संतुष्टि : पौराणिक कथा | pauranik katha
एक धनी साहूकार था। उसके पास बहुत दौलत थी।उसने ईतनी दौलत हासिल कर ली थी कि अगर अगले 7 पीढ़ियां बैठ कर खा ले तो भी खत्म नहीं होगी।
हालांकि यह अमीर आदमी तभी भी खुश नहीं था। उसके मन में कुछ ऐसा था कि वह रात भर सोना नहीं पाता था। इसलिए वह सच्चे सुख से वंचित रह गया उसने सब से पूछा कि वो ऐसा क्या कर सकता है जिससे को इस शर्मिदगि से छुटकारा पा सके! और सुख और शांति से सके।
किसी ने उसे कहा कि संतों की शरण में जाओ तो संत आपको इससे बचाएंगे। धनी संतों की तलाश में गया। रास्ते में एक साधु महाराज एक पेड़ के नीचे बैठे थे। धनी व्यक्ति ने उनका अभिवादन किया और कहा "गुरुजी मेरे पास किसी वस्तु की कोई कमी नहीं है,अगली 7 पीढ़ीया बैठकर बिना काम किए आराम से खा पाएगी, फिर भी मैं खुश नहीं हूं! क्योंकि एक व्याकुलता मुझे सोने नहीं देती।
साधु महाराज ने कहा : पहले बता की आपत्ति क्या है? फिर उससे कैसे छुटकारा पाया जाए वह तुझे बताता हूं।
अमीर आदमी ने कहा : यदि महाराज ऐसा कहते हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन एक परेशानी है और परेशानी यह है कि मेरी आठवीं पीढ़ी का क्या होगा? क्योंकि यह धन 7 पीढ़ियों के लिए पर्याप्त है जो मैने अर्जित किया है। सिर्फ चिंता आठवीं पीढ़ी की है!
साधु महाराज मुस्कुराए और बोले चिंता मत करो मैं तुम्हें इस परेशानी से बचालूंगा। साधु ने उसे 1 किलो चावल की पोटली दी और कहा कि उस पहाड़ पर एक बुढ़िया एक कुटिया में रहती है उसको चावल देकर आ। जा मैं तुम्हें तुम्हारे भ्रम से मुक्त करता हूं।
अमीर आदमी चावल लेकर बुढ़िया की कुटिया में आ गया। उस कुटिया में दरवाजा तक नहीं था वह बुढ़िया भगवान के भजन में लीन थी, वह अभिभूत थी।
अमीर आदमी के पैरों की आहट से बूढ़ी मां की ध्यान टूट गई। उसने ऊपर देखा और कहा कि बेटा आप यहां क्यों आए हो? उसने कहा माजी में तुम्हें चावल देने आया हूं। यह चावल लो फिर मैं जाऊंगा।
बुढ़ि मां ने कहा कि मैंने आपको चावल लाने के लिए कहा था क्या? क्या आपके सामने हाथ फैलाया था? नहीं, है ना? फिर चावल क्यों लाए ? यह पोटली उठाओ और जाओ! फिर अमीर आदमी ने कहा मुझे उस पेड़ के नीचे बैठे साधु ने भेजा है इसलिए मैं आया हु ।
उसने कहा कि जाकर साधु से कह देना कि मेरी कुटिया में 2 दिन के लिए पर्याप्त चावल है। अमीर आदमी ने अपने सामान्य ज्ञान का इस्तेमाल किया। उसने कहा की माजी आपको तीसरे दिन के लिए चावल काम आएंगे।
उसने कहा कि आप और वह साधु मेरे तीसरे दिन की चिंता मत करो। बुढ़ि बोली। उस साधु से कहना कि मेरे तीसरे दिन के चावल का संबंध उसी से है, जिस पर मैं इस एकांत स्थान में अपना सारा बोझ लेकर जप करने बैठी हूं।
यह सुनकर अमीर आदमी पोटली लेकर वापस आ गया। साधु के सामने पोटली रखकर चला गया। साधु ने उसे पुकारा," अरे ओह सज्जन तुम समस्या लेकर आए हो, है ना? मैं तुम्हें इस से बाहर निकालने जा रहा हूं ।"
अमीर आदमी ने सिर झुका कर कहा महाराज मुझे जवाब मिल गया । वह बुढ़िया तीसरे दिन के चावल नहीं है तभी भी खुश है। और मेरे पास सब कुछ है तभी भी मैं दुखी हूं।
जिसके पास कुछ भी नहीं है वह अगर अपने भविष्य का विचार नहीं करती और भरोसा करती है कि भगवान कुछ बुरा नहीं होने देंगे। तो फिर मैं जिसे भगवान ने इतना कुछ दिया है मुझे इस फालतू की चिंता में नहीं पड़ना चाहिए यह मुझे समझ में आ गया है!
दोस्तों छोटी सी यह ज्ञानवर्धक कहानी हमें समझाती है कि हमारे पास जो है उस का आनंद लेना चाहिए,उसमें खुशी ढूंढनि चाहिए। जो नहीं है उसके बारे में फालतू की टेंशन लेकर हमें अपना सुख चैन नहीं खोना चाहिए।
