भगवान मदद करते है : श्रद्धा की कहानी | New Hindi Kahani
एक छोटे से गांव में एक रिक्शावाला रहता था। उसका नाम सुनील और उसकी पत्नी का नाम अनीता था। सुनील बहुत ही दयालु और मन का सच्चा इंसान था। उसकी भगवान में श्रद्धा भी अटूट थी। कैसी भी परिस्थिति उसका भगवान पर से भरोसा नही डग्मगाता।वह रोज ऑटो रिक्शा चलाकर लोगों को उनके घर लेकर जाता था। छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी से उसका बर्ताव अच्छा था। अच्छे स्वभाव की वजह से सेकडो लोग उसे पहचानने लगे थे।
आधी रात भी अगर किसी को आवश्यक काम के लिए बाहर जाना पड़े तो वह नेक इंसान तैयार हो जाता था। रात के समय भी औरते भरोसे के कारण इस रिक्शा चालक की रिक्शा में ना डरते हुए जाति थी।
वो एक दयालु मन का इंसान था। सभी गांव वाले उसे बहुत प्यार करते थे। उसे 3 लड़कियां थी चांदनी, सलोनी और अंकिता। वह तीनो पढ़ाई कर रही थी। बड़ी लड़की की पढ़ाई पहले से ही पूरी हो चुकी थी। सुनील ने अपनी बड़ी बेटी चांदनी की 12वीं तक पढ़ाई करवाई थी। बाकी की 2 लड़कियां पढ़ाई कर रही थी।
उम्र होते ही उसने अपनी बड़ी बेटी की शादी करने का निश्चय किया। भगवान ने दिया हुआ उसके पास जो भी था वो उसके लिये काफी था। रिक्शा चालक ने अपनी बड़ी बेटी की शादी एक अच्छी जॉइंट फैमिली में तय की। उसके ससुराल वालों ने शादी की तारीख निश्चित की थी। रिक्शा चालक ने अपनी बेटी की शादी के लिए पैसे जमा करने के लिए रात दिन मेहनत की थी। उसने अपनी बेटी को गहने, कपड़े और शादी का सब सामान खरीदी किया। वह अपनी बेटी की शादी का दिन देखने के लिए आतुर था।
एक दिन वह भगवान के मंदिर में पूजा करने गया। मंदिर में पूजा करते हुए वह बोलने लगा - हे भगवान मेरी बेटी की शादी जल्द होने वाली है। मेरी बेटी की शादी का सामान खरीदी करते समय मुझे कभी भी कोई कमी नहीं हुई आपके दयालु पन से सब ठीक चल रहा है। सब सामान भी आ गया है। खाद्य पदार्थ भी पहुंच गए हैं। उसने इन सभी के लिए भगवान का उपकार माना और उन्हें धन्यवाद किया।
शादी को दो-तीन दिन बचे थे। वह अपनी बेटी के पास गया और बोला मेरे पास तुम्हे देने के लिए ज्यादा नहीं है पर मैंने तुम्हारे लिए कुछ गहने लिए हैं। एक अच्छे परिवार में तुम्हारा हाथ सोप रहा हूं। लड़का अच्छा काम करता है वहा तुम्हें किसी भी चीज की कमी नहीं होगी। लड़की यह दूसरों की संपत्ति होती है। उन्हें एक न एक दिन ससुराल जाना ही पड़ता है।
कभी निराश मत होना बेटा। आज मैं तुम्हें यह पाठ सिखा रहा हु। बड़े लोगों की आज्ञा का पालन करना, अपने सास-ससुर को अपने माता पिता समान समझना, मैंने तुम्हें बारहवीं तक पढ़ाया है और सिलाई भी सिखाई है ससुराल वालों ने तुम्हें कोई भी काम करने को कहा तो वह काम तुम जरूर करना, हमारी प्रतिष्ठा का ध्यान रखना, लड़की उसके अच्छे गुणों से ससुराल वालों को अपना बनाती है। तुम्हारे सास और ससुर तुम्हें ताना मार रहे होगे तो समझ लेना कि तुम्हारे खुद के माता-पिता तुम्हें बोल रहे हैं।
यह सब बातें वह रिक्शा चालक अपनी बेटी को समझा रहा था। समझाते वक्त उसकी आंखों में आंसू आ गए थे। घर में शादी का वातावरण था घर में रिश्तेदारों की धूम थी। शादी को 3 दिन बाकी थे रात में अचानक रिक्शा चालक के घर भीषण । रात को उसका पूरा घर आगके लपेट मे आ गया। उसके घर में उसकी छोटी बेटी अंकिता पानी पीने के लिए उठी। उसने देखा कि आजू-बाजू में सिर्फ धू आ ही धु आ है और उसने अपने माता पिता को जगाया।
जागते ही सब आग लगी आग लगी ऐसा चिल्लाने लगे, कोई तो हमें बचाओ? बड़ी मुश्किल से रिक्शा चालक ने पीछे की बालकनी में जाकर खम्बे के सहारे से बालकनी से बाहर जाने का प्रयास किया घर के सभी सदस्य को जैसे तैसे उसने बचा लिया। लेकिन आग मैं घर का सब सामान जलकर खाक हो गया। आग मैं शादी का सब सामान जलकर राख हो गया था।
जहां थोड़ी देर पहले खुशियां थी,वहां का दृश्य अभी देखा नहीं जा रहा था। जिसने देखा उसकी आंखों से आंसू आने लगे। सब सोचने लगे बेचारा अब क्या करेगा? चांदनी उसके पिता की तरफ दौड़ते हुए गई और बोली पापा निराश मत हो। पापा थोड़ी भी चिंता मत करो यह सब मेरे नसीब में लिखा था। बुरे वक्त में हम हार नहीं मानेंगे, मैं आपका लड़का नहीं हूं तो क्या हुआ? आपने हमे लड़को के जैसे पालन-पोषण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सलोनी और अंकिता यह दोनों भी उठ गई थी। वह दोनों भी अपने पिता के पास जाकर खड़ी हो गई। पापा हम सब आपकी शक्ति है हम तीनों ही आपकी बेटियां नहीं, बेटे हे। आज से हम भी आपके साथ काम करेंगे।
चांदनी बोली अगर वो लड़का मुझे सच्चा प्यार करता होगा तो यह सब देखकर भी वह शादी के लिए तैयार होगा। जो भी होगा वह मैं आनंद से स्वीकार कर लूंगी। चिंता मत कीजिए। तीनों बेटियों ने मिलकर अपने पापा को समझाया।
आजू बाजू के सब लोग इकट्ठा हुए। साथ में बोल रहे थे कि ससुराल वालों को क्या जवाब दोगे? जो आया वह शोक व्यक्त करके चला जाता था। सुनील के घर के पास लोगों की भीड़ जमा हुई थी। सभी बोलने लगे कि आप ने अच्छे काम करके पैसे कमाए थे। सुनील बोला कदाचित भगवान की यही इच्छा होगी, तभी उसकी पत्नी अनीता आई और बोली कि आप बस भगवान का नामस्मरण करते रहो,आपके भगवान ने आपको बदले में यह सब दिया है!
अब इस घर में कभी भी भगवान का नाम नहीं लेना! तभी सुनील उससे बोला, तुम नसीब वाली हो जो इतनी बड़ी आग में से तुम जिंदा वापस बाहर आई। यह नियति का खेल है। भगवान को क्यों दोष देते हो?
किसी आदमी ने प्रेस में यह खबर दे दी। दूसरे दिन समाचार पत्र में खबर आइ की ऑटो रिक्शा चालक सुनील के घर में आग में जलकर सब खाक हो गया। उसकी बेटी की शादी को कुछ ही दिन बचे थे गरीब आदमी अपनी बेटी की शादी कैसे करेगा?
जिसने भी यह खबर सुनी उसने मदद की। उसे भले रिक्शा चालक को पहचानने वाले सब आए और पता नहीं अपने साथ क्या लाए? उसका घर तोहफा से भर गया था। किसी ने गेहेने,किसी ने कपड़े, किसी ने राशन तो किसी ने पैसे दिए। सब सुनने के बाद सभी रिश्तेदारों ने मदद की। शाम तक उसके घर में कितने रुपए जमा हुए थे पता नहीं!
तीनों लड़कियों ने सब पैसे पापा की पास दे दिए तब सभी का अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि जहां सब ध्वस्त हो गया था वहां उसने तीनों लड़कियों के साथ बैठे बैठे इतने पैसे जमा कर लिए की आसानी से शादी हो सकती थी।
भगवान देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। उसने अपनी बेटी की शादी मंदिर में बड़े धूम धड़ाके के साथ की। लोग आपस में बोल रहे थे कि सच्चे मन के इंसान को भगवान मदद क्यों नहीं करता? आज भगवान के इस चमत्कार पर सभी की श्रद्धा थी। भगवान जो भी करते हैं वह अच्छा ही करते हैं। रिक्शा चालक की पत्नी बोली, मुझे माफ कर दो! गुस्से से भगवान को क्या कुछ नहीं बोल दिया ?
तीनों लड़कियां हंसते हंसते मां की तरफ देख रही थी। देर बाद जहां सब रो रहे थे वहां सब के चेहरे पर खुशी दिखी। भगवान सच्चे मनुष्य की सबसे कठिन परीक्षा लेने में कोई भी कसर नहीं छोड़ते हैं। सुनील और उसकी बेटियों ने संकट के समय एक दूसरे का साथ दिया अपना विश्वास डगमगाने नहीं दिया।
सच्चाई और भगवान में विश्वास के साथ अपना कर्म करते रहिए फल की इच्छा करो या ना करो सही समय पर सही फल जरूर मिलता है और जब
भगवान हमारी मदद करना चाहते है तो ऐसे करते है जहां तक हमारी बुद्धि सोच भी नही सकती।
