मायका से पहले ससुराल : श्रेष्ठ कहानी | Hindi Kahaniya

 मायका से पहले ससुराल : श्रेष्ठ कहानी | Hindi Kahaniya 


भारतीजी जब रोटी बना रही थी कि तभी किसी ने दरवाजे की बेल बजाई। बेचारी भारती रसोई घर में अपने हाथों में लगे आटे से भरे हाथों के धोने तक लगातार दरवाजे की कुंडी बज रही थी। वह लगातार बोल रही थी थोड़ा रुको...... मैं आ रही हूं। अब इस उमर में वह भाग कर जा भी नहीं सकती दरवाजा खोलने के लिए।


मायका से पहले ससुराल : श्रेष्ठ कहानी | Hindi Kahaniya



 जैसे ही उसने दरवाजा खोला, और सामने देखा तो उसकी बेटी अदिति  दरवाजे के बाहर खड़ी थी। तब उसे आश्चर्य हुआ कि कुछ बताया भी नहीं, मैंने भी नहीं बुलाया,तो अदिति अचानक कैसे आ गई? अपनी बेटी को देखकर भारती बोली, आने से पहले बताना तो चाहिए था। अकेले ही आई हो क्या? जमाई जी और बच्चे कहां हैं?


 भारती ने एक साथ कई सारे सवाल किए।तभी अदिति बोली मां! क्या कोई अपनी प्यारी इकलौती बेटी का ऐसे स्वागत करता है? मुझे लगा कि तुम मुझे अचानक देखकर बहुत खुश होगी और सबसे पहले मुझे गले लगा लोगी पर यहां तो उल्टा ही हो रहा है। शायद तुम दुनिया की पहली मां होगी जो बेटी को ससुराल से अपने घर आते देख खुश होने के बजाय चिंता में पड़ गई!


कया मैं अकेली इस घर नहीं आ सकती? क्या हमेशा दामाद और बच्चो के साथ ही आना जरूरी है? बोलकर आदिति घर में प्रवेश कर गई और अपना सामान रख कर बोली भाभी कहां पर है? भाभी जल्दी चाय नाश्ता लेकर आओ आपकी ननंद आई है। बहू घर पर नहीं है अपने मायके गई है। मां ने कहा।


अच्छा इसलिए तुम घर संभाल रही हो और खाना बना रही हो मां! तुम्हारी बहू के तो बड़े ठाठ है बहू मोज से घूम रही है और सांस घर संभाल रही है। देखो ना आपने बहू के आने से पहले ही खाना बना कर रखा है। उसे घर आकर कुछ भी काम करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। बड़े नसीब लेकर आई है आपकी बहू। और एक मैं हूं जिसे उसकी सास कभी एक ग्लास पानी भी नहीं पूछती! अदिति ने ताना मारते हुए कहा।


बेटा प्यार और इज्जत ऐसी चीज है जो हम पहले किसी को देते हैं फिर उससे अपेक्षा रखते हैं कि वह भी हमें वापस दे। मां ने उसे समझाते हुए कहा। मां ने आगे कहा हर एक लड़की को अपने ससुराल में जगह बनानी पड़ती है। वहां कुछ भी आसानी से नहीं मिलता। तुम अपनी सास से एक ग्लास पानी की अपेक्षा करती हो, तुम तो उनकी बहू हो, तुम बहू हो फिर भी तुमने कभी उन्हें एक गिलास पानी दिया है क्या? 


तुम शादी के बाद ससुराल में रही ही कितने दिन? जब तुम्हारे मन को लगा तब अपनी बैग भरी और सीधा मायके आ जाती हो। मायका और ससुराल एक ही शहर में है इसका मतलब ऐसा नहीं होता है कि तुम जब चाहो तब मायके आ जाओ और चाहो उतने दिन रह कर वापस ससुराल चली जाओ। मायके में भी बेटी को मान सम्मान तभी मिलता है,जब बेटी ससुराल का मान सम्मान रखकर मायके में  कुछ दिनों के लिए आती है तभी उसे मान सम्मान मिलता है।


ऐसा हर रोज बिन बुलाए कोई कारण ना होते हुए भी कोई बेटी मायके आती होगी तो उसको साधारण पूछताछ भी कोई करता नहीं और तुम मेरी बहू को बोलती हो ना? तुम तो मेरी बहू की बराबरी ही मत करो। वह कभी भी बुलाए बिना अपने मायके नहीं जाती है और गई भी तो वहां की कोई भी बात में वह कुछ नहीं बोलती। वह जब घर में रहती है तब वह मुझे घर में के कोई भी काम को हाथ लगाने नहीं देती अब मेरी इच्छा से घर के काम कर रही हूं। वह मुझे काम करने को नहीं केह गई।


 अपनी बेटी को मां के सिवाय अच्छा कौन समझ सकता है? मुझे तुम्हारा स्वभाव अच्छी तरह पता है। तुम्हारे ससुराल में सब लोग अच्छे हैं तुम ही उनके साथ मिलजुल रहना नहीं चाहती। ससुराल तो ससुराल होता है और मायका तो मायका होता है। मायके में घर का काम अपनी मर्जी से होता है।ससुराल में सबसे पहले सब का दिल जितना पड़ता है, सब को अपना बनाना पड़ता है। उसके लिए छोटों से लेकर बड़ों तक सबको प्यार करना पड़ता है।सबकी पसंद नापसंद का ध्यान रखना पड़ता है।सबसे प्यार से बोल कर सबको उनके घर के कामों में मदद करनी पड़ती  है तभी सब लोग घर में आई नहीं बहू को स्वीकार करते हैं। उसे अपना  मानते।


 तुम जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार ही नहीं हो। इसलिए रोज-रोज मायके चली आती हो। यहां आकर भी वही करती हो। अभी की बात देख लो, घर में कदम भी नहीं रखा उतने में भाभी को ऑर्डर देना शुरू कर दिया! 


     भाभी मुझे चाय नाश्ता लेकर आओ। वह व्यक्ति घर में है या नहीं वह कैसी है,उसकी तबीयत कैसी है, वह पूछना भी  जरूरी नहीं समझा! घर में आए मेहमान की मेहमान नवाजी होती है पर उनका बर्ताव बोलना सामने के व्यक्ति को पसंद आया तो मेहमान नवाजी ना मांगते पूरी होती है पर तुम्हारा ऐसा बर्ताव मुझे ही पसंद नहीं आता तो तुम्हारे ससुराल के लोगों को कैसे पसंद आएगा? तुम बोलती हो ना मेरे बहू का बहुत थाट है तो वो बात सही है उसने यहां हमारा दिल जीत लिया है और हर एक के दिल में खुद की जगह बनाई है।


 वो रोज रोज तुम्हारे जैसी ससुराल के लोगों के साथ झगड़ा करके मायके नहीं जाती इस वजह से ससुराल और मायका दोनों जगह उसकी इज्जत होती है। जब तक उसे अपने मायके से बुलावा नहीं आता तब तक वह जाती नहीं। 


आज मां ने ही अपनी बेटी को उसके बर्ताव के दोष दिखाएं क्योंकि उसे लगता था कि अपनी बेटी को अभी नहीं समझाया तो वह उसे कभी नहीं समझेगी। तब तक  बहू भी घर आ गई, उसने अदिति को देखते ही वह बोली अरे दीदी आप कब आई? मुझे फोन किया होता तो मैं जल्दी घर आ गई होती ना..... इस पर आदिति बोली नहीं नहीं भाभी में वापस जा रही हूं! अभी ही मेरी सास का फोन आया था। उनके सीने में दर्द हो रहा है। मुझे वापस जाना है। आऊंगी वापस कभी यहां.एल। बोलकर आदिति अपना सामान लेकर चली गई। तभी उसकी भाभी ने उसे रोकने का प्रयास किया, पर उसकी सास ने ही अपनी बेटी को रोकने के लिए मना किया और अपनी बहू को बोली बहू जाने दो उसे पहले अपना घर संभालने दो। उसके बाद उसे मायके में आने दो। तुम्ह भी किसी के नहीं बुलाने पर तुम्हारी मायके जाती हो क्या? तभी बहू भी समझ गई कि सास ने उनकी बेटी को जीवन का पाठ पढ़ाया। 


काफी महीने हो गए अदिति का फोन नहीं आया था। वह खुद भी मायके नही आई इसलिए उसकी मां ने उसे फोन किया। शुरुआत में किसी ने भी फोन उठाया नहीं। फिर थोड़ी देर बाद फोन किया तो फोन उठाया, लेकिन आदिति ने नहीं उसकी सास ने उठाया।


 तभी उन्होंने ने उनकी तबीयत का पूछा। फिर दोनों की बातें शुरू हुई। तभी बीच में ही अदिति की सास ने उसकी मां को धन्यवाद किया। तब अचानक उनके ऐसे बोलने पर उनको कुछ समझ नहीं आया। इसलिए भारतीजी ने वापस पूछा आप और किसी के बात कर रही हो क्या?


 अदिति की सास बोली नहीं तो। फिर आप धन्यवाद किसको बोल रही थी? भरतीजी पूछा आपकी बेटी अदिति बहुत समझदारी से बर्ताव कर रही है। सभी को अपना बनाने की कोशिश कर रही है। सभी की मनपसंद का खाना बनाकर खिलाते हैं। घर में बहुत आनंद का वातावरण बना है। कोई भी झगड़ा नहीं, जैसे स्वर्ग ही बन गया हो मेरा घर! इसलिए मैं आपको धन्यवाद बोल रही हूं।


 आपकी बेटी के अच्छे बर्ताव से यह दिन हमें देखने मिला। हम बहुत धन्य हो गए। पहले हमें उस की तरफ से कोई भी अपेक्षा नहीं थी। पर आपने उसे समझा कर भेजा और उसके स्वभाव मैं बदलाव आया। आज उसी आदिति को मायके जाना तो दूर की बात है,फोन पर बोलने के लिए भी उसके पास वक्त नहीं है। वह अपने गृहस्ती में व्यस्त हो गई है।


        दोस्तों सभी मांओने अगर अपनी बेटियों को ऐसा समझाया और उनको समझ आ गया तो किसी भी घर में झगड़ा होगा ही नहीं और कोई भी घर टूटेगा नहीं!


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