प्रेरक कहानी : किसान और बिगडेल बेटा | motivational story

 प्रेरक कहानी : किसान और बिगडेल बेटा | motivational story 


एक बहुत मेहनती किसान था। किसान किसी भी काम को बड़ी मेहनत और लगन से करता था। किसान ने मेहनत करके अपने आधी से ज्यादा जिंदगी खफा दी थी और अपने परिवार के लिए अच्छा घर,अच्छा खाना पीना बाकी जरूरत की चीजें और थोड़ा बैंक बैलेंस जमा किया था।


प्रेरक कहानी : किसान और बिगडेल बेटा | motivational story


किसान जितना मेहनती था उसका बेटा उतना ही आलसी और कामचोर था। वह दिन भर बिना कुछ किए घूमता रहता और किसान के मेहनत से जमा किए पैसे यूं ही बेवजह उड़ा दिया करता था। किसान जब भी उसे कोई काम करने के लिए कहता तो वह बहाने बनाकर उसे टाल दिया करता। किसान की पत्नी और बेटी ने उसको ज्यादा लाड प्यार करके बिगाड़ दिया था।


बूढ़ा होता जा रहा किसान हमेशा अपने बेटे के भविष्य के बारे में चिंतित रहता था। उसने अपने बेटे को प्यार से समझाकर सुधारने की कई बार कोशिश की थी लेकिन बेटे पर उसकी नरम बातों का कोई असर नहीं होता। 


 एक दिन जब किसान को लगने लगा कि अब समय आ गया है कि उसके बेटे को सही रास्ते पर आ जाना चाहिए क्योंकि जीवन का क्या भरोसा वह कितने दिन और जी पा? कहीं ऐसा ना हो कि उसके मरने के बाद उसके बेटे की हालत बद से बदतर हो जाए।


किसान ने कुछ सोच कर अपने बेटे को अपने पास बुलाया और उसे कड़े शब्दों में कहा - देख बेटा मैं तुझे जितना सह सकता था मैंने सहन किया है अब मैं चाहता हूं कि तू कुछ भी करें और पैसे कमा कर लाए। अगर तू ऐसा नहीं करता है तो मैं तुझे इस घर में रहने नहीं दूंगा।


किसान का बेटा भी इस बार अपने बाप के मुंह से ऐसे कड़े शब्द सुनकर हैरान था। उसे यह महसूस हो गया था कि इस बार उसका बाप जो कह रहा है वह कर सकता है। वो सीधा अपनी मां के पास गया और यह सारी बात उसकी मां को बता दी। मां ने उसे अपनी तरफ से कुछ पैसे निकाल कर दे दिया और उसे कहा कि शाम को यह तुम कमा कर लाए हो ऐसा कहकर अपने बाप को दे देना।


 यह सब होते हुए किसान छुप कर देख रहा था क्योंकि किसान अपने बेटे का पीछा कर रहा था।


श्याम होने पर किसान का बेटा किसान के पास पहुंचा और अपने मां के दिए पैसे किसान की तरफ बढ़ाते हुए कहा - यह मैं कमा कर लाया हु।


 किसान ने उन पैसों को छुआ भी नहीं और उसे कहा कि जाओ वह हमारे आंगन में जो कुवा है वहां इन पैसों को डाल कर आ जाओ। बेटे ने एक भी सवाल नहीं किया और जैसे किसान ने कहा वैसे उन पैसों को कुएं में डाल दिया।



किसान ने अगले दिन अपनी पत्नी को मायके भेज दिया और फिर से अपने बेटे को पैसे कमा कर लाने के लिए कहा। पैसे मांगने के लिए मां थी नहीं इसलिए बेटा अपनी बहन के पास जाकर पैसे मांगने लगा। बहन ने उसे कुछ पैसे निकाल कर दे दीये। शाम हुई तो बेटा अपने बाप के पास गया और वह पैसे बाप को देने लगा तो बाप ने फिर से उन पैसों को कुएं में डालने के लिए कहा जो लड़के ने चुपचाप कुएं में डाल दिए।


अगले दिन किसान ने अपनी बेटी को भी अपने रिश्तेदारों के यहां भेज दिया और फिर से बेटे को पैसे कमा कर लाने के लिए कहा। इस बार लड़का अपने दोस्तों के पास पैसे मांगने गया लेकिन वह दोस्त खुद ही उसके साथ उसके पैसों के लिए दोस्ती करते थे वह क्या उसे पैसे देते?


इस घटना से किसान के बेटे को इतना तो पता चल गया कि अगर आपके पास पैसे हैं तो आपके पास मतलबी लोग होंगे और जब आपको उनकी जरूरत होगी तो वह आपका साथ नहीं देंगे। जब पैसा किसी से नहीं मिला तो मजबूरन वो काम ढूंढने लगा। ढूंढते ढूंढते उसे एक दुकान में गेहूं की बोरियां उतारने का काम मिला। जिसे बड़ी मेहनत से पूरा दिन करने के बाद उसे कुछ चंद रुपए दिए गए।


उन रुपयों को लेकर जब वह अपने बाप के पास पहुंचा और जब बापने उसे उन रुपयों को भी कुएं में फेंकने के लिए कहा तब बेटे की आंखों से आंसू निकल आए। बेटा अपने बाप के पैरों में गिर गया और उनसे माफी मांगते हुए कहा - पिताजी मुझे समझ में आ गया है कि आपको कैसा लगता होगा जब मैं आपकी मेहनत की कमाई इसी तरह उड़ा देता था। आज से मैं आपको वादा करता हूं कि मैं कभी भी काम चोरी नहीं करूंगा और मेहनत से कमाए पैसों की वैल्यू करूंगा।


किसान ने अपने बेटे की बात सुनकर उसे अपने गले से लगा लिया।


कहानी की सिख


जीवन में हमें बहुत कुछ बिना मेहनत के मिल जाता है और हम कभी कभी उसकी कद्र नहीं करते। हमे हर उस वस्तु की कीमत समझनी चाहिए जो हमे तो आसानी से मिली है पर उसके पीछे हमारे अपनो की जीतोड़ मेहनत होती है। 


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