मोटी बहू की कहानी | Hindi Kahaniya

 मोटी बहू की कहानी | Hindi Kahaniya 


किशोर जी शहर में रहते थे उनको एक बेटी और एक बेटा था। बेटे का नाम अनिल और बेटी का नाम लीला था। उम्र होने पर पहले बेटी की और बाद में बेटे की शादी करवाई। बहू का नाम सीमा था।


मोटी बहू की कहानी | Hindi Kahaniya


शादी के दो-तीन सालों में ही सीमा का वजन काफी बढ़ गया था और वह पहले से दुगनी मोटी दिखने लगी थी। इस मोटापे की वजह से सीमा को कई लोगों के ताने सुनने पड़ते थे पड़ोसी पड़ोसी भी उसे मोटी भैंस कहने में हिंचकिचाते नहीं थे।


कितनी मोटी हो गई है! कैसी दिन पर दिन फैलती जा रही है? देखो, जरा भी शर्म नहीं आती! पति बेचारा सूखा जा रहा है यह देखो खा खाकर कैसे मोटी हो रही है। कुछ इस तरह की बातें अक्सर सीमा के कानो पर पड़ जाती थी।


स्वभाव से हंसमुख सीमा इन बातों को इग्नोर भी कर देती लेकिन उसे ज्यादा दुख तब होता था जब उसकी खुद की सास और ननंद उसके मोटापे के लिए उसे दोषी ठहराते और भला बुरा कहती।


अनिल शरीर से काफी दुबला पतला था। शादी के बाद भी उसके शरीर में रत्ती भर का भी फर्क नहीं आया था। हालाकी सीमा मोटी होती जा रही थी उसमें उसका कोई भी दोष नहीं था। बल्कि सीमा तो अनिल से भी कम खाना खाती और दिन भर घर के सारे काम करती रहती थी।


अपने मोटापे की वजह से चाहे किसी काम में कितनी भी दिक्कत हो सीमा उस काम को कभी अधूरा नहीं छोड़ती थी। उसने घरेलू नुस्खे और कई तरह के उपाय करके अपना मोटापा कम करने की कोशिश की थी लेकिन शायद उसके शरीर के हारमोंस ही थे जो उसे मोटा बनाए रखे थे।


अनिल को उसके मोटापे से कोई हरकत नहीं वह तो बेचारा अपने बिजनेस को संभालने में व्यस्त रहता था। उसकी मां और बहन हमेशा इस वजह से सीमा को कुछ ना कुछ सुनाते रहते थे और सीमा काफी रोया करती थी।


सीमा जब भी मौका मिलता अपने पति से इस बारे में बात करती थी और कहती थी कि अपनी मां और बहन को समझाओ मैं मोटी हूं उसमें मेरा क्या दोष है? पूरी दुनिया मुझे कुछ भी कहे मुझे फर्क नहीं पड़ता लेकिन जब मेरे अपने कि मुझे भला बुरा कहते हैं तो मुझे काफी दुख होता है। 


ऐसे ही दिन बीते चले गए। एक दिन सीमा की सास ताजी हवा लेने के लिए जब टेरेस पर गई हुई थी तब वापस लौटते समय उनका पैर फिसला और सीढ़ियों से वह गिर गई।


 भाग्य से वह बच गई लेकिन उनके पैर मैं बड़ा फ्रैक्चर आया। उनको अब एक जगह से दूसरी जगह जाने में भी काफी दिक्कत होने लगी बिना किसी के सहारे के वह ऐसा कर ही नहीं पा रही थी। 


जिस मोटी बहू को वह रोजाना ताने मारती थी आज वही बहू उनका हर काम कर रही थी और उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जा रही थी। उनका खुद का वजन भी 75 किलो था जो उनके बेटे अनिल के लिए भी उठा पाना संभव नहीं था। हमको विचार आया की बहू शरीर से भरी पूरी नहीं होती तो आज उनका क्या होता है? 


सीमा कि सास को सीमा के साथ किए हुए अपने बुरे बर्ताव के लिए पछतावा होने लगा। उन्होंने एक दिन मौका देखकर इस बात के लिए सीमा से हाथ जोड़कर माफी भी मांगी। सीमा ने कहा अरे मालिक आप माफी क्यों मांग रही है आप मुझे समझने लगी मेरे लिए इतना ही बहुत है।


उस दिन के बाद सीमा के साथ में कभी भी उसे उसकी मोटापे की वजह से एक शब्द भी नहीं बोला बल्कि तो उन लोगों से लड़ जाती थी जो सीमा को मोटी कह कर उसकी बुराई करते थे। सीमा की ननंद भी इस घटना के बाद उसे इस विषय पर कुछ भी ना कह सकी। खुश मिजाजी सीमा अब पहले की तरह ही सब कुछ भुला कर खुश रहने लगी।


दोस्तों, हमारे समाज में हमारे आसपास आपको ऐसे कई लोग मिल जाएंगे जो दूसरों को उनके शरीर की बनावट के हिसाब से गलत नाम देते हैं या उन्हें नीचा समझते हैं। किसी की हाइट कम है तो नाटा, किसी का रंग काला है कालिया, कोई हेल्दी है तो मोटा, किसी के बाल कम है तो टकला। हमें ऐसी सोच को पूरी तरह खत्म करना होगा और यह समझना होगा कि बाहरी स्वरूप ज्यादा मायने नहीं रखता मायने रखता है भीतरी खूबसूरती, स्वभाव और विचार।


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