मां की दौलत : दिल छुलेनेवाली कहानी | Hindi Kahani

 मां की दौलत : दिल छुलेनेवाली कहानी | Hindi Kahani 


एक गांव में श्याम नाम का एक गृहस्थ रहता था। उसकी पत्नी का नाम गंगा था। उनको दो बेटे और दो बेटियां थी। एक छोटा सुखी परिवार था। 


मां की दौलत : दिल छुलेनेवाली कहानी | Hindi Kahani
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श्याम ने अपना सब पैसा उसके बेटे और बेटियां इनकी पढ़ाई, शादी और उनके लिए अच्छे घर बनाने मे खर्च कर दिया। श्याम के बेटे और बहूए स्वार्थी थे। 


मां बाप ने इतना सब किया था फिर भी शाम को अपने बेटे बहू के  रेहेमोकरम पर जीना पड़ रहा था। उन दोनों को बेटों  और बहुओ से  बहुत ज्यादा हीनता और अपमान का बर्ताव मिलता था। 


अचानक एक दिन श्याम की मृत्यु हो गई।  वजह से वो बेचारा तो इस दर्द से मुक्त हो गए पर गंगा मात्र अकेली  रह गई । गंगा ऐसे ही उदास मनस्थिति मे मंदिर गई। वहां उसे उनकी बचपन की सहेली शांता मिली। उसे देखकर उसे अच्छा लगा। गंगा को उदास देखर शांता ने गंगा से उसके उदासी का कारण पूछा।


 गंगा ने अपने दुखी जीवन का सभी विवरण बताया उसे बताया। वह सब सुनकर शांता ने उसे गुप्त में कुछ तो कहा! वो सभी सुनकर गंगा को थोड़ा सा आधार मिला।


 दूसरे दिन सुबह जिस प्रकार शांता के बताये अनुसार शांता एक बैग लेकर गंगा के पास गई और वो जैसे पहली बार ही मिल रही हो ऐसा बर्ताव किया। शांता ने गंगा को गले लगा लिया।


 गंगा ने शांता को पूछा, शांता तुम यहां हमारे गांव में कब आइ और किसके घर ठहरी हो? गंगा के दोनों बहू गंगा की आवाज सुनकर तुरंत अंदर से बाहर आई। उन दोनों को देखकर शांता बोली अरे मैं दूसरे घर पर कहा रहूँ, हम दोनों मौसेरी बेहने है तो भी सगी बहनों से ज्यादा हमारा रिश्ता अटूट है। मुझे जीजा जी गुजर गए मालूम पड़ा इसलिए मैं तुम्हें मिलने के लिए और भेट देने के लिए आई हूं। 


पहले दिन तय किए अनुसार गंगा बोली,शांता तुम मुझे मिलने के लिए आई यह सुनकर बहुत अच्छा लगा पर तुम मुझे भेट देने के लिए कुछ लाई हो उसका अर्थ मुझे कुछ समझ में नहीं आया।


 शांता जानबूझकर रोने का सुर निकाल कर बोली अरे गंगा मुझे पता है कि आप दोनों ने तुम्हारा सभी पैसा बेटे बेटी के पढ़ाई शादी और उनके लिए अच्छा घर बनाने के लिए खर्च कर डाले। आप दोनों ने खुद के लिए कुछ भी नहीं रखा। यह सब ठीक है क्योंकि आपके बेटे और बहूये सभी अच्छे हैं इसलिए वह तुमसे प्यार से बर्ताव करते हैं। तुम्हे अछेसे संभालते है इस का मुझे पूरा भरोसा है। 


लेकिन हमारे यहां पर सब उलटा है ,हमारी आर्थिक परिस्थिति अच्छी होकर भी बेटे पढ़े नहीं इस वजह से वह कोई भी उद्योग धंधा करते नहीं है। उनको सिर्फ बैठ कर खाना आता है। अमीर है इस वजह से उनकी शादी भी हो गई परंतु उनकी पत्नियां हम दोनों का बार-बार अपमान करती रहती है और मेरे बच्चे वह देखकर भी कुछ भी नहीं बोलते उन्हें।


 फिर शांता आंखे पोछने का नाटक करती है और वह आगे बोली अभी ऐसी परिस्थिति में हम दोनों को जिनेकी इच्छा भी नहीं होती और अब हमारी जिंदगी भी कितनी बची है? इसलिए मैंने तय किया कि मेरे पति का नजदीकी कोई भी नहीं है और तुम्हारे सिवाय मेरा कोई भी नहीं है! इसीलिए सब पैसा बेटों को देने के बजाय तुम्हें आधे पैसे दे दूं! 


ऐसा विचार करके मैं मेरे पति की रजामंदी से 25 तोला वजन के 10-12 सोने के गहने और ₹50000 इस बैग में लाई हूं। इस बैग में 45 हजार की नोटे है और 1 रुपयों की 5000 नाने हैं। अभी तुम कुछ भी ना कहते हुए हमारा प्यार  समझकर यह बैग और उस की चाबी ले लो!


 मै  सिर्फ तुम्हारे पास चाय पीकर  तुरंत चली जाऊंगी। शांता का यह बोलना सुनकर  सास की बहन कोई सामान्य औरत नहीं है बल्कि बहुत अमीर औरत है और धन की तिजोरी साथ लायी है ऐसा विचार करके गंगा की बड़ी बहू प्यार का नाटक करके उनको बोली की क्या मासी आप इतनी जल्दी क्यों जा रही हो? अभी आए हो तो रहो हमारे घर 2- 4 दिन! आपके बेटे और बहू भी नई पीढ़ी के है इस वजह से आप उनके तरफ ध्यान मत दीजिए। आप दोनों पति-पत्नी ने आपका जीवन यशस्वी किया है। वैसे ही हमें भी उस बारे में मार्गदर्शन दिया तो अच्छा होगा और कैसे जीवन जीना है हमें भी समझ में आ जाएगा।


 तभी शांता उसे बोली मेरे पति के दोस्त आज प्लेन से रात को 12:00 बजे हमारे घर आने वाले हैं इस वजह से मुझे जाना होगा। हर एक मनुष्य के जिंदगी में ऐसा प्रसंग आता ही आता है कि जिसकी वजह से उसकी आंखें खुलती है और वह मनुष्य समझदार होगा तो उसे मार्ग दिखता है। ऐसा बोलकर शांता चाय पी कर वहां से चली गई।


 शांता के जाने के बाद गंगा के दोनों बेटे और बहूए उससे बहुत अच्छा बर्ताव करने लगी । बहुत प्यार और देखभाल करने लगे। 


गंगा खाना खाने के बाद रात को अपने रूम में जाकर दरवाजे की कुंडी लगा लेती। शांता ने दिए हुए पैसे पत्थर पर पीटकर बजाकर गिनती थी। नाणो का आवाज रात के समय स्पष्ट उनके बेटे और बहू को सुनाई देता था और उनका गंगा पर और ज्यादा प्यार बढ़ने लगता!


 ऐसा पाच छे महीने तक चलता रहा लेकिन पैसे गिनने का काम  मात्र खत्म नहीं हो रहा था।और ये सिलसिला गंगा ने अपने मरने तक चालू रक्खा। गंगा के आखरी 6 साल खुशियों में बीते!


परंतु एक दिन अचानक गंगा की मृत्यु हो गई।उसके जाने के बाद रिवाज और लोकलाज  के लिए उसके बहूवो ने और बेटों ने आंसू बहाए! फिर उन्होंने स्मशान से आने के बाद उन्होंने तुरंत मां के  रूम में जाकर उस बैग का ताला खोला।


और क्या उन को धक्का लगा क्योंकि उसमें सिर्फ पुराने समाचार पत्र,चार-पांच वजनदार पत्थर और सिर्फ 1 रुपया था। वो रुपैया भी पत्थर पर पीटने पर पूरा का पूरा खराब हो गया था!


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