़ि मां ने सब के लिए खाना बनाया।
सभी जब खाना खाने के लिए बैठे तब खाते-खाते बूढ़ी मां ने पाप और पुण्य का विषय छेड़ा । हर एक जन अपने हिसाब से इस विषय में अपनी राय दे रहा था। बूढ़ी मां का कहना था कि हमारे पुण्य हमें जीवन के आखिरी दम तक काम आते हैं और हमारा सुरक्षा कवच बनकर रहते हैं। बूढ़ी मां की ऐसी बातें सुनकर सभी चारों लुटेरे ठहाके लगाकर हसने लगे। जाहिर सी बात थी कि चारों ही लुटेरे पुण्य की ऐसी बातों में विश्वास नहीं रखते थे इसलिए बेधड़क आप वाले काम किया करते थे।
आखरी में बुढ़ि मां ने शर्त लगाई, वह बोली बाहर बिजली गिर रही है हर एक व्यक्ति उस सामने के पेड़ को छू करके वापस कुटिया मे वापस आएगा। जिसके ऊपर बिजली गिरी वह पापी होगा और जो सही सलामत से वापस कुटिया में आएगा वह पुण्यवान होगा।
पहला लुटेरा गया और पेड़ को स्पर्श करके सही सलामत से कुटिया में आ गया! एसे ही दूसरा गया, फिर तीसरा गया और चौथा गया और सभी सही सलामत कुटिया में वापस आ गए!
अब बारी थी बूढ़ी मां की और उसकी पोती की। बूढ़ी मां के मन में डर आया कि वह चारों ही लुटेरे पुण्यवान निकले! इसका मतलब हम जरूर पापी है! बिजली हमारे ऊपर ही गिरेगी! लेकिन शर्त लगाई थी और पूरी तो करनी ही थी इसलिए उसने अपनी पोती को गोदी में उठाया और कुटीया के बाहर पैर रक्खा।
उसी वक्त आसमान से एक बिजली तेज गड़गड़ाहट के साथ उस कुटिया पर गिरी और कुछ ही देर में उन चारों की उसी जगह पर मृत्यु हो गई।
इस कहानी से हम ये समझ सकते है की एक पुण्यवान व्यक्ति के सहारे से वो चार पापी सलामत थे पर जैसे ही वो उनसे दूर हुई तो उनका सुरक्षा कवच जैसे चला गया।
कहानी का सारांश
दोस्तो, इसलिए हमे हमेशा अच्छे और भलाई के काम करते रहना चाहिए और जितना हो सके सच्चे और अच्छाई के काम करने वाले लोगो के साथ रहना चाहिए यानी की सत्संग करना चाहिए।
