कहानी दो बहुओं की | Heart Touching Story
नीता को तारीफ शब्द पता ही नहीं था। घर के सारे काम वह एकदम सही-सही करती थी। खाना बहुत स्वादिष्ट बनाती थी लेकिन फिर भी "आज का खाना अच्छा था बहु" ऐसा उसकी सास कभी भी बोलती नहीं थी और पति भी कभी उसकी प्रशंसा नहीं करता था। उसने बनाया हुआ खाना चुपचाप खा कर उठकर दोनों पति और सास चले जाते थे। उसने खाना खाया या नहीं इसका उन दोनों को फरक नहीं पड़ता था।
सास को वह पसंद नहीं थी। उसके हाथों से जरा सी भूल हो गई तो सांस तुरंत गुस्सा करती थी। उससे भी बुरी बात यह थी कि उसके पति और उस के बीच बातचीत का ज्यादा नहीं होती थी और उन्होंने ये चुप्पी बनाए रख्खी थी। वह उस पर ध्यान नहीं देता था।
परदेस में पढ़ाई करने गया हुआ छोटा देवर मात्र समय-समय पर नीता को फोन करता था, पूछता था भाभी कैसी हो? उसका फोन आने पर नीता बहुत खुश होती थी। अपना मन हल्का करने का उचित स्थान था नीता का।
कुछ ही दिनों में देवर की पढ़ाई खत्म हो गई और वह घर आया। थोड़े समय के भीतर उसे एक अच्छी नौकरी भी मिल गई। नीता को बहुत आनंद हुआ।
नौकरी लग जाने के बाद उसकी सास अपने छोटे बेटे की शादी के लिए बातचीत करने लगी। पर देवर को एक भी लड़की पसंद नहीं आती थी। "इसने ही बोला होगा उसे मना करने को" सोचकर सास नीता को ही दोष दे रही थी।
नीता को चिंतित देखकर देवर ने अपनी मां से कहा, मैं एक लड़की से बहुत प्यार करता हूं। मैं उसी से शादी करूंगा। उसने ज़िद की।
देरवजी यह बात पहले बतानी चाहिए थी ना! नीता ने ये बात अपने पति के कान पर डाली। इस बात पर उसने थोड़ी कीटपीट की लेकिन लड़की देख कर वह भी तैयार हो गया। सवाल बचा सास का अपने छोटे बेटे का मन कैसे दुखायेगी वह? बाद में उनकी भी हां हो गई।
नीता को बहुत खुशी हुई। उसे लगा एक अच्छी सहेली आ जाएगी अब साथ देने के लिए, दिल के राज बताने के लिए पर कैसी होगी छोटी देवरानी?
रस बस जाएगी हमारे साथ और इस घर में। या वह एक अलग दुनिया बसाने पर जोर देंगी देवर जी को? इस विचार से थोड़ा टेंशन में आ गई नीता।
कुछ दिनों बाद नीता की छोटी देवरानी चौखट लांग कर घर में आई। देवरानी ने घर में आते ही सारे घर की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली। अब सास ने अपनी छोटी बहू की ज्यादा ही तारीफ करना शुरू कर दिया। उसे मां जैसा प्यार करने लगी। यह देख कर नीता की आंखों में आंसू आ जातें। वो सोचती मैं भी तो यही काम करती थी फिर मेरे साथ ही क्यों ऐसा बर्ताव ?
अब थोड़े दिनों बाद छोटी देवरानी पूरे घर पर राज करेंगी और फिर मेरी जगह वहां पर कोने में होगी। अपने ही विचारों में खो गई नीता। नीता के भाव समझने पर छोटी देवरानी नीता के हाथ अपने हाथ में लेकर बोली, दीदी मुझे सब पता है। मुझे अपनी छोटी बहन समझिए। देखना बहुत जल्दी सब ठीक हो जाएगा।
छोटी देवरानी ने पूरे घर की जिम्मेदारी तो ले ली लेकिन कामों में कुछ ना कुछ बार-बार भूल करती थी। फिर देवरानी नीता के पास जाती और मदद मांगती थी। ऐसा रोज ही होने लगा। यह देखकर सांस लेकिन गुस्सा हो गई मेरे रहते हुए वह छोटी बहू बड़ी बहु को क्यों पूछती रहती है? फिर सास भी रसोई घर में आकर चार काम शुरू करने लगी।
धीरे-धीरे वह छोटी बहू के साथ-साथ अनजाने में बड़ी बहू से भी प्यार से बर्ताव करने लगी। प्यार से बोलने लगी। नए पदार्थ दोनों को सिखाने लगी। भूल समझ कर समझाने लगी। अब सास और दोनों बहुओं में अच्छी दोस्ती होने लगी। इस वजह से बड़ी बहू का स्वभाव भी अच्छा होने लगा। उसके स्वभाव में खुलापन आ गया।
सास भी दोनों के साथ कभी शॉपिंग तो कभी फिल्म देखने जाने लगी। वो अपनी दोनों बहुओं को समान प्यार करने लगी थी। इस वजह से घर का माहौल हंसता खेलता हो गया। इसके अलावा अपने भाई और उसकी पत्नी की बॉन्डिंग देखकर नीता का पति भी उसके साथ अच्छा व्यवहार करने लगा। यह देखकर छोटी बहू बहुत खुश हुई। दीदी घर पर पहले आप ही का हक था। ऐसा बोलकर छोटी बहू ने पूरी घर की जिम्मेदारी अपने जेठानी को दे दी।
साल भर में नीता के देवर को अच्छे वेतन और बड़ी पोस्ट पर स्थानांतरित किया गया। अब छोटी देवरानी भी अपने पति के साथ परदेस जाएगी और मैं फिर अकेले रह जाऊंगी, इतना ही नहीं इतने सालों बाद सास का व्यवहार जो इतने सालों बाद बदल गया था वह फिर से वही हो गया तो? इस विचार से नीता डर गई।
देवरानी की नीता को इतनी आदत हो गई थी कि उसके बिना घर काटने को दौड़ेगा। देवरानी के आ जाने से घर का माहौल बदल गया था। वह थी ही ऐसी। खुशमिजाज और ऊर्जावान जैसा के नाम से पता चलता है। यहां देवरानी की हालत भी कुछ अलग नहीं थी। उसे दुख हुआ कि यदि यहां रहना पड़ा तो उसे अपने पति से दूर रहना पड़ेगा।
नीता के देवर की जाने की गड़बड़ और देवरानी मात्र टेंस होने के कारण नीता सोच में पड़ी। अंत में उसने देवरानी को पूछा तो देवरानी ने जवाब दिया कि दीदी मैं सारा दिन नए स्थान पर अकेली रहूंगी उससे अच्छा मैं यहीं हूं। आपके देवर को बोला है मैंने शनिवार और रविवार की छुट्टियों में आप ही यहां आ जाया करें । मैं भी उनके साथ जाया करूंगी बीच-बीच में थोड़ा बदलाव के लिए। उस पर वह बोलते है कि 6 महीनों में वापस यहां ही बदली कर लूंगा मैं। अपने पति की नकल करके देवरानी बोली और छोटी देवरानी भी हंसने लगी।
अपनी आंखों के आंसू पोछते हुए नीता बोली छोटी यह दिन वापस नहीं आने वाले! जाओ तुम अपने पति के साथ उनके साथ भी तो कोई होना चाहिए ना। दीदी आपने मुझे बड़ी बहन का प्यार दिया वैसे ही भैया के रूप में एक बड़ा भाई मिला। यह भरा हुआ संसार छोड़कर मैं कैसे जाऊं? वहा अकेली का मन नहीं लगेगा।
6 महीने का तो सवाल है वह आते रहेंगे यहां पर। यह सुनकर नीता ने अपनी देवरानी को खुश होकर गले लगाया। तभी देवरानी नीता को बो ली अपने पति के साथ एक अलग जीवन बनाने में समय नहीं लगता, अपनों में रहकर पति की प्रतीक्षा में ही आनद है।
दोस्तों दो अलग-अलग घर और ससुराल से आने वाली यह लड़कियां अपने नए घर के लिए सब कुछ करती है। पता ही नहीं चलता कि कब एक दूसरे की आदत हो जाती है।सच में देवरानी जेठानी का रिश्ता बहनों से कम नहीं होता।

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