आंखो पर पट्टी..एक प्रेरक कहानी| motivational story

 आंखो पर पट्टी..एक प्रेरक कहानी| motivational story 


 दोस्तों गलती करना बुरा नहीं होता लेकिन गलती करके उसका अस्वीकार करना बुरा होता है। और उससे भी बुरा होता है उस गलती से कुछ न सीखना। आज की कहानी गलती से ज्यादा इस बात पर फोकस करेगी कि किसी को माफ कैसे किया जाता है?


आंखो की पट्टी..एक प्रेरक कहानी| motivational story


एक बहुत प्रख्यात और समझदार टीचर अपने क्लास में 50 विद्यार्थियों की परीक्षा लेने में व्यस्त थे।


सभी विद्यार्थी अपना अपना टेस्ट पेपर लिखने में मग्न थे। तभी अचानक एक विद्यार्थी हड़बड़ा कर खड़ा हुआ। वह बड़ा ही परेशान लग रहा था।


उसकी ऐसी हालत देख टीचर ने उसे पूछा कि क्या हुआ,क्या तुम्हें कोई परेशानी है?


उस विद्यार्थी ने कहा कि मेरी किमती घड़ी किसी ने चुरा ली! जो मेरे पापा में कल ही मुझे बर्थडे पर गिफ्ट दी थी।


टीचर ने कहा कि अभी नहीं यहां से कोई गया है ना ही कोई आया है तो फिर कैसे कोई तुम्हारी घड़ी चुरा सकता है?


उस विद्यार्थी ने कहा सर अभी जो 5 मिनट का ब्रेक आया था तब मैंने अपनी घड़ी इसी टेबल पर रखी थी और अब जब मैं उसे देख रहा हूं तो वो वहां पर नहीं है।


टीचर ने थोड़ी देर तक सोचा और फिर पूरे क्लास से कहा कि मैं जानता हूं कि घड़ी आप लोगों में से किसी ने चुराई है। लेकिन मैं इसे आप की पहली गलती मान कर माफ कर देता हूं। मैं नहीं चाहता कि आप अपनी या दूसरों के नजरों में गिर जाओ इसलिए मैं आप सभी से रिक्वेस्ट करता हूं कि सभी लोग अपने अपने आंखों पर अपने रूमाल या पट्टियां बांध ले।


सभी विद्यार्थियों ने अपने टीचर के कहे अनुसार अपनी अपनी आंखें बंद कर ली। टीचर ने सभी की जेबे एक-एक करके चेक करी और उन्हें किसी एक विद्यार्थी के जेब में वह घड़ी मिल गई। टीचर ने उस घड़ी को उसके सही मालिक तक पहुंचा दी।


दोस्तों, जहां पर आज लोग एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए उनकी छोटी से छोटी गलतियां भी सबके सामने लाकर एक दूसरे को शर्मिंदा कर देते हैं। वहीं पर यह टीचर थे जिन्होंने अपने विद्यार्थी की इतनी बड़ी गलती को भी नजरअंदाज करके उसे सुधरने का एक मौका दिया।


इस घटना को 10 साल बीत गए। इस क्लास के सभी विद्यार्थियों का रियूनियन हुआ जहां पर उनके इस टीचर को भी बुलाया गया था। इन विद्यार्थियों में जो सबसे ज्यादा सक्सेसफुल हुआ था जिसका समाज में और देश-दुनिया में एक बड़े उद्योगपति के तौर पर नाम प्रसिद्ध था वह कोई और नहीं वही विद्यार्थी था जिसने उस दिन घड़ी चुराई थी।


उसने जब अपने उसी टीचर को इतने सालों बाद देखा तो वह बहुत खुश हुआ और जाकर उनके पैर छू लिए। वह बोला सर मैं आज जो कुछ भी हूं वो सिर्फ आपकी वजह से ही हूं और अगर आज मैं जिंदा भी हूं तो भी आपकी वजह से ही हुं।


टीचर के कुछ समझ में नहीं आया तब वह विद्यार्थी जोकि एक बड़ा वीआईपी बन चुका था उनसे बोला," सर उस दिन अगर आपने मेरा नाम पूरे क्लास में बता दिया होता कि घड़ी मैंने चुराई है। तो मैं शायद आत्महत्या कर लेता। क्योंकि जब आपने अनाउंस किया था कि आप सबकी तलाशी लेने वाले हैं, मैंने यह निश्चय कर लिया था, कि बदनामी की जिंदगी में नहीं जिऊंगा।


 हां उस दिन मुझसे बड़ी गलती हो गई थी। लेकिन आपने मुझे उस गलती को सुधारने का मौका देकर मेरी जिंदगी बचा ली। उस दिन के बाद मैंने इतनी मेहनत की और आज मैं यहां तक पहुंच गया।"


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उसकी पूरी बात सुनने के बाद टीचर ने उससे कहा ओह.. अच्छा तो वो तुम थे?  

विद्यार्थी ने उनसे कहा - सर आप इतनी बड़ी बात कैसे भूल सकते हैं? तब टीचर ने कहा - नहीं बेटा मैं कुछ भी नहीं भूला हूं। लेकिन तुम सब लोग यह नहीं जानते कि उस दिन सिर्फ सभी विद्यार्थियों की आंखों पर पट्टी नहीं बंधी थी, तुम्हारे इस टीचर के आंखों पर भी पट्टी बंधी थी! क्योंकि मैं अपने विद्यार्थी को अपनी, दूसरों की या मेरी खुद की नजरों से गिरने नहीं देना चाहता था।


अपने टीचर की सच्ची महानता के बारे में पता चलने पर उस विद्यार्थी की आंखें भर आई और वह कुछ भी नहीं बोल पाया उसने टीचर को गले लगा लिया।


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दोस्तों, सच में माफ करना या उससे भी आगे बढ़कर माफ करके एक दूसरा मौका देना यह हर किसी के बस की बात नहीं है। लेकिन जिंदगी में कभी किसी को माफ करना चाहो तो ऐसे करना जैसे इस टीचर में अपने विद्यार्थी को किया था।


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