एक अंधी मां की दर्दनाक कहानी | Sad Story

एक अंधी मां की दर्दनाक कहानी | Sad Story 


स्कूल से घर आने के बाद लड़के ने उसकी बैग सोफे पर फेंक दी और अपनी मां पर नाराज होकर कहने लगा" तू आज मेरे स्कूल में क्यों आई थी?"


एक अंधी मां की दर्दनाक कहानी | Sad Story



मां बोली अरे बेटा, मैं तेरे खाने के डिब्बे में चटनी रखना भूल गई थी और तू वैसे ही डिब्बा लेकर स्कूल चला गया था इसलिए मैं चटनी का डिब्बा लेकर तेरे स्कूल आई थी!


 फिर लड़का बोला तुझे पता नहीं है क्या? तु एक आंख से अंधी हैं, तेरे घर जाने के बाद सब मुझ पर हंस रहे थे।  मुझे चिढ़ा रहे थे और मुझे काणी का बेटा बोल रहे थे।


  फिर मां बोली ठीक है मैं फिर से नहीं आऊंगी तेरी स्कूल में। तुझे भूख लगी होगी बेटा खाना खा ले। 


पर लड़के को अपनी मां पर बहुत गुस्सा आया था, वह बोला मुझे नहीं खाना और वह गुस्से से मां को भला बुरा कहने लगा! वह बोला कि तू अंधी है तू अंधी है।


 ये सुनके उसकी मां को बहुत बुरा लगा पर उसने वह नाराजगी अपने चेहरे पर नहीं दिखाई। उसने अपने बेटे पर गुस्सा नहीं किया।


 उसने आगे अपने बेटे खूब को पढ़ाया। वह लड़का स्कूल में पहला आया। शिक्षण संस्थान ने उसके लिए सम्मान का कार्यक्रम का आयोजन किया। लड़का तैयार होकर कार्यक्रम के लिए जाने लगा। उसकी मां ने पूछा कि बेटा मैं आऊं क्या तुम्हारे साथ?


 वह बोला नहीं। फिर लड़का कहने लगा कि तेरी एकही आंख है। तू मत आ, लड़के के शब्द सुनकर मां को रोना आया। पर उस होशियार और बुद्धिमान लड़के को अपनी मां का दुख नहीं दिखाई दे रहा था।


 मां तो आखिर मां ठहरी! मां से रहा नहीं गया वह अपने लड़के का सम्मान होते हुए देखना चाहती थी।  वह स्कूल गई और सबसे पीछे खड़ी रही! अपने लड़के को माला पहना हुआ देखकर वह बहुत खुश हो गई। 


कार्यक्रम होने के बाद जब लड़का घर आया तब उसकी मां उसे कहने लगी की,बेटा मैं तेरा कार्यक्रम देखने आई थी। मां का कहना पूर्ण होने से पहले वह उस पर चिल्लाने लगा और कहने लगा कि तुझे कितनी बार मैने मना किया था, मेरे स्कूल आया मत कर फिर भी तू स्कूल आई। तु आई क्यू? 


उसको अपनी मां की ममता नहीं दिखाई दी, उस लड़के के होशियार दिमाग को सिर्फ स्कूल के विषय समझते थे वह उसकी मां को कभी समझ नहीं पाया।

  

  ऐसे ही दिन बीत गए। लड़का बड़ा हुआ,लड़के की शादी हुई। फिर उसकी पत्नी उसे कहने लगी कि पड़ोस के लोग मुझे कहते हैं कि तेरी सास एक आंख से अंधी है। यह शब्द मुझसे सहन नहीं होते।


 एक दिन लड़का उसकी मां को बोला कि तु अंधी है इसलिए हम यह घर छोड़कर दूसरे शहर में रहने जा रहे हैं। दूसरो के घर के बर्तन घीसके बड़ा करने वाली, खुद का मंगलसूत्र और सोने के गहने बेचकर अपने लड़के को पढ़ाने वाली मां को छोड़कर वह दोनों दूसरे शहर में रहने चले गए।


  धीरे-धीरे 10 साल बीत गए। एक दिन उसकी मां की तबीयत बहुत बिगड़ गई। वह सोचने लगी कि अब मैं यह दुनिया छोड़ कर चली जाऊंगी पर मुझे एक बार मेरे बच्चों को देखना है। तुरंत उसको अपने लड़के और बहू के शब्द याद आने लगे की तु अंधी है। वह बच्चों से मिलने का विचार मन से निकाल देती है।

 

पर मां तो मां ठहरी! उससे रहा नहीं जाता। वह अपने लड़के से मिलने के लिए निकलती है। शहर में उसके बेटे के घर पहुंचती है। तब उसे अपने पोता पोती खेलते हुए दिखाई देते हैं। वह उनको उठाकर खिलाने के लिए आगे जाती है पर उतने में उसकी बहू चिल्लाती है कि आप बच्चो को हाथ मत लगाना!


 उस वक्त उसका बेटा वहा आता है और कहता है कि तू इधर क्यों आई? मां, चली जा यहां से। मां को बहुत दुख होता है और वह जैसे तैसे अपने आप को संभाल कर घर वापस आती है। 


कुछ दिनों बाद पड़ोसिउसके बेटे को फोन कर बताते है.. कि तुम्हारी मां के पास अब ज्यादा समय नहीं बचे इसलिए एकबार आकार उनसे मिल लो। लोगो की शर्म से वह लड़का अपनी मां को मिलने के लिए निकला। पर मन उसे अपनी मां पर बहुत गुस्सा आ रहा था वह कहने लगा की बुढ़िया जल्दी मर जाए तो अच्छा होगा। वह मां के घर पोहचा तब पड़ोसियों ने कहा कि तेरी मां परसों रात को मर गई। हमने तेरी कल दोपहर तक राह देखी पर तू नहीं आया।  हमने ही तेरी मां का अंतिम संस्कार कर दिया। 


वह उसके आखिरी पल में भी तेरा नाम ले रही थी! पड़ोसियों ने लड़के को एक पैकेट दिया। लड़का फिर शहर वापस चला गया। उसकी पत्नी ने पूछा कि क्या हुआ? तिरस्कार से बोला की अंधी मर गई!


 चाय पीते पीते उसने वह पैकेट खोल कर देखा तो उसमें एक चिट्ठी थी। वह चिट्ठी उसने निकाली और पढ़ने लगा।

    " बेटा ऐसा लग रहा है कि अब मेरी भगवान के घर जाने का समय आया है। इसलिए मैं तुझे बता रही हूं कि तू जब छोटा सा था तब एक एक्सीडेंट में तेरी एक आंख  चली गई थी मैं तुझे ऐसे नहीं देख सकती थी । तेरे बाबा ने तेरे इलाज के समय अपने पास के सब पैसे,प्रॉपर्टी खर्च कर डाले पर वह सब तुझे आंखे नहीं दे सके।

   मैं तुझे ऐसे एक आंख के बिना नहीं देख पा रही थी इसलिए मैंने मेरी एक आंख तुझे दे दी! जब तेरी दोनों आंखें आई तो मेरी एक आंख से आंसू आने लगे।"

 बेटा हमेशा खुश रहना और सुखी रहना। चाय का कप वैसे ही भरा का भरा रहा और वह लड़का मां,,, मां कहकर जोर से रोने लगा। रोते रोते वह कहने लगा की मा तूने तेरी एक आंख मुझे दी थी, तू मेरे लिए एक आंख से अंधी हो गई थी। यह बात तुने मुझे क्यों नहीं बताई? मुझे माफ कर दे मां, मैं तुझे कभी समझ नहीं पाया। 


बेटे के पास अब सब कुछ था घर,पैसा,परिवार लेकिन उसे जन्म देने वाली उससे भी ज्यादा उसे सुखी रखने के लिए जीवन भर बिना एक आंख के रहनेवाली मां नही थी।


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