अभिमानी राजकुमार की कहानी | Moral story
एक राजा था जो बहुत ही न्याय प्रिय, समझदार और प्रजा का ख्याल रखने वाला शासक था इसलिए उसकी प्रजा भी उसे बहुत प्यार करती थी।
राजा को किसी बात की कोई कमी नहीं थी उसके पास हर वह चीज थी जिससे वह सुखी रह सकता लेकिन सिर्फ एक कमी थी संतान सुख की बस एक कारण की वजह से वह दुखी रहता था। अपने राजा को दुखी देखकर उससे प्यार करने वाली प्रजा भी राजा के लिए दुखी होती थी।
राजा का भाग्य बहुत अच्छा था इसलिए देर से ही सही उसे संतान प्राप्ति हुई और उसे घर में एक प्यारा सा राजकुमार ने जन्म लिया। पुत्र प्राप्ति की खुशी में राजा ने बहुत बड़ा जश्न मनाया। एक बड़ा उत्सव किया और प्रजा को भी खुश किया।
काफी लंबे समय के बाद पुत्र प्राप्ति होने की वजह से राजकुमार को ज्यादा ही लाड प्यार से बड़ा किया जाने लगा। वह कहते हैं ना कि किसी भी बात की ज्यादती अच्छी नहीं होती, ये कहावत सच हुई। राजकुमार जैसे-जैसे बड़ा होता गया वह बहुत जिद्दी और अहंकारी होता गया। उसे लगता कि वह राजकुमार है इसलिए उसकी हर इच्छा पूरी होगी और हर कोई उसका आदेश गुलामों की तरह पालन करेगा! उसने प्रजा को और सैनिकों को अपनी मनमानी करते हुए बहुत परेशान किया।
सभी राजकुमार से काफी परेशान और दुखी रहने लगे। कई बार लोगों ने राजकुमार की शिकायत राजा से की। जब जब कोई राजकुमार की शिकायत लेकर जाता राजा का सिर शर्म से झुक जाता। राजा इस परिस्थिति को बदलना चाहता था। राजा चाहता था कि उसका बेटा अच्छे काम करें, नेकी की राह पर चलें।
एक बार राजा ने बहुत बड़ी सभा बुलाई और उसमें अपने राज्य के तथा दूसरे राज्य के कई बुद्धिमान लोगों को बुलाया और उस सभा में इस विषय पर चर्चा की गई कि राजकुमार को सही रास्ते पर कैसे लाया जाए? कई बुद्धिमान सभासदों ने राजा को अलग-अलग उपाय सुझाए, लेकिन राजा को किसी भी उपाय से संतुष्टि नहीं हुई।
अंत में एक मंत्री ने राजा से कहा कि राजा जी राजकुमार को सही रास्ते पर लाने के लिए एक साधारण जीवन जीने की आवश्यकता है। अगर आप चाहे तो उन्हें आपके राजगुरु के आश्रम में कुछ समय तक के लिए रहने के लिए भेज सकते हैं। मैंने सुना है वहां से जानवर भी इंसान होकर निकलते हैं!
राजा को यह उपाय काफी पसंद आया। राजा अगले ही दिन राजकुमार को लेकर अपने राजगुरु के आश्रम पहुंच गए। राजा गुरु से अकेले में मिले और उनसे राजकुमार के बारे में सारी बात बताई। राजा की बात सुनने के बाद राजगुरु ने राजा को आश्वासन दिया कि अगली बार जब वो राजकुमार से मिलेंगे तो बहुत खुश होंगे। राजा राजकुमार को वहां पर छोड़कर अपने राज्य वापस लौट गए।
उसी दिन से राजकुमार का आश्रम जीवन शुरू हो गया। गुरु ने राजकुमार को आश्रम के सारे नियम बता दिए। जब राजकुमार को पता चला कि उन्हें भिक्षा मांगकर ही खाना मिलेगा तुमसे बहुत गुस्सा आया। वह गुरु और आश्रम में रहने वाले सभी शिष्यों को बुरा भला कहने लगा।
जैसे जैसे समय बीतता गया राजकुमार को तेज भूख लगने लगी लेकिन अपनी अकड़ में राजकुमार ने पूछा नहीं मांगी। पहले दिन तो अपनी अकड़ के कारण राजकुमार भूखा ही सो गया लेकिन अगले दिन उससे और ज्यादा भूखा नहीं रहा गया। ना चाहते हुए भी वह बाकी शिष्यों के साथ भिक्षा मांगने के लिए गया।
राजकुमार की खराब वाणी की वजह से उसे कोई भिक्षा नहीं देता फिर भी अन्य बैठकर खाने की वजह से उसे थोड़ा सा खाना मिल जाता। धीरे-धीरे राजकुमार की वाणी मीठी होती चली गई । 1 महीने बाद उसे अच्छी भिक्षा मिली और उसने भरपेट खाना खाया। धीरे-धीरे आश्रम के बाकी नियमों की वजह से राजकुमार के सुबह में और वर्तन में बहुत ज्यादा बदलाव आया।
गुरु ने देखा कि अब राजकुमार में अच्छा बदलाव आ चुका है और उसके अपने राज्य वापस जाने का समय भी आ चुका है इसलिए राजकुमार को अपने साथ लेकर वह सैर पर निकले। रास्ते में गुरु ने राजकुमार को एक बगीचे में गुलाब तोड़ कर लाने के लिए कहा। राजकुमार गुलाब तोड़ कर ले आया। गुरुजी ने उसे गुलाब सूंघने के लिए कहा और पूछा कैसा लगा?
गुलाब को सूंघते ही राजकुमार के चेहरे पर मुस्कान आ गई। राजकुमार ने गुलाब की खुशबू की बहुत तारीफ की। फिर गुरु जी ने उसे नीम के पत्ते तोड़कर लाने के लिए कहा। राजकुमार जैसे ही नीम के पत्ते तोड़कर लाया गुरुजी ने उसे वह पत्ते खाने के लिए कहा! नीम के पत्ते मुंह में जाते ही राजकुमार का मुंह कड़वा हो गया और उसने तुरंत थूंक दिया और इधर उधर पानी तलाशने लगा। ये सब देखकर गुरु मुस्करा रहे थे। पानी पीकर राजकुमार गुरु के पास आया और उनसे मुस्कराने का कारण पूछा।
गुरु ने उसे समझाते हुए बताया कि तुम भी अब तक इस नीम के जैसे कड़वाहट लिए बैठे हो। जिस तरह तुमने नीम को थूक दिया वैसे ही अगर तुमने अपना व्यवहार अपने गुण नहीं बदले तो सभी लोग तुम्हें अपने जीवन से निकाल फेकेंगे। या फिर तुम इस गुलाब की तरह अपने अंदर अच्छे गुण लेकर आओ जो सबको अपने पास होने भर से ही खुशी देता है। गुरु की बातें अच्छी तरह से समझने के बाद राजकुमार अपने राज्य वापस लौट गया।
राजकुमार के व्यवहार और स्वभाव में आए परिवर्तन से ना सिर्फ राजा बल्कि सभी मंत्री, सैनिक और प्रजा काफि खुश थी। आगे चलकर राजकुमार काफी न्यायप्रिय और अच्छा राजा बना।
दोस्तों इस कहानी की सबसे बड़ी सिख यही है की अच्छे गुण जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। जब आप में अच्छे गुण होते है तो लोग आपको हमेशा पसंद करते है और आप दूसरो का भला करते करते खुद भी प्रगति करते है।
