' छोटी सोच ' एक शिक्षाप्रद कहानी | Moral Kahani
एक छोटा सा गांव था। वहां पर हरिलाल नाम का एक युवान रहता था। वो बहुत गरीब परिवार से था। गरीबी की हालत यह थी कि उसके घर में दो वक्त का खाना भी ठीक से नहीं बन पाता था।
पिछले कई दिनों से हरिलाल गांव में काम की तलाश कर रहा था लेकिन उसे कोई भी छोटा-मोटा काम नहीं मिल पा रहा था। आखिरकार हरिलाल ने तय किया कि ऐसे नहीं चलने वाला, उसे किसी और जगह किसी और शहर जाकर काम ढूंढना होगा, अपनी किस्मत आजमानी होगी।
अगले ही दिन हरिलाल दूसरे शहर जाने के लिए निकल पड़ा और ट्रेन में बैठ गया। सफर काफी लंबा था इसलिए हरिलाल की माने उसे खाने के लिए टिफिन में रोटियां बना कर दी थी। सब्जी बनाने के लिए ना घर में कोई सामान था नहीं जेब में पैसे इसलिए उन्होंने सिर्फ उसे रोटिया ही दी थी!
ट्रेन आगे बढ़ती रही दोपहर का समय हुआ खाना खाने का वक्त आया। हरिलाल ने अपना टिफिन खोला और वह रोटियों को कुछ इस तरह से खाने लगा कि उसके आसपास के सभी लोग उसे देखने लगे। हरिलाल पहले रोटी का एक टुकड़ा तोड़ता उसे खाली टिफिन में घूमाता और फिर उसे खा लेता!
उसे देख रहे कई लोगों में से एक ने हरिलाल से पूछा," अरे भाई तुम यह क्या कर रहे हो? तुम्हारे पास सिर्फ रोटीया है तो फिर तुम उन्हें खाली डब्बे में क्यों घुमा रहे हो?"
हरिलाल ने कहा कि," हां मेरे टिफिन में सिर्फ रोटियां है लेकिन इस रोटी के टुकड़े को खाली डब्बे में घुमा ते वक्त भैया इमेजिन करता हूं के इसमें अचार भी है!"
उसे देख रहे सभी लोग बड़े ध्यान से उसकी बातें सुन रहे थे। उनमें से एक ने उससे पूछा,"क्या ऐसा करने से तुम्हें अचार का स्वाद आ रहा है?"
हरिलाल ने कहा," हां इमैजिनेशन का यह पावर है कि हम जो सोचते हैं उसे अनुभव कर पाते हैं!"
दूसरे एक व्यक्ति ने बड़े आश्चर्य से उसे एक सवाल किया,"भाई अगर ऐसी ही बात है तो तुमने सिर्फ आचार ही क्यों सोचा? तुम वह सारी सब्जियां भी तो सोच सकते थे जो फाइव स्टार में बड़ी महंगी मिलती है,इस तरह से तुम उनका स्वाद भी ले पाते!"
दोस्तों, छोटी सी ये कहानी सोच,कल्पना या सपनो के बारे में है। कहानी हमें यह साफ-साफ बता रही है कि सपने पूरे होते हैं लेकिन बड़ा सपना सच करने के लिए बड़ा सपना देखना पड़ता है। बड़ी मंजिल तक पहुंचने के लिए पहले उस मंजिल के बारे में सोचना पड़ता है। छोटा सा लक्ष्य कभी हमें बड़ा रिजल्ट नहीं दे सकता इसीलिए हमेशा बड़ा सोचो सपने देखने हैं तो भव्य देखो।
