आज की ये हिंदी कहानी "स्त्री का घर " थोड़ी सी इमोशनल है लेकिन इमोशनल होते हुए भी इसका संदेश बहुत अनमोल है। आपकी आंखें थोड़ी नम करने के साथ-साथ आपके दिलो-दिमाग पर यह कहानी छाप छोड़ जाएंगी इसलिए इसे एक बार पूरी जरूर पढ़िए।
स्त्री का घर...इमोशनल कहानी | Hindi emotional kahani
"तुम्हें कितनी बार बताया है, मेरे तैयार होने से पहले मेरा नाश्ता तैयार हो जाना चाहिए। शादी के 25 सालों बाद भी मुझे क्यों बार-बार एक ही बात बतानी पड़ती है, लता! तुम्हें क्या है?तुम तो आराम से घर पर राहोगी मुझे काम पर जाना पड़ता है। तुम हो कि हमेशा बेवकूफो जैसी हरकत करती हो। अगर तुम यह जानबूझकर करती हो तो याद रखना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा" आज भी प्रशांत का पारा चढ़ा हुआ था।
इन कटु शब्दों में अपना गुस्सा उतारते हुए, गीला तोलिया कुर्सी पर फेंकते हुए प्रशांत गुस्से से लता की तरफ देखने लगा।
लता के लिए प्रशांत का यह बेवजह का गुस्सा कोई नई बात नहीं थी। वह महीने में तीन चार बार ऐसे ही लता पर बरस पढ़ता था। पहले पहले लता उसका विरोध किया करती थी लेकिन जब कई सालों तक प्रशांत में कोई बदलाव नहीं दिखा तो लता ने खुद को ही बदल दिया। अब प्रशांत के कुछ भी कहने से लता को कोई फर्क नहीं पड़ता था। प्रशांत की हर बात वो चुपचाप सिर नीचे झुकाए सुन लेते थी।
शादी के पहले 5 साल तक लता ने पूरी कोशिश की थी कि प्रशांत को बदला जाए। लेकिन फालतू का गुस्सा करना और बाद में लता को भला बुरा कहना यह मानो जैसे उसकी आदत बन गई थी।
कोई भी वाद-विवाद होता तो प्रशांत सीधा लता को बोल देता,"अगर मैं तुम्हें अच्छा नहीं लगता तो क्यों नहीं चली जाती अपने मायके? क्यों रहती हो मेरे साथ?"
इतना सब कुछ होने के बावजूद लता प्रशांत के साथ रहती थी क्योंकि उसे अपनी बेटी की फिक्र थी। और वह जाति भी तो कहा अपने बूढ़े हो चुके मां-बाप को इस उम्र में परेशान करना वह नहीं चाहती थी। समाज और लोग क्या कहेंगे? यह भी तो उसे देखना था। वह इतनी पढ़ी-लिखी भी तो नहीं थी कि खुद जाकर कोई नौकरी कर सके और अपना और अपनी बेटी का पालन पोषण कर सके।
लता को अब अपनी फिक्र नहीं थी। उसको फिकर थी तो बस अपनी शादी लायक हो रही बेटी की। लता नहीं चाहती थी कि पति पत्नी के झगड़े की वजह से काव्या डिस्टर्ब हो। काव्या की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी उसके लिए अब शादी के रिश्ते आने लगे थे।
कई रिश्तो को काव्या ठुकरा चुकी थी। दो-तीन महीने बाद एक अच्छा रिश्ता आया, रिश्तेदारों और पहचान के लोगों ने भी लड़के के बहुत गुणगान किए थे। प्रशांत एक शाम अपनी बेटी के पास बैठकर उसे बताने लगा," काव्या, बहुत अच्छा लड़का है। पढ़ा लिखा है, बड़ा घर है, बहुत अच्छी नौकरी है। ऐसे रिश्ते बार-बार नहीं आते बेटा। इस बार मना मत करना।"
काव्या अपने पिता से ज्यादा बात नहीं करती थी । शायद डरती थी या शायद नफरत करती थी लेकिन आज वो अपनी पूरी हिम्मत इकट्ठा कर बोली,"मुझे अभी शादी नहीं करना है पापा। मैं नौकरी करना चाहती हूं। खुद अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हूं।"
"हा तो उसमें क्या बड़ी बात है? मैंने लड़के से बात की है। वह तुम्हें किसी बात के लिए नहीं रोकेगा। तुम शादी के बाद भी नौकरी कर सकती हो। वह तुम्हे नौकरी के लिए परमिशन दे देगा।" प्रशांत बोला।
"मेरा नौकरी करना या ना करना उसकी परमिशन पर क्यों डिपेंड रहेगा पापा?" काव्या ने पूछा।
"मैं कह रहा हूं ना,तुम्हे किसी भी चीज की कमी नहीं होगी वहां। ऐसे रिश्ते बार-बार नहीं आते। इसे ठुकरा मत, बहुत खुश रहोगी तुम वहां।" प्रशांत बोला।
"पापा क्या मैं उतनी ही खुश रहूंगी जितनी मम्मी इस घर में खुश है?" काव्या ने तंज कसते हुए कहा।
"आज तुम्हारी जबान कुछ ज्यादा नहीं चल रही?"प्रशांत गुस्से से आंखे बड़ी करते हुए बोला।
"पापा मुझे शादी ही नहीं करनी है क्योंकि शादी के बाद अगर वह लड़का आपके जैसा निकला तो मैं क्या करूंगी! मुझे आपके जैसा जीवनसाथी नहीं चाहिए जो बिना बात के मुझ पर हमेशा चिल्लाए। मुझे कुछ भी अपनी पसंद का लेना हो तो 10 बार सोचना पड़े कहीं वह नाराज ना हो जाए। मेरी तबीयत कैसी भी हो उसे परवाह ना हो। रोटी थोड़ी सी मोटी बन जाए तो घर सर पर उठा ले। उसकी चेक बुक ना मिले तो भी मेरा ही दोष निकालें। और हर छोटी मोटी बात पर मुझे मायके जाने के लिए कहे।" काव्याने अपना दिल खाली करते हुए पापा से सब कह दिया।
प्रशांत का गुस्सा सातवें आसमान पर था लेकिन उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं फूट रहा था। वो काव्या की बातें सुन रहा था।
काव्या उतना ही बोलकर चुप नहीं हुई, आज पहली बार वह अपने पापा के सामने इतना कुछ बोल रही थी," पापा आपने मां के साथ हमेशा गलत व्यवहार किया है। आप अपने ऑफिस का गुस्सा बिना सोचे समझे मां पर उतार देते है कभी इस बात की परवाह भी नही करते की उन्हें कैसा लगता होगा! आपकी बाते सुन सुन मां ने अपना स्वाभिमान खो दिया।"
प्रशांत आज पहली बार अपने किए बर्तावो को मेहसूस कर पा रहा था वो इतना ही बोल पाया," जो तुम्हारा मन है वो करो, मैं तो इतना बुरा हु ना!"
काव्या ने प्रशांत का हाथ पकड़ा और बोलि," पापा मुझे सिर्फ एक सवाल का जवाब दे दो क्या आप चाहेंगे कि मेरा पति आपके जैसा हो? अगर आपका जवाब हां है तो कर दीजिए मेरा रिश्ता आज ही। और ना है तो मुझे आत्म निर्भर बनने दीजिए।"
प्रशांत कुछ भी ना बोल पाया और वहां से चुपचाप बाहर चला गया। आज उसे लता के सामने जाने में शर्म आ रही थी। चलते चलते उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। प्रशांत ने आज से अपने आप को बदलने का निश्चय किया।
अगले दिन से लता ने अपने पति में काफी बदलाव देखा। वह सोचने लगी कि जो हिम्मत काव्या ने दिखाई है वह हिम्मत अगर मैं पहले ही दिखा देती तो शायद आज परिस्थिति कुछ और होती। अब काव्या पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी करने लगी थी और 3 साल बाद उसके लिए एक अच्छा रिश्ता आया और उसकी विदाई पर प्रशांत बोला," बेटा तू हमेशा खुश रहेगी क्योंकि तेरा पति तेरे बाप जैसा नहीं है।"
प्रशांत की यह बात सुनकर लता और काव्या की आंखों से आंसू बहने लगे।
दोस्तों हमारे समाज में औरतों को भले ही देवी का दर्जा दिया जाता है लेकिन वह स्वतंत्रता नहीं दी जाती जो उन्हें देनी चाहिए।
उन्हें बचपन से ही बताया जाता है कि वह पराया धन है। स्कूल से आने में देर हो जाए तो पिटाई मिलती है। मोबाइल पर बातें करते हुए दिख जाए या खिड़की से झांकते हुए दिख जाए तो शक किया जाता है। मां-बाप का घर तुम्हारा नहीं है पति का घर ही तुम्हारा घर है, जीवन भर यह बातें बता बता कर उन्हें ससुराल भेज दिया जाता है। और 1 दिन किसी छोटे-मोटे झगड़े में ससुराल वालों से उन्हें सुनना पड़ता है की इस घर को छोड़ दो और मायके चली जाओ!
अब आप ही बताओ दोस्तों ऐसी स्त्रियों का सच्चा घर कौन सा? आखिरकार वह किस घर को अपना कहें?
हमेशा की तरह पूरी कहानी पढ़ने के लिए आपको धन्यवाद ! दोस्तों उम्मीद है यह कहानी आपके दिल को छू गई होगी। ऐसे ही सीधे दिन तक उतरने वाली कहानियां पढ़ने के लिए आप हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं।

Very nice 👍
जवाब देंहटाएंThanks
जवाब देंहटाएंBhot hi achi story h, Sir kya ye story main youtube par dal skti hu
जवाब देंहटाएंAnil Kumar emotional story
जवाब देंहटाएंin stories ko youtube channel me use kar sakta hu ?
जवाब देंहटाएंमेरे पति भी ऐसे ही है। लेकिन अफ़सोस यह है कि उन्हें आईना दिखाने वाली बेटी नहीं है। Heart touching story
जवाब देंहटाएंSachai ki kahani
जवाब देंहटाएंKya Yeh stories youtube par video mein used kar sakte hain
जवाब देंहटाएंAll postings are heart touching, teaching a life leading lesson.!
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