जमीन का रक्षक : एक रहस्यमई कहानी | suspense Kahani
विजय सुबह से गाड़ी चला रहा था। इस वजह से वह बहुत बोर हो गया था। गाँव नजदीक आने की वजह से वह कहीं भी रुका नहीं। उसने सोचा कि घर जाकर ही आराम करु। उसके गांव के ही बाजू में एक और गांव था। वह वहां से गुजर रहा था। उसने देखा कि वहां पर लोगों की भीड़ जमा थी।
वहा पर किसी का तो जोर-जोर से चिल्लाने का और ढोलक बजाने का आवाज आ रहा था। विजय शहरी इलाके में ही छोटे से बड़ा हुआ। आज वह पहली बार ही अपने गांव जा रहा था। उसकी गांव में जमीन थी। उसके पिता जिंदा थे तब तक उन्होंने विजय को वह जमीन बेचने नहीं दी, पर उनके बाद विजय ने वह जमीन होटल प्रोजेक्ट के लिए बेचने का निर्णय लिया। उसी काम से वह गांव जा रहा था।
वह जिस गांव से जा रहा था उस उस गांव में से उसे ढोल बजने की आवाज आ रही थी। उस उत्सव की मशाल से रात भी प्रकाशित हो गई थी। वह यह सब पहली बार देख रहा था। जब विजय उसके गांव में पहुंचा तब उसने देखा कि उसका गांव भी बाकी गाँव जैसा सजा हुआ था। पर वहां कोई भी उत्सव चालू नहीं था!
उसने घर की देखभाल करने वाले भोला अंकल को पूछा कि इतनी सजावट किसके लिए है? तभी अंकल ने बताया कि कल गांव में भूत कोला होने वाला है। उसी की ही तैयारी है।
अंकल उसे कुछ बताने वाले थे पर, विजय उनका कुछ भी सुनने के मूड में नहीं था। वह बहुत थक गया था इसलिए वह सो गया।
जब सुबह हो गई तब होटल प्रोजेक्ट के आदमी उसे मिलने के लिए उसके घर आए। विजय ने उनको उसकी जमीन दिखाइ। डील फाइनल हो गई।
शाम को वह अपनी प्रॉपर्टी पेपर पर साइन करने वाला था। तभी उसे ढोल ताशे और चिल्लाने की आवाज आने लगी। उसने खिड़की के बाहर देखा और वह सब नजदीक से देखना चाहता था। इसलिए वह पेपर घर पर ही छोड़ कर सब देखने के लिए वहां पर गया।
उसने देखा कि गांव के सब लोग उस जगह पर इकट्ठा हुए थे। जोर-जोर से ढोल ताशे बज रहे थे। विजय भीड़ के पास गया और वह सब देखने लगा। उसने देखा कि एक इंसान रंग बिरंगी कपड़ों में हाथ में मशाल लेकर और अलग तरीके से नाच रहा था। गांव में के सब लोग उसके आगे हाथ जोड़कर खड़े थे और कुछ तो उस इंसान को पूछ रहे थे।
विजय उसका चेहरा देख नहीं पा रहा था क्योंकि उसकी पीठ विजय की दिशा में थी। विजय के समझ में आए उसके पहले उस इंसान ने अचानक नाचना बंद किया और उस भीड़ से विजय के पास गयाऔर विजय की तरफ देखने लगा, उस इंसान को इतना नजदीक से देखकर विजय डर गया!
उस इंसान के चेहरे पर पीला रंग लगाया हुआ था। शरीर पर अलग-अलग जेवर और सिर पर जंगली जानवरों का मुखौटा था। यह सब उस इंसान को अलग दर्शा रहा था। वह इंसान विजय को बहुत देर तक देखता रहा और अचानक वह विजय की तरफ देखकर जोर से चिल्लाया, उसकी आवाज सुनकर विजय डर गया!
क्या करूं उसे समझ नहीं आ रहा था। तभी वो इंसान जंगल की दिशा में भाग गया। उसके जाने के बाद गांव वाले विजय की तरफ आए, विजय को उनके चेहरे पर अलग ही डर दिखा। वह सब डरे हुए थे।सब लोग विजय को सावधान रहने को बोल रहे थे। उसके साथ कुछ तो महा भयंकर होने वाला था। पर विजय को यह सब गांव वालों की व्यर्थ बातें और अंधश्रद्धा लग रही थी।
वह वहां से सीधे उसके घर गया उसके पीछे पीछे उसके अंकल आए वह बहुत डर गए थे। वह विजय को बोले जो अभी तुम्हारे पर चिल्लाए वह पंजूरी भगवान थे। जो गांव के लोगों की और उनकी जमीन की रक्षा करते हैं और सभी विपत्तियों से लोगों की रक्षा करते हैं। वह हर साल भूत कोला में आकर गाववालो की अड़चन को दूर करते हैं और उनके आने के आनंद से हम यह उत्सव मनाते हैं।
अंकल विजय को बोले कि वह तुझ पर चिल्लाए मतलब तुम जो जमीन होटल के लिए बेच रहे हो उसके विरोध में पंजूरी भगवान है। यह सब सुनकर विजय जोर-जोर से हंसने लगा। अंकल विजय को समझा रहे थे कि तुम अगर पंजूरी भगवान के विरोध में जाकर यह जमीन बेची तो तुम्हारे जिंदगी को धोखा हो सकता है।
अंकल का यह बोलना सुनकर विजय रूम में जाकर प्रॉपर्टी पेपर लेकर उन पेपर पर साइन करके सोने के लिए चला गया। विजय गहरी नींद में था।नींद में उसे एक आवाज सुनाई दी वह आवाज वैसे ही थी जो उसने शाम को भूत कोला में सुनी थी। पर इस वक्त वह आवाज किसी के रोने की थी। विजय डर गया!
वह उस आवाज का पीछा करने लगा,लेकिन उसे दूर दूर तक कोई नहीं दिख रहा था। उतने में हवा में से आग का एक भार विजय के पास आया, और वह आग में से पंजूरी भगवान उसके सामने प्रकट हो गए और जोर से चिल्लाए।
यह सब देखकर विजय पसीने से लोटपोट हो गया वह भाग कर उसके गाड़ी में बैठा और वह गांव छोड़कर जाने लगा। वह जंगल के रास्ते से जा रहा था। तभी अचानक उसकी गाड़ी के आगे उसे कुछ दिखा वह देखकर वह पूरी तरह सुन्न हो गया। उसकी गाड़ी के आगे सोने के दाते दार और सोने का हार पहने वाला एक जंगली सूअर उसके गाड़ी के आगे खड़ा था!
विजय ने अपनी गाड़ी रिवर्स की तब उसकी गाड़ी पास के पेड़ से टकराकर विजय का एक्सीडेंट हो गया। जब वह होश में आया वह हॉस्पिटल में था। उसके पास उसके अंकल बैठे थे। अंकल को देखकर वह जोर-जोर से रोने लगा। उसने अंकल को प्रॉपर्टी के पेपर लाने के लिए कहा थोड़ी देर बाद अंकल वह पेपर लेकर आए विजय ने वह पेपर हाथ में लिए और वह फाड़ दिए।
हॉस्पिटल में से वापस आने पर विजय ने पंजीरी भगवान से क्षमा मांगी। और वापस शहर चला गया। उसने अब शपथ ली कि वह यह जमीन कभी किसी को नहीं बेचेगा। पता नहीं विजय के साथ जो हुआ वह कौन सी दिव्य शक्ति थी।कि कुछ सहयोग,पर जो हुआ वह विजय कभी भी भूल नहीं पाया!

Ager burai h to achai bhi hoti h jise kuch nasmjh andhvisvas khte h
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