धोखेबाज पति : अनोखी कहानी | Anokhi Kahani

 धोखेबाज पति : अनोखी कहानी | Anokhi Kahani 


समर कभी घर में ऑफिस की बात नहीं करता, यही कारण है कि उनके ऑफिस में कभी कबार होने वाली पार्टीया मेरे लेखन में इतनी महत्वपूर्ण है। ऑफिस के समाचार मुझे वहां पर ही मालूम होते थे। कोई भी पति कभी भी अपने गोसीप या   अफेर घर में नहीं बताता, लेकिन अगर दूसरों का अफेयर हो तो फट से घर पर सब बातें बताता है! 


धोखे की कहानी, बेवफाई की कहानी, अफेयर की कहानी


फिर पत्नी पार्टी में दूसरों के साथ मसालेदार खबर शेयर करती है। उस वक्त बताने वाले की आंखों की चमक और सुनने वालों की उत्सुकता देखने लायक होती है।


    पिछले हफ्ते की पार्टी में मैं सभी महिलाओं के आकर्षण का केंद्र थी। सबसे पहले छवि ने मुझे सबके सामने बेइज्जत करते हुए कहा, उस अकाउंट सेक्शन की बकबक करने वाली वर्षा से तुम्हारे समीर का अफेयर शुरू है! यह बात सच है क्या?  उसके बाद प्रिया,दिव्यानी,मंदाकिनी अंजलि सभी ने इस खबर की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि समर को सिनेमा घर जाते समय, होटल में कॉफी पीते हुए देखा गया था। इसीलिए शक की कोई गुंजाइश नहीं थी। मैं पूरी तरह से  दुखी हो गई। मैं यहां ये दिखाने में सफल रही कि इस खबर का मुझ पर कोई असर नहीं हुआ!


 मुझे उनकी सलाह और हमदर्दी नहीं चाहिए थी। इसलिए मैं सीधे शौचालय में चली गई, वहां एकांत में मेरे मन में दो बातें घटित हुई। किसी भी तरह से ऐसे मामले में पति के साथ लड़ने से कोई फायदा नहीं होगा, हमेशा लड़ाई का असर उल्टा होता है। दूसरी बात ऐसे मैं रोने से कोई फायदा नहीं होगा फिर कुछ अलग चाल चलनी पड़ेगी। मैं वॉशरूम से निकलकर पार्टी हॉल में उनके मामले की गंभीरता का अंदाजा लगाने गई। तभी मैंने समर और वर्षा को हॉल के एक कोने में मैंने दोनों को हंसते और बातें करते देखा। ईस तरह मुझे अचानक अपने पास देखकर दोनों चौक गए! यह इस बात का प्रमाण था कि, उनके मन में चोर है। वर्षा थोड़ी खुश हुई जब मैंने उसकी तारीफ की कि तुम कितनी खूबसूरत दिखती हो और तुम्हारे कपड़े बहुत अच्छे हैं। फिर मैं थोड़ी इधर उधर की बातें करती रही एक चुटकुला सुनाया  इससे उसे राहत मिली और वह खुलकर मुस्कुराने लगे समर को मेरे व्यवहार में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा,इसीलिए वह निश्चित हो गया और वहां से चला गया और दूसरे ग्रुप में बातें करने लगा।


     मैंने अपने गुस्से और नफरत को छुपाते हुए वर्षा के साथ काफी समय बिताया इसलिए मैंने वर्षा और समर को एक साथ आने का मौका ही नहीं दिया। मैंने वर्षा को बहुत बार कहा कि एक बार घर पर आओ ना ! उसने कहा आऊंगी फिर कभी, आखिर में एक बार उसने मुझे घर आने का न्योता भी दिया जो कि मैं चाहती थी। मैं मन ही मन उदास थी समर के विश्वासघात से में पूरी तरह टूट चुकी थी। हालांकि मन में तय कर रही थी कि उन दोनों को कैसे सबक सिखाया जाए। यह सब हो जाने के बाद में घर वापस आई। घर वापस आने पर मेरी  सास ने  मेरे अवसाद पर ध्यान दिया। वह मुंह से कठोर है लेकिन दिल से बहुत स्नेही थी। जब उन्होंने ज्यादा जोर देकर पूछा तो मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया। उसके बाद 2 दिनों तक हमने ढेर सारे विचारों का आदान प्रदान किया। उनसे बात करके मेरे  उदास मन   को राहत मिली।


 कुछ दिनों के लिए समर  टूर पर गया। मैंने बिल्कुल ठीक शनिवार चुना और सुबह करीब 10:00 वर्षा के घर पहुंची। वर्षा ने मुस्कुराकर मेरा स्वागत किया लेकिन उसकी आंखें चिंता और आश्चर्य से भरी थी। अरे समय था तो इसलिए मिलने चली आई। मुझे तुम्हारी याद आई तो इसलिए आई सोचा नई  सहेली को मिल आए। इसलिए तुम्हारे घर आ गई मैंने उसे अपनेपन से बोला। तुम्हारा स्वागत है। सोनाली तुम शिव को क्यों नहीं लाई? अपने ड्राइंग रूम में जाकर पूछा? मेरी ननद  आई है मायके। उनके दो बेटों के साथ खेल रहा था।


 क्या लोगी, चाय या कॉफी? चाय चलेगी! वर्षा अरे रिक्शे से उतरते वक्त कमर मैं मोच आ गई थोड़ा लेट जाऊं क्या? हां... हां... उसने जल्दी से मुझे एक तकिया दिया और मैं आराम से उसके बिस्तर पर सो गई  और वह चाय बनाने चली गई।

   

चाय के साथ-साथ वो ढेर सारा नाश्ता भी लाई थी। हमने खुशी-खुशी चाय नाश्ता खत्म किया। जल्द ही हम कई विषय पर खुलकर बात करने लगे। बात करते-करते मैंने उसकी शादी की बात उठा दी। शादी की बात करते ही वह थोड़ डर गई। मैंने उससे पूछा क्या तुम लव मैरिज करोगे या अरेंज मैरिज? इस सवाल पर वह बौखला गई। देखूंगी क्या करना है उसने जवाब दिया। तुम जैसे स्मार्ट दिखने वाली लड़की के कई दोस्त होंगे, जरूर किसी से अफेयर होगा? बोलो ना। कौन है वह भाग्यशाली व्यक्ति?


 अब वह कैसे कहेगी कि उसका अफेयर मेरे ही पति से चल रहा है। तो मैंने उससे मुद्दे पर कुछ और समय निकाल कर उसे प्रताड़ित किया। मुझे बहुत मजा आ रहा था। तभी मेरे मोबाइल फोन पर दो कॉल आए एक मेरे सास का और दूसरा मेरे बीसी की सहेली का था।मैंने उन दोनों से कहा कि मैं अब वर्षा के घर आई हूं। मुश्किल से आधा घंटा बिता  था। तभी मेरे सास मेरी ननद  मीनाक्षी उनके दोनों बच्चे और शिव सभी वर्षा के घर में दाखिल हुए। बच्चे सीधे टीवी की और बैठे और वह कार्टून चैनल लगा कर देखने लगे। सास और मीनाक्षी सोफे पर बैठ कर मेरी कमर की मोच  के बारे में बातचीत करने लगी। मम्मी जी आप मेरी बहुत परवाह करती हो। तुम एक नंबर की बेपरवाह लड़की हो, हजार बार बोला कि वजन कम करने को ,प्रसार पर नियंत्रण रखें इसलिए वजन से कमर में मोच तो आएगी ही ना। पर तुम्हें तो किसी की सुननी ही नहीं है। सास का ऐसा रूप अवतार को देखकर वर्षा डर गई थी। 


भाभी की आंखें तब खुलेगी जब समर भैया एक खूबसूरत तितली के पीछे पीछे चलेंगे मीनाक्षी ने कहा। इस पर सास भड़क उठी । तुम्हारे भैया के पैर तोड़ दूंगी और उस तितली के पर भी समझी! मेरे सास ने मीनाक्षी को जवाब दिया। अरे मां मैं मजाक कर रही थी। क्या तुम नाराज हो गई। फिर मूर्खों जैसी बात क्यों कर रही हो? वर्षा अपनी उंगली या एक दूसरे में उलझा कर  जमीन की तरफ नजर झुकाए खड़ी थी।


 मेरी सास की तरफ उसकी  देखने की हिम्मत नहीं हुई। सास मुझे और मीनाक्षी को कहने लगी कि आज की लड़की में ना तो समझ है और ना ही सब्र, अपने गृहस्ती की देखभाल करने की अकल भी नहीं होती। फालतू में इसके उसके लफड़े में पडना और प्रेम विवाह करना ठीक है क्या? जिस रास्ते पर आपका काम नहीं है उस रास्ते पर क्यों चलना ?बराबर ना  वर्षा!


   अ?ह....हाँ! वर्षा ने झिझकते  हुए हां कहां। तुम्हारी शादी हो गई है क्या ? नहीं ,तुम कब शादी कर रही हो? जल्द ही करूंगी ! वेरी गुड तुम्हारे माता-पिता कहां है? मेरे पापा गुजर गए, मां है वह आज मेरी मौसीसे मिलने गए हैं। कब आएगी? श्याम  को आने वाली है। मैं उनसे मिलने आऊंगी कभी, सोनाली तुम यहां ही रुकने वाली हो क्या? कमर की मौच  कैसी है अब तुम्हारी? माँ दर्द  तो बढ़ गया, बहुत दर्द हो रहा है, डॉक्टर को बुलाए क्या? नहीं नहीं मैंने डरने का नाटक किया और कहां वर्षा तुम्हारे पास आयोडेक्स है क्या? हां है ना लाती हूं बोलकर वर्षा जल्दी से अंदर गई, मैंने उससे आयोडेक्स लगवाया।

    

मेरी सास वर्षा को जवान लड़कियों ने कैसे बर्ताव करना चाहिए इस पर लेक्चर दे रही थी। मीनाक्षी जानबूझकर छेड़ने के लिए मजबूर कर रही थी ।ऐसा माहौल था कि दोनों किसी भी क्षण लड़ने लगेंगे। उस माहौल में वर्षा का तनाव बढ़ गया था। तभी दरवाजे की घंटी बजी मीनाक्षी ने जाकर दरवाजा खोला। जब वह लौटे तो उसके साथ बिसी  समूह के मेरी तीन सहेलियां शालू ,रूपाली, मीनाक्षी थी। यह तीनों बहुत बातूनी हैं। उनके आगमन ने  मां बेटी के बीच वाक्य युद्ध को रोक दिया। लेकिन रूम का  आवाज एकदम ज्यादा बढ़ गया। अपनी नई सहेलिसे सेवा करवा रही हो क्या सोनाली? रूपाली ने आंखें फैलाकर कहां और सभी हंस पड़े।

      


वर्षा तुम्हारे बारे में बहुत सुना है सोनाली से ,सोनाली हमेशा तुम्हारे बारे में बोलती रहती है। देखो उसके दिल में बैठकर हमें वहां से मत भगाना। शालू ने वर्षा के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। हम अपने नए दोस्ती की निव  को मजबूत करने के लिए गरमा गरम समोसे, जलेबी,  ढोकला लेकर आए मनीषा ने इतने बेपरवाह अंदाज में कहां की वर्षा को हंसना आया। अपना परिचय देने के बाद तीनों साहस पूर्वक रसोई में घुस गए। आयोडेक्स को अपनी जगह रखकर हाथ धोकर वर्षा रसोई घर में गए तो उनकी चाय बनकर रेडी थी। लेकिन एक बात सच है कि सब कुछ वर्षा के घर में था। और वह अपनी अपनी जगह पर था।


 शालू ने बच्चों के लिए फ्रीजसे जूस का जग निकाला। हम सब  चाय समोसे जलेबी या खा कर मजे में गपशप कर रहे थे। वर्षा के फ्लैट में येसा हंगामा  कभी नहीं हुआ होगा, मेरी सहेलियों ने तुरंत वर्षा से दोस्ती कर ली। वर्षा भी उनसे बहुत खुलकर बात भी कर रही थी ।जैसे वह पुराने परिचित हो, शालू ने शरारत भरे अंदाज में कहा कि सोनाली वर्षा से दोस्ती करने से तुम्हें जरूर फायदा होगा। मैंने कुतूहल वश पूछा कौन सा फायदा ?अरे समर के ऑफिस में होने से वर्षा तुम्हें वहां की सारी बातें बराबर बताएगी। मतलब अगर तुम्हारे समर का वहां किसी से अफेयर हुआ तो यह तुम्हें तुरंत बता देगी।


अरे हां! सच में वर्षा तुम मेरी आंखें बन  कर समर पर ध्यान रखोगी? मैंने बहुत प्यार से वर्षा को कहा। वर्षा के गाल एकदम गुलाबी हो गए। उसने जवाब नहीं दिया सिर्फ सिर हिला दिया। और फिर वह टेबल पर का सामान समेटने लगी। रूम का फैला हुआ सामान निपटाने वाली थी के तभी मेरे ससुर वहां आ गए। उनके आते ही माहौल बदल गया। मेरे ससुर बहुत स्ट्रिक्ट थे। मेरी सहेलियों ने फटाफट पल्लू दोनों कंधे पर लिया और झुक कर उनका आशीर्वाद लिया। सब ऐसे चुप हो गए जैसे उनको बोलना आता ही नहीं हो! बहू घर चलने की स्थिति में हो या एंबुलेंस बुलाए? उन्होंने गंभीरता से मुझसे पूछा! चलूंगी पापा में नम्रता से बिस्तर से नीचे उतरी।मैंने डॉ शशि को फोन किया घर जाते जाते उनको दिखा कर जाएंगे। ठीक है पापा,


 यहां क्यों आई थी? इस वर्षा को मिलने आई थी पापा जी। इसे कभी देखा नहीं ,नई पहचान है क्या? हां यह ना समर के ऑफिस में काम करती है। वर्षा बेटा तुम अकेली रहती हो क्या यहां? नहीं अंकल मां के साथ रहती हूं। वर्षा पापा की आवाज से ही डरने लगी। चलो अच्छा है नहीं तो हम हैं ना तुम्हारे साथ। कभी भी मदद की आवश्यकता हो तो हमें बताना। पापा बोले फिर हमारे तरफ मुड़कर बोले अब चले? 


पापा निकले वैसे हम भी उनके पीछे पीछे गए। घर से निकलते समय मेरी सांस वर्षा को बोली.. वर्षा बेटा अब जल्दी तुम्हारी शादी का आमंत्रण हमारे हाथों में देना। देर हो गई तो अच्छे लड़के मिलते नहीं। वर्षा तुम्हें हम हमारे बिशी  ग्रुप की मेंबर कर लेंगे मैं बाद में तुम्हें फोन करूंगी। रूपाली के इस प्रस्ताव को हम सब ने अनुमति दी। तीनों बच्चे थैंक्यू आंटी बोलकर बाहर निकल गए। लास्ट में मैं वर्षा का सपोर्ट लेकर घर से बाहर आई। वर्षा इन सब की मस्ती, खेल कूद तुम्हें खटका तो नहीं ना?


 मैंने उससे पूछा। नहीं सोनाली यह सब तो बहुत भले इंसान है। वह बोली पर मन से वह थोड़ी नर्वस हो गई थी । तुम्हें कहती हूं वर्षा यह सचमुच भले इंसान हैं। और सच कहे तो मुझे इनका ही आधार है। इनकी वजह से खुद को सुरक्षित समझती हूं। हमेशा मेरी मदद करते हैं। मेरी गृह्स्ती  को कोई बुरी नजर से देख भी नहीं सकता। क्योंकि इन से झगड़ा करना इनको चैलेंज करना आसान बात नहीं है। ऐसे इंसान नसीब से मिलते हैं। खुद को सुरक्षित महसूस होना यह बहुत बड़ी बात होती है वर्षा। वर्षा ने गर्दन हिलाई संभाल कर जाना वर्षा ने कहा। हमने प्यार से एक दूसरे को अलविदा किया। सभी गाड़ी में बैठ चुके थे।


 मेरे अपने मेरी राह देख रहे होंगे ..वर्षा का आधार छोड़कर मैं अच्छे से चल कर उनके पास पहुंची। मेरे कमर में मोच आई ही नहीं थी। सब कुछ तय किए मुताबिक प्लान किया था। मैंने दो उंगलियों वी फॉर व्हिक्टरी  की निशानी करते ही सबके चेहरे पर खुशी आ गई।


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