समस्याओं से भरा जीवन : प्रेरक कहानी | motivational story
सदानंद नाम का एक साधारण सा आदमी था। वो भगवान की सच्चे मन से भक्ति करता था। उसका जीवन समस्याओं से भरा हुआ था इसलिए वह काफी दुखी भी रहता था। कभी घर में कोई बीमार पड़ जाता, पूरी मेहनत से काम करने के बावजूद नौकरी में सफलता नहीं मिलती, तनख्वाह नहीं बढ़ती। ऐसी छोटी मोटी कई समस्याएं उसके जीवन में चलती रहती थी।
सदानंद अक्सर यह सोचता था कि वह तो किसी भी तरह का गलत काम नहीं करता है फिर भी उसके जीवन में इतने दुख, इतना कष्ट क्यों है? ऊपर से वह भगवान की इतनी भक्ति करता है तो फिर भगवान क्यों उसे अच्छा जीवन नहीं देते? उसे जानने वाले लोग भी उस को प्रोत्साहित करते और कहते हैं कि तुम्हारे साथ सब अच्छा होगा तुम भगवान की इतनी भक्ति जो करते हो!
एक दिन सदानंद का काम पर अपने बॉस से काफी बड़ा झगड़ा हो गया। जिसके चलते उसे नौकरी से निकाल दिया गया। उस दिन सदानंद बड़ा दुखी मन से घर आया और भगवान के सामने बैठकर पूजा पाठ करने लगा और भगवान से कहने लगा कि भगवान आज कुछ भी हो जाए आज आप मेरे सपने में आओगे और मुझसे बात करोगे!
भगवान अपने सच्चे भक्तों की बात जरूर सुनते हैं और उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ! रात को जब सदानंद सो रहा था तो उसके सपने में भगवान आए। भगवान को अपने पास पाकर सदानंद ने अपना मन भगवान के सामने हल्का करना शुरू कर दिया।
वह अपनी समस्याओं के बारे में बोलता ही गया.. बोलता ही गया। जब उसने अपने मन के सारे विचार भगवान के आगे निकाल दिए तब भगवान ने उससे कहा बताओ तुम क्या चाहते हो?
सदानंद बोला भगवान जी," मैं आपका भक्त हूं। मैं कोई गलत काम नहीं करता फिर भी मेरे जीवन में इतना दुख क्यों है? मैं देखता हूं कि जो गलत काम करते हैं, सही राह पर नहीं चलते वह बड़े मौज शौक से जीवन जीते हैं! ऐसा क्यों?"
भगवान ने सदानंद से कहा," यह सब एक चक्र है जो कई जन्मों के पाप पुण्य के हिसाब से चलता है। सबको अपने अपने हिस्से के कष्ट भोगने ही पड़ते हैं। फिर भी तुम मेरे सच्चे भक्त हो इसलिए मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूं। तुम सुबह जब उठोगे तो तुम्हारे घर से 10 किलोमीटर दूर जो पुराना मंदिर है वहां एक बरगद का पेड़ है, वहां पर तुम अपनी सारी समस्याएं एक चिट्ठी में लिखकर चिट्ठी को उस बरगद के पेड़ के पास रख कर आना और तुम्हारी सारी समस्याएं खत्म हो जाएगी!
लेकिन उसके लिए एक शर्त है तुम्हें उस चिट्ठी के बदले किसी और के द्वारा लिखी गई एक चिट्ठी उठाकर लानी होगी और उस चिट्ठी में जो लिखा होगा वह तुम्हारे साथ होने लगेगा!"
सदानंद बहुत खुश हुआ और भगवान को धन्यवाद दिया। सदानंद जब सवेरे उठा तो उसे सपने की सारी बातें याद थी। वह तुरंत नहा धोकर उस पुराने मंदिर के पास वाले बरगद के पेड़ के पास पहुंच गया। उसने अपनी सारी समस्याएं एक चिट्ठी मैं घर से ही लिख कर रखी थी। उसने वह चिट्ठी बरगद के पेड़ के पास रखी है और जाने लगा।
कुछ दूर जाने पर सदानंद को याद आया कि भगवान ने एक शर्त रखी थी कि उसे उसकी चिट्ठी रखकर किसी और की एक चिट्ठी अपने साथ लेकर जानी है। सदानंद उस पेड़ के पास वापस पहुंचा और उसने वहां पर ढेर सारी चिट्टियां पड़ी हुई पाई।
उसने एक चिट्ठी उठाई लेकिन उसको खोलने से पहले उसे विचार आया कि अगर इसमें मेरी समस्याओं से भी बड़ी समस्या लिखी हुई होगी तो यह अच्छा नहीं होगा। उसने उस चिट्ठी को वापस रख दिया और दूसरी चिट्ठी उठाई फिर उसे विचार आया कि हो सकता है इसमें कुछ बहुत बुरा लिखा हो। शायद इसमें लिखा हो सकता है कि उसका कोई परिवार का सदस्य गंभीर बीमार हो, या मरनिवाला, हो या कुछ उससे भी बुरा।
उसने एक के बाद एक कई चिट्ठियां बदली लेकिन हर बार उसकी इसी बीच चिट्ठी को खोलकर पढ़ने की हिम्मत नहीं हुई! उसने सोचा इन सभी चिट्ठियों की समस्याओं को अपनाने से अच्छा है मैं अपनी ही समस्याओं से लड़कर उनका सामना करू! सदानंद ने अपनी लिखी हुई चिट्ठी की उठाई और वहां से अपने घर लौट गया।
दोस्तों कई बार जीवन में समस्याएं आती है लेकिन उन समस्याओं से भागकर कभी उनको खत्म नहीं किया जा सकता उन्हें खत्म किया जा सकता है उनका सामना करके। दूसरों के जीवन से तुलना करके दुखी होने से अच्छा है हम अपने जीवन की प्रॉब्लम्स को अच्छे से समझे, उनके मूल कारण तक पहुंचे और उनसे छुटकारा पाएं।
