एक छोटी सी कहानी शिक्षा वाली | gyan denewali kahani
भारत के 1 गांव की एक छोटी सी कहानी है। उन दिनों भारत में छोटे-छोटे गांव ज्यादा थे। गांव के लोगों में शिक्षण की कमी थी। अच्छा शिक्षण ना मिलने के कारण लोगों में अज्ञानता का प्रमाण ज्यादा था। गांव के लगभग सभी लोग अपनी छोटी-छोटी समस्याओं से बहुत ज्यादा परेशान रहा करते थे।
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एक दिन इस छोटे से गांव में भ्रमण करते करते एक बहुत प्रख्यात संत महात्मा आए। यह संत किसी भी व्यक्ति की समस्या चुटकियों में हल करने का सामर्थ्य रखते थे।
इस बात की चर्चा पूरे गांव में होने लगी। एक-एक करके सारे गांव वाले संत के पास आकर इकट्ठा हो गए। सबको अपनी अपनी परेशानियों का हल जानने की जल्दी लगी हुई थी
हर कोई सबसे पहले अपनी परेशानी का समाधान करवाना चाहता था इसलिए सब एक साथ बोलने लगे। गांव वालों का इतना ज्यादा शोर होने लगा तो संत को थोड़ा सा गुस्सा आ गया उन्होंने उची आवाज में सबको चुप रहने के लिए कहा।
जब गाव वाले शांत हो गए तब संत ने सबसे कहा कि," इस तरह ना मुझे किसी की समस्या समझ में आएगी और ना ही किसी भी समस्या का हल निकल पाएगा। मैं जैसा बोलता हूं वैसा करो तो में सब की समस्या का समाधान कर दूंगा।"
सारे गांव वाले राजी हुए तब संत ने कहा कि सब अपनी अपनी समस्याएं कागज में लिख कर लेकर आओ और इस टोकरी में रख दो।
सभी गांव वालों ने अपनी अपनी समस्याएं पर्चियों में लिख दी और उन्हें टोकरी में डाल दी। संतने सभी को उस टोकरी में से एक एक पर्ची उठाने के लिए कहा और अपनी शर्त बताते हुए कहा,"में आप की समस्या हल कर दूंगा बदले में सब को किस भी एक व्यक्ति की ऐसी समस्या हल करनी होगी जो आपकी समस्या से छोटी हो।"
सब ने टोकरी से एक एक पर्ची उठाई और उनमें लिखी समस्या पढ़ने लगे।
हर एक गाववाले का चेहरा देखकर साफ पता चल रहा था कि उन्होंने जोभी समस्याएं पढ़ी वो उनको अपनी समस्या जितनी या उससे भी बड़ी लग रही थी क्योंकि वे सभी आपसमे पर्चियां बदल बदलकर समस्याएं पढ़ रहे थे!
आधा घंटा बीत गया तब सबने संत को अपनी अपनी पर्चियां दिखाते हुए कहा कि, "महात्मा हम समझ गए है की हमारी समस्याएं केवल हम ही हल कर सकते है इसलिए हम अपनी खुद की लिखी पर्ची हाथ में पकड़े हुए है और अब हम स्वयं ही इनका निवारण करेंगे!"
छोटी कहानी का ज्ञान
दोस्तों, परेशानियां किसके जीवन में नहीं होती है? लेकिन हमें हमेशा हमारी परेशानी दूसरों की परेशानियों से बड़ी मालूम होती है। वास्तव में देखा जाए तो इसका उल्टा होता है हमारी समस्याये दुनिया की बाकी की समस्याओं के आगे कुछ भी नहीं है। समस्याओं को डटकर सामना करने से खत्म किया जा सकता है ना कि उन का रोना रोकर। नैतिक शिक्षा पर ये कहानी आप को कैसी लगी हमें जरूर बताएं।

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