गुस्से का इलाज : रोचक कहानी | Rochak kahaniyan
एक जॉइंट परिवार था। यह परिवार पिछले कई सालों से एक साथ ही रहता आया था। इस परिवार में कुल 3 पीढ़ियां बसा करती थी। लोग इनकी एकता की मिसालें दिया करते थे। लेकिन एक नई बहू के इस परिवार में दाखिल होने से इस परिवार की शांति अब खतरे में आ चुकी थी।
यह नई बहू स्वभाव की खराब नहीं थी लेकिन जब इसे गुस्सा आता था तो वह किसी को भी कुछ भी बोल देती थी और उसे हर छोटी-मोटी बात पर गुस्सा आ जाया करता था। इस वजह से अब पूरे परिवार में तनाव रहने लगा था। ऐसा लगता था कि इतने सालों से जो परिवार एकजुट था वो अब कभी भी टूट कर बिखर सकता है।
गुस्सा शांत होते ही बहू को अपनी गलतियों का एहसास होता। वह पश्चाताप करती लेकिन फिर सब भुलाकर अगली बार गुस्सा करती और वही बातें दोहराती।
एक बार उनके घर एक साधु बाबा आया। इस नई बहू ने अपनी परेशानी उस बाबा को बताई और उससे कोई उपाय हो तो बताने के लिए कहा। साधु ने अपने झोले से एक दवा की शीशी निकाली और उस महिला को देते हुए कहा कि तुम्हें जब भी गुस्सा आएगा इस दवाई की चार बूंदे अपनि जबान पर रख लेना और 10 मिनट तक उसे मुंह में दबाए रखना। अगर तुम 10 मिनट तक उसे नहीं मुंह में रख पाई तो यह दवा काम नहीं करेगी।
महिला ने अगले दिन से ही उस साधु बाबा की दी दवाई का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। 10 दिनों बाद जब वह साधु फिर से उसके घर आया तब महिला ने उसके पैर पकड़ लिए और कहा कि साधु बाबा आपके दवाई काम कर गई। उसकी वजह से अब मुझे गुस्सा नहीं आता है और अब मेरे परिवार में सुख शांति फिर से पहले जैसी रहने लगी है।
साधु ने हंसते हुए कहा कि मैंने जो तुम्हें दवाई दी थी दरअसल वह कोई दवाई थी ही नहीं, शीशी में तो मात्र पानी भरा था! तुम्हारा गुस्सा किसी दवाई की वजह से नहीं बल्कि गुस्सा आए तब शांत रहने की वजह से खत्म हुआ है।
दोस्तों आप में से कितने लोग हैं मानते हैं कि गुस्सा आए तब शांत रहने से गुस्सा अपने आप कम हो जाता है। बड़े बुजुर्ग या हमारी धार्मिक पुस्तकें तो यही बताती है गुस्से का एकमात्र इलाज मौन ही है।
