इमोशनल कहानी : मां की देखभाल | emotional Hindi kahani
मां अस्पताल में एक बेड पर पड़ी थी। अस्पताल के बरामदे में उसके 2 बेटे और 1 बेटी चिंता में टहल रहे थे। भाई बहन को अपनी मां के लिए सेहत की चिंता तो थी लेकिन उससे भी ज्यादा चिंता इस बात की थी कि अब मां को अपने साथ कौन रखेगा?
जब तक मां स्वस्थ थी वह इन तीनों से अलग अपने पुराने घर में रहती थी। लेकिन अब ऐसा करना खतरे से खाली नहीं होता और ऐसा करने से समाज में तीनों बेटे बेटियों का नाम भी खराब होता। लोग कहते कि देखो कैसी औलादे हैं? बीमार माता को अकेला रहने के लिए छोड़ दिया।
1 घंटे से बिना कोई बातचीत किए वह तीनो अपने अपने विचारों में खोए हुए थे। फिर बहन ने चुप्पी तोड़ते हुए अपने बड़े भाई की तरफ देखते हुए कहा," भैया आप बड़े हैं, इसलिए आपका कर्तव्य है कि मां को जरूरत के समय आप रखें और उनकी देखभाल करें।"
छोटी बहन की बात सुनकर बड़े भाई ने पहले अपनी पत्नी की ओर देखा और बोला," मैं इस बात से बिल्कुल इनकार नहीं करता कि बड़े होने के नाते मेरा मां की देखभाल करने का कर्तव्य है लेकिन तुम तो जानती ही हो कि मैं और तुम्हारी भाभी दोनों ही जॉब करते हैं। ऐसी हालत में मां के साथ किसी ना किसी को हर वक्त उनकी देखभाल करने के लिए उनके साथ रहना पड़ेगा जो हमारे लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा।
बहन तुम तो पूरा दिन घर ही रहती हो तुम मां को अपने साथ क्यों नहीं रखती? पैसों की चिंता मत करना, जो भी खर्चा आएगा मैं दे दूंगा।"
सुशील भैया आप तो जानते ही हैं कि मैं मां से कितना प्यार करती हूं। लेकिन आप यह भी जानते हैं कि मेरे ससुराल वाले कैसे हैं! मैं यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी कि कोई मेरी मां को और मेरे भाइयों को भला बुरा कहे इसलिए अच्छा यही होगा कि मां को अनिल भाई के यहां रखा जाए। बड़े भाई सुशील ने भी छोटे भाई अनिल के यहां मां को रखने के लिए सहमति जताई।
आप यह कैसी बातें कर रहे हो? क्या आपने नहीं देखा है कि मां कभी भी मेरे घर 2 दिन से ज्यादा रही ही नहीं है! उसका मेरे यहां मन लगता ही नहीं है। फिर कैसे वह इतने दिन मेरे घर रह पायेगी? छोटे भाई ने अपनी असहमति जताते हुए कहा।
इससे पहले कि इस चर्चा का कोई नतीजा निकल पाता, एक नर्स वहां दौड़ते हुए आई और कहने लगी,"क्या आप ही वार्ड नंबर 4 में भर्ती मरीज के रिश्तेदार हैं? आपको डॉक्टर साहब अंदर बुला रहे हैं।"
सभी घबरा गए और दौड़ते हुए डॉक्टर के पास पहुंचे। डॉक्टर ने उनसे हाथ जोड़ते हुए कहा," आई एम सॉरी! मैं आपकी माता जी को नहीं बचा पाया! "
डॉक्टर की इस खबर ने सबके चेहरे पर झूठी मूठी दुख की परत तो चढ़ा दी थी लेकिन सभी के दिल के किसी कोने में इस बात की खुशी भी छुपी हुई थी कि अब उन्हें मां को नहीं संभालना पड़ेगा और मां की वजह से उन्हें परेशान नहीं होना पड़ेगा!
दोस्तों, छोटी सी यह इमोशनल कहानी ही समाज का सत्य है। यहां लोग ऊपर से जो दिखाते हैं वह अंदर से नहीं होते। जो मां बाप अपने चार चार बच्चों को बिना किसी शिकायत के बड़ी आसानी से संभाल पाते हैं आगे चलकर जरूरत पड़ने पर यही चार बच्चे मिलकर भी उन्हें नहीं संभाल पाते या नहीं संभालना चाहते।
बच्चों को यह बात नहीं भूलनी चाहिए जैसा वह बोएंगे वैसा ही तो काटेंगे। अगर आज वह अपने मां-बाप के साथ बुरा बर्ताव करते हैं, तो उन्हें यह याद रखना चाहिए कि उनके बच्चे भी बड़े होंगे और वह भी बूढ़े होंगे। जो उन्होंने अपने मां-बाप के साथ किया है उनके बच्चे भी उनके साथ वही करेंगे।
दोस्तों, अपने दिल से छल कपट निकाल दीजिए और सच्चे मन से अपने माता पिता की अपने बुजुर्गों की सेवा कीजिए।
आपने इस कहानी को पूरा पढ़ा इसका मतलब है आपको ऐसी इमोशनल कहानियां पसंद है आप हमारे इमोशनल कहानियों के संग्रह पर क्लिक करके और भी कहानियां पढ़ सकते हैं।
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Bhai ye kaun si language me likhte ho yaar kuchh samajh me hi nahi aata। Kabhi khud bhi padh ke dekh liya karo।
जवाब देंहटाएंDost is kahani ko 10000 views aaye hai...tumhare alava baki sabko samajh aaya...fir bhi apna point of view dene ke liye 🙏🏻
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